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रिश्वत ज्यादा, जेब कम..पैंट में जुगाड़ से भरी रकम

मेरठ। आवास विकास परिषद में संपत्तियों के आवंटन से लेकर फ्री होल्ड, नामांतरण और रजिस्ट्री

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 10:23 AM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2018 10:23 AM (IST)
रिश्वत ज्यादा, जेब कम..पैंट में जुगाड़ से भरी रकम
रिश्वत ज्यादा, जेब कम..पैंट में जुगाड़ से भरी रकम

मेरठ। आवास विकास परिषद में संपत्तियों के आवंटन से लेकर फ्री होल्ड, नामांतरण और रजिस्ट्री के नाम पर रिश्वत का खुला खेल चलता है। एक संपत्ति के नामांतरण करने के एवज में कनिष्ठ लेखाकार रामपाल भास्कर को 22 फरवरी को भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने 15 हजार रुपये रिश्वत के साथ दबोचा था। तलाशी में उसकी पैंट में से 6.93 लाख रुपये भी मिले थे, जो उसने छिपा रखे थे। ट्रैप सेल के प्रभारी कुंवर पाल सिंह ने सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई एफआइआर में इसका उल्लेख किया है। इसमें कहा कि नौशाद नाम के व्यक्ति से दुकान के नामांतरण करने के एवज में रिश्वत मांगी गई थी, जिसका मामला कोर्ट में चल रहा है। इस मामले में मंगलवार को प्रतिवादी राहुल राणा ने कोर्ट में वकालतनामा पेश किया। उन्होंने बताया कि वह आरोपित कनिष्ठ लेखाकार की बेल का विरोध करेंगे। उन्होंने बताया कि रंगे हाथ पकड़े जाने के दौरान जामातालाशी में रिश्वत के नोटों के अलावा उसके पास से मोबाइल फोन, पहचान पत्र, एटीएम, घड़ी, चेन और 6,93,000 रुपये भी बरामद हुए थे।

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विशेष रूप से बनवाई थी जेबें

इतनी बड़ी रकम कार्यालय में काम के दौरान जेब में मिलना आवास विकास परिषद के संपत्ति विभाग में चल रहे रिश्वत के खेल की ओर इशारा कर रहा है। कनिष्ठ लेखाकार ने पैंट में विशेष रूप से गहरी जेबें सिलवाई थीं, ताकि लाखों रुपये जेब में रखे होने के बावजूद सामने वाला भांप न सके।

56 भूखंड के फ्री होल्ड का मामला

कनिष्ठ लेखाकार आवास विकास परिषद की 56 संपत्ति को फ्री होल्ड करने के मामले में भी कटघरे में है। इन संपत्तियों पर अवैध रूप से दुकानों आदि कामर्शियल कार्यकलाप करने की बात है, जबकि यह आवासीय प्रयोग के लिए आंवटित की गई थीं। नियमानुसार ऐसी संपत्तियों को फ्री होल्ड नहीं किया जा सकता है। बताते चलें कि इस मामले में आवास विकास परिषद ने ध्वस्तीकरण के आदेश भी दे रखे हैं।


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