भाकियू ने तीन जगह चार घंटे कब्जाए रखे रेलवे ट्रैक
लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन ने सोमवार को मेरठ में तीन स्टेशनों के रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया। परतापुर सकौती और कंकरखेड़ा फ्लाईओवर के नीचे भाकियू कार्यकर्ताओं ने बारिश के बावजूद लगभग चार घंटे तक धरना-प्रदर्शन किया।
मेरठ, जेएनएन। लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन ने सोमवार को मेरठ में तीन स्टेशनों के रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया। परतापुर, सकौती और कंकरखेड़ा फ्लाईओवर के नीचे भाकियू कार्यकर्ताओं ने बारिश के बावजूद लगभग चार घंटे तक धरना-प्रदर्शन किया। हालांकि, सीमावर्ती जिलों में पहले से ही ट्रेनों को रोके जाने पर कोई भी ट्रेन मेरठ नहीं पहुंच सकी। तीनों स्थानों पर दोपहर तीन बजे के बाद राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रशासनिक अफसरों को सौंपा। जिसके बाद धरना समाप्त हुआ।
कंकरखेड़ा फ्लाईओवर के नीचे धरना
भाकियू पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी व गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में भाकियू कार्यकर्ता व किसान कंकरखेड़ा फ्लाईओवर के नीचे धरने पर बैठे। इंस्पेक्टर कंकरखेड़ा सुबोध कुमार सक्सेना जीआरपी जवानों के साथ मौके पर डटे रहे। दोपहर तीन बजे एडीएम सिटी अजय तिवारी व एसपी सिटी विनीत भटनागर पहुंचे। जिसके बाद पांच बिदुओं पर ज्ञापन सौंपा गया। बबलू जटौली, विनोद जटौली व सुशील पटेल व अन्य मौजूद रहे।
सकौती रेलवे स्टेशन पर सौंपा ज्ञापन
भाकियू नेता संजय दौरालिया व प्रशांत चौधरी के नेतृत्व में सकौती रेलवे स्टेशन पर बारिश के बीच किसानों ने धरना दिया। दोपहर बाद साढ़े तीन बजे एसडीएम सरधना व सीओ दौराला को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन देकर धरना समाप्त किया गया। नरेश चौधरी, अभय प्रधान, गुरप्रीत सिंह व महकार सिंह आदि मौजूद रहे।
परतापुर रेलवे स्टेशन पर किया प्रदर्शन
भाकियू नेता विजयपाल घोपला के नेतृत्व में परतापुर रेलवे स्टेशन पर किसानों ने धरना प्रदर्शन किया। दोपहर तीन बजे एसीएम ब्रह्मापुरी व सीओ ब्रहमपुरी किसानों के बीच पहुंचे और ज्ञापन लिया। दीपक घोपला, सुभाष घोपला, पवन गुर्जर, महबूब अली व निशांत भड़ाना आदि मौजूद रहे।
ये रहीं मुख्य मांगें
- केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की तत्काल बर्खास्तगी व 120बी के तहत मुकदमा दर्ज।
- तीनों कृषि कानूनों की वापसी।
- एमएसपी को कानून का दर्जा।
- नये विद्युत अधिनियम की वापसी।
- पराली के नाम किसानों का उत्पीड़न बंद हो।