Move to Jagran APP

CAA भी नहीं जानते, बिगड़ा यात्रा का योग और डॉक्टर साहब के नवरत्न Meerut News

पार्टी विद डिफरेंस के एक्सीलेटर पर फर्राटा भरने वाले भाजपाई सीएए के ब्रेकर से भिड़कर गिर गए। मानव श्रृंखला निकाली तो गलती से बैनर में सीएए व कहीं सीसीए छप गया।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 11:26 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 11:26 AM (IST)
CAA भी नहीं जानते, बिगड़ा यात्रा का योग और डॉक्टर साहब के नवरत्न Meerut News
CAA भी नहीं जानते, बिगड़ा यात्रा का योग और डॉक्टर साहब के नवरत्न Meerut News

मेरठ, [संतोष शुक्‍ल]। पार्टी विद डिफरेंस के एक्सीलेटर पर फर्राटा भरने वाले भाजपाई सीएए के ब्रेकर से भिड़कर गिर गए। मानव श्रृंखला निकाली तो गलती से बैनर में सीएए व कहीं सीसीए छप गया। पुराने भगवापंथी भराला ने तत्काल सीसीए पर चिंगारी भड़कने से पहले प्रवचन के फौव्वारों से शांत कर दिया। युवाओं को बताया कि सही शब्द..सीएए यानी सिटीजन अमेडमेंट एक्ट होता है। उनके सियासी हमराह रहे विनीत शारदा से फोन पर पूछा गया। वे पहले हिंदी की आड़ में छुपे। मैं सीएए पर अड़ा तो जनाब ने सिटीजन अमेडमेंट एक्ट बताया। जिलाध्यक्ष अनुज राठी ने सीएए पर कहा..वही जो चल रहा है। फिर नागरिक संशोधन अधिनियम। प्रदेश की सियासत में उदित होते युवा वरुण गोयल ने सिटीजन एमेंडमेंड एक्ट तो कमलदत्त ने इसे सिटीजन एमाइंडमेंट एक्ट कहा। संभलकर टिप्पणी करने वाले प्रवक्ता गजेंद्र शर्मा ने भाजपाइयों की त्रुटि सुधार किया। सिर्फ लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट कहा।

loksabha election banner

बिगड़ा यात्रा का योग

भगवा राजनीति के पावर हाउस में यात्रा के दो सर्किट फ्यूज होते नजर आ रहे हैं। 22 जनवरी को राजनाथ की रैली से पहले जिला-महानगर की जोड़ी अच्छी ओपनिंग नहीं कर पाई। दोनों अध्यक्ष एक दूसरे की भाषा नहीं समझते, जबकि कार्यकर्ता सब समझते हैं। सीएम योगी के न आने से उनके नाम पर चढ़ा पारा भी उतर रहा है। पहले 19 जिलों में हुंकार भरी गई थी, जिसकी आवाज सिर्फ छह जिलों तक रोक दी गई। 2017 विस से पहले बाइपास पर आयोजित रैली में कम भीड़ की सूचना पर राजनाथ ने माइक पर संबोधन का स्क्वायर कट खेला। इस बार भी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा नदारद है। गंगा यात्रा का भी सही मुहूर्त खोजने में चूक हुई। विधायक ने पूरी तैयारी कर ली, किंतु हस्तिनापुर की सनातन काल से रूठी आत्मा से पार पाना आसान नहीं। सीएम योगी के लिए जंबूद्वीप में जमा तंबू ढीला भी पड़ने लगा है।

डॉक्टर साहब के नवरत्न

डाक्टर साहब स्वभाव से भी राजकुमार हैं। विभाग के मुखिया हैं। फेफड़ों के डाक्टर हैं तो सांस की भाषा भी समझते हैं। उन्होंने जिले की सेहत ठीक रखने के लिए नवरत्नों की टीम बनाई है। दिल के नेक हैं, इसलिए उन्हें समझाना आसान है। उनके नवरत्नों में डा. प्रेम भी शामिल हैं, जिनकी अब तक किसी से नहीं पटी। प्रेम अपनी काबिलियत और उपयोगिता समझा चुके हैं। उनकी नजर मुखिया की कुर्सी पर भी है। टीम में तीन महिलाएं हैं, जो मुखिया के सम्मान का पूरा ख्याल रखती हैं। किंतु छह अन्य चेहरों के माथे पर महत्वाकांक्षा की लकीरें उभरती रहती हैं। नवरत्नों के तमाम प्रयोगों के बावजूद जिले की सेहत हांफती ही मिली। परिसर में धूप सेंकते एक सज्जन कहते हैं कि डाक्टर साहब नवरत्नों की परिधि से बाहर निकलते तो विभाग की ग्रहदशाएं धूप की तरह खिल जातीं। अभी तो योजनाएं हाथ में आकर भी फिसल रही हैं।

पदचिन्ह का अजब संयोग

सियासत में किसी के पदचिन्हों पर चलना अलग बात है, किंतु कई बार संयोग से भी ऐसा कुछ हो जाता है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और परिवहन मंत्री अशोक कटारिया के बीच संयोगों की आंखमिचौली अब तक चल रही है। स्वतंत्रदेव के बाद कटारिया युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष बने। इसी तर्ज पर स्वतंत्रदेव के ठीक बाद प्रदेश में उपाध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री व एमएलसी बनकर सदन में पहुंचे। 2017 में योगी सरकार में स्वतंत्रदेव परिवहन मंत्री बने तो लगा चीजें पीछे छूट गई हैं। किंतु पिछले साल फिर संयोग एक साथ हाथ मिलाते नजर आए। स्वतंत्रदेव प्रदेश अध्यक्ष बने तो परिवहन मंत्री पद त्यागा। यहां फिर कटारिया की किस्मत साथ चली। उन्हें अगला परिवहन मंत्री बनाया गया। स्वतंत्रदेव के पीछे-पीछे कटारिया पदों का पिरामिड खड़ा कर चुके हैं। देखना ये है कि ये सफर किस पड़ाव तक संयोग बनकर चलता है। या फिर कभी पार्टी की भी नजर इस पर जाएगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.