भाजपा के खिलाफ अगड़ी जातियों की 'जंग' कराएगी बसपा
नए फार्मूले के तहत बसपा तीन विधानसभा क्षेत्र प्रभारी बनाएगी। लोस चुनाव में जो अधिक वोट दिलाएगा, वही पाएगा टिकट।
मेरठ (प्रदीप द्विवेदी)। बसपा अपने पुराने सोशल इंजीनिय¨रग के फार्मूले को अब भाजपा के खिलाफ 'जंग' और 'लालच' के रूप में इस्तेमाल करने जा रही है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अधिक मतदाता वाली जातियों से तीन संभावित प्रत्याशी चुने जाएंगे। इनमें लोकसभा चुनाव में जो पार्टी को सबसे अधिक वोट दिला पाएगा वही विधानसभा के टिकट का हकदार होगा।
मेरठ में रविवार को मेरठ व सहारनपुर मंडल के कार्यकर्ता सम्मेलन में 2019 में जुटने की हुंकार तो थी ही, सोशल इंजीनिय¨रग की वापसी का साफ संकेत भी था। बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर भेजे गए विशेष दूत व गोरखपुर-बस्ती मंडल के मुख्य जोन प्रभारी घनश्याम चंद खरवार और वेस्ट यूपी प्रभारी शमसुद्दीन राईन ने साफ किया कि बसपा में व्यवस्था है कि जिसे विधानसभा टिकट मिलने की पूरी उम्मीद होती है उसे पहले ही विधानसभा क्षेत्र प्रभारी का पद दिया जाता है। यह वोट बैंक व रसूख के आधार पर तय होता है। ऐसे में आरक्षित सीट को छोड़कर बड़ी संख्या में टिकट में अगड़ी जातियों की हिस्सेदारी हो जाती है। मगर इस फार्मूले में अब मामूली परिवर्तन से चुनाव दिलचस्प होने वाला है। ज्यादा वोट की भागीदारी वाली तीन अगड़ी जातियों के दावेदारों को विधानसभा क्षेत्र प्रभारी बनाया जाएगा।
लोकसभा चुनाव में इनका प्रदर्शन देखा जाएगा। जो अपने प्रभाव क्षेत्र में बसपा को जीत या सबसे अधिक वोट दिलाएगा उसे ही विधानसभा का टिकट मिलेगा। इस तरह से अब अधिक वोट बैंक वाले अगड़ी जाति के नेता अपना टिकट पक्का करने के लिए पूरा जोर लगाएंगे। अपनी-अपनी जातियों पर खासतौर से पकड़ बनाने व वोट लेने के लिए जी-जान भी लगाएंगे। माना जा रहा है कि इससे जहां बसपा का वोट बढ़ेगा, वहीं भाजपा को मिलने वाला अगड़ी जातियों का वोट कम होगा। बसपा इस जंग का फायदा उठाएगी और भाजपा के अजेय रथ को उसका वोट माने जाने वाले अगड़ी जातियों के वोट से ही रोकने का प्रयास करेगी।