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पांच अप्रैल से बैंकों का ऑडिट शुरू करेंगे सीए

विजय माल्या नीरव मोदी जैसे लोग फिर से बैंकिंग सिस्टम से खेल न कर दें इसे देखते हुए बैंकों के ऑडिट पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी सख्ती की है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 09:00 AM (IST)
पांच अप्रैल से बैंकों का ऑडिट शुरू करेंगे सीए
पांच अप्रैल से बैंकों का ऑडिट शुरू करेंगे सीए

मेरठ । विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे लोग फिर से बैंकिंग सिस्टम से 'खेल' न कर दें, इसे देखते हुए बैंकों के ऑडिट पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी सख्ती की है। इसलिए सीए प्रोफेशनल भी सतर्क हो गए हैं। पांच अप्रैल से बैंकों का ऑडिट शुरू होने वाला है। इससे पहले सोमवार को होटल ब्राडवे में आयोजित सीए प्रोफेशनल ने सेमिनार में हिस्सा लिया और ऑडिट के नए प्रावधानों पर चर्चा की।

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वित्तीय वर्ष की शुरुआत में आरबीआइ की ओर से सभी सीए प्रोफेशनल को बैंकों की एक लिस्ट भेजी जाती है, जिसमें बैंकों से नियुक्ति पत्र पाने के बाद सीए ऑडिट शुरू करते हैं। इस साल पांच अप्रैल से 15 अप्रैल तक बैंकों में आडिट होगा। सेमिनार में विशेषज्ञों ने बताया कि बैंकों के 31 मार्च 2019 तक के सभी बैलेंस को सीए बारीकी से देखेंगे। सीए राजीव गुप्ता ने बताया कि आज का युग तकनीक का युग है। इस बदलते परिवेश में चार्टर्ड एकाउंटेंट को भी बैंक ऑडिट करने के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है। सीए अतुल अग्रवाल ने बताया कि सभी बैंकों का वर्ष 2018-19 के आडिट का आगाज हो चुका है। इस दौरान हमें बेहद सावधानी रखने की जरूरत है। सेमिनार का संचालन सीए सनी अग्रवाल ने किया। पुनीत कुमार रस्तोगी, अमित सिंघल, प्रदीप पंवार, गौरव सिंघल, नितिन मलिक का विशेष सहयोग रहा। अम्बरीश वशिष्ठ, अनुपम शर्मा, उमाकांत अग्रवाल, पवन, मनीष सहित करीब 400 सीए उपस्थित रहे।

बैंकों के एनपीए पर खास नजर

ज्यादातर सरकारी क्षेत्र के बैंक अपना एनपीए (नान परफार्मिग असेट) छिपाकर रखते हैं। रिपोर्ट में इसके विषय में वह नहीं बताते हैं। नीरव मोदी जैसे कारोबारी ने बैंक में जो फर्जीवाड़ा किया था। उसका रिकार्ड भी नहीं था, जिसकी वजह से ऑडिट में इसे नहीं पकड़ा जा सका। सेमिनार में वक्ताओं ने सभी को आगाह किया कि वह आडिट के दौरान हर बैंक के एनपीए को सामने लाएं।

पेनाल्टी का है प्रावधान

वक्ताओं ने बताया कि कंपनी लॉ में इस बार बदलाव किया गया है। पहले किसी भी फर्म को दो बार रिटर्न दाखिल करना पड़ता था। अब पांच बार करना होगा। इसके प्रावधान भी जटिल हो गए हैं। फर्म को डिपाजिट, रजिस्टर्ड आफिस, सक्रिय निदेशक की तस्वीर के साथ पूरी रिपोर्ट देनी होगी। इसमें फर्म के सामने खड़े होकर फर्म के निदेशक की तस्वीर लगाई जाएगी। ऐसा न करने पर 10 हजार से लेकर लाखों रुपये तक पेनाल्टी का भी प्रावधान है।


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