CAA protest : मेरठ शहर में 28 साल बाद हिंसा में हुई इतनी बड़ी जनहानि Meerut News
शहर में सबसे अधिक जान 1987 (अप्रैल-जुलाई) के दंगों में गई थीं जिसमें 136 लोगों की मौत का सरकारी आंकड़ा है। इसके बाद 1991 के दंगों में 32 लोगों की जान गई।
मेरठ, [अभिषेक कौशिक]। दंगों का मेरठ से पुराना नाता रहा है। इतिहास के पन्नों में कई ऐसी तारीखें दर्ज हैं, जिनमें कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है। सबसे अधिक जान 1987 (अप्रैल-जुलाई) के दंगों में गई थीं, जिसमें 136 लोगों की मौत का सरकारी आंकड़ा है। इसके बाद 1991 के दंगों में 32 लोगों की जान गई। इसके बाद हुई हिंसा या फिर दंगे में एक-दो लोगों की मौत हुई। 28 साल बाद हुई हिंसा में अब छह लोगों की मौत हो गई।
आजादी से पहले झेला दंश
दंगों का दंश मेरठ को आजादी के पहले से ही झेलना पड़ रहा है। आंकड़ों की बात करें तो दो अक्टूबर 1939 को हुए दंगे में आठ लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। इसके सात साल बाद फिर देश में दंगा भड़का और 29 लोगों की जान चली गई। आजादी के बाद 17 साल तक शांति बनी रही, लेकिन अक्टूबर (पांच-आठ तारीख) 1961 को 14 लोगों की जान गई थी। इसके बाद भी शहर ने दंगों का दंश ङोला था। सात सितंबर से एक अक्टूबर 1982 तक 42 लोगों की जान गई। इसके बाद 1987 (अप्रैल-जुलाई) तक 136 लोगों की मौत हुई।
अफसर नाकाम, बवाली बेलगाम
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोध में दोपहर बाद भड़की हिंसा पुलिस-प्रशासन की नाकामी का नतीजा थी। छह घंटे तक आधा शहर बवालियों के कब्जे में था। आगजनी के साथ ही जमकर पथराव हुआ था। इस दौरान छह लोगों की मौत हुई, जबकि पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के साथ बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। दो दिन तक शहर में अघोषित कफ्र्यू जैसे हालात रहे थे। तीसरे दिन शहर पटरी पर लौटने लगा था। उपद्रवियों ने बच्चों को ही सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल किया।
नौ साल में चार बड़े बवाल
24 अप्रैल 2011 में शास्त्रीनगर एल ब्लाक में भी दंगे के दौरान पुलिस चौकी फूंक दी गई थी। रातभर उत्पात मचा था। दर्जनों गाड़ियां तोड़ दी गई थीं। 16 जून 2011 में ओडिशा से 40 दिन की जमात से लौटे लोगों की राहेटा फाटक पर फल विक्रेताओं से कहासुनी हो गई थी। इसके बाद बवाल हो गया था। इसमें 27 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। 10 मई 2014 को कोतवाली के तीरगरान में प्याऊ के विवाद में एक युवक की मौत हो गई थी। दो अप्रैल 2018 को एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में भी शहर जल उठा था।
हिंसा पर एक नजर
तारीख मौत
दो अक्टूबर 1939 08
7-11 नवंबर, 1946 29
5-8 अक्टूबर 1961 14
28-30 जनवरी 1968 13
11 दिसंबर 1973 07
7 सितंबर से एक अक्टूबर 1982 42
एक मार्च 1986 03
अप्रैल-जुलाई 1987 136
11 अगस्त 1989 01
22 सितंबर 1990 01
2-3 नवंबर 1990 12
12-13 दिसंबर, 1990 01
20 मई 1991 32
12 जून 1991 01