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LokSabha Election 2019 : वेस्ट में विरोध के बीच कीचड़ में कैसे खिलेगा कमल

वेस्ट यूपी में भारतीय जनता पार्टी को इस बार कड़ी चुनौतियां का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी को ये चुनौती अपनों से ही मिलनी वाली है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 05:26 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 05:26 PM (IST)
LokSabha Election 2019 : वेस्ट में विरोध के बीच कीचड़ में कैसे खिलेगा कमल
LokSabha Election 2019 : वेस्ट में विरोध के बीच कीचड़ में कैसे खिलेगा कमल
मेरठ,जेएनएन। पहले चरण के चुनाव के लिए औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं। सीट तय है। प्रत्याशी भी घोषित किए जा चुके हैं। कई उम्मीदवार पर्चा दाखिल कर चुके हैं और बाकी बचे अंतिम दिन यानी सोमवार (आज) को नामांकन-पत्र दाखिल करेंगे। यानी रण सजा है और रणबांकुरे भी तैयार हैं। एक बात तो साफ हो चुकी है कि त्रिस्तरीय सर्वे में रिपोर्ट कार्ड खराब होने के बावजूद संसदीय बोर्ड ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों में से सात पर मौजूदा सांसदों को ही मौका दिया। हालांकि सत्ताधारी दल में हर सीट पर कई-कई दावेदार लाइन में थे।
प्रत्याशी बदलने पर जोर
सबने अपने-अपने तरीके से हाईकमान को यह भरोसा दिलाने की कोशिश भी की कि वह सबसे बेहतर साबित होगा, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने कैराना लोकसभा सीट को छोड़कर मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, नगीना और बुलंदशहर में पुराने दिग्गजों पर ही भरोसा जताया। ऐसी स्थिति में बाकी दावेदार बिदक गए। कुछ ने तो खुल्लम-खुल्ला एलान भी कर दिया कि यदि प्रत्याशी नहीं बदला गया तो पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कुछ पार्टी में हैं जरूर,लेकिन अनमने ढंग से। अब आशंका यह है कि कुछ विरोध में भितरघात कर सकते हैं और कुछ पार्टी अनुशासन का चोला ओढ़कर तटस्थ रहेंगे। यानी न प्रत्याशी के लिए वोट मांगेंगे न खुलेआम विरोध करेंगे। अब सवाल यह है कि विरोध के कीचड़ में कमल खिलेगा कैसे?
भितरघात का डर कम नहीं हुआ
बागपत लोकसभा सीट से डॉ. सत्यपाल सिंह लगातार दूसरी बार प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। हालांकि बागपत सीट से भाजपा विधायक योगेश धामा ने मजबूती से दावेदारी पेश की। समर्थकों संग दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी मिले थे। इसके अलावा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में डॉ. सत्यपाल सिंह के चुनावी सारथी रहे डॉ. गोविंद का नाम भी चर्चा में रहा। डॉ. गोविंद संघ से अपने संबंधों के चलते मजबूत दावेदार माने जाते रहे। अब डॉ. सत्यपाल का मुखर विरोध तो नहीं है, लेकिन भितरघात का डर कम नहीं हुआ है। हालांकि टिकट मांग रहे नेता यह अवश्य कह रहे हैं कि पार्टी उनके लिए सर्वप्रथम है। टिकट मांगना प्रत्येक कार्यकर्ता का अधिकार है।
ये थे दावेदार : बागपत विधायक योगेश धामा व डॉ.गोविंद।
इनका कहना है
लोकसभा क्षेत्र के पांचों विधायक मिलकर उन्हें चुनाव लड़ा रहे हैं। हम सभी भाजपा कार्यकर्ता एक हैं और पूरी ताकत से चुनाव मैदान में उतरे हैं।
-डॉ. सत्यपाल सिंह, सांसद व प्रत्याशी
भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोप
मेरठ-हापुड़ संसदीय सीट पर राजेंद्र अग्रवाल को लगातार तीसरी बार प्रत्याशी बनाया गया है। ऐसे में तमाम दावेदार विरोध पर उतर आए हैं। फेसबुक पर जहां एक विधायक को टैग करते हुए सांसद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, वहीं व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विनीत शारदा ने शीर्ष नेतृत्व को दो दिन में उम्मीदवार बदलने की चेतावनी तक दी थी। सिसौली गांव व अन्य कस्बों में सांसद के विरोध में बैनर तक टांगे गए। महानगर में मंडल अध्यक्षों एवं गांवों में बूथ स्तर तक सांसद का विरोध जारी है। उधर, रणनीतिकारों को उम्मीद है कि 26 मार्च को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और 28 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से अंदरूनी घमासान बंद हो जाएगा। अब ज्यादातर दावेदारों ने चुनाव प्रचार अभियान से दूरी बना ली है। हालांकि कोई निर्दलीय के रूप में ताल ठोकने को तैयार भी नहीं है।
ये थे दावेदार : पूर्व विधायक अमित अग्रवाल,क्षेत्रीय उपाध्यक्ष संजीव सिक्का,लक्ष्मीकांत बाजपेयी,महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल व विनीत शारदा।
प्रत्याशी का जमकर विरोध
कैराना लोकसभा सीट पर गंगोह (सहारनपुर) के विधायक प्रदीप चौधरी को टिकट दिया गया है। जद्दोजहद के बाद बीते शनिवार को भाजपा ने प्रदीप चौधरी के नाम का एलान किया तो सियासत में भूचाल आ गया। संभावित प्रत्याशी रही मृगांका सिंह के समर्थकों ने नारेबाजी की और जमकर हंगामा काटा। वहीं मायापुर फार्म हाउस पर पंचायत का दौर जारी है। कलस्यान खाप मृगांका के पक्ष में खड़ी है। मृगांका सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने की चर्चा है। भितरघात की आशंका भी है। वहीं मृगांका सिंह ने कहा कि पार्टी की सच्ची सिपाही हूं। समर्थकों में जोश और गुबार जरूर है। सभी मिलकर पार्टी के आदेश का पालन करेंगे।
ये थे दावेदार : मृगांका सिंह, प्रसन्न चौधरी, हरबीर मलिक, डॉ. प्रियंवदा तोमर, यतेंद्र पंवार, चौ. महंगी सिंह व नरेंद्र कश्यप।
अंदरूनी हलचल शुरू
बुलंदशहर संसदीय सीट पर मौजूदा सांसद डॉ. भोला सिंह को भी लगातार दूसरी बार प्रत्याशी बनाया गया है। पार्टी ने तीन दिन तक टिकट होल्ड रखने के बाद जब उनके नाम की घोषणा की तो अंदरूनी हलचल शुरू हो गई। इसे लेकर पार्टी में सांसद के खिलाफ चिंगारी सुलग रही है। पार्टी कार्यालय पर तीन बार सांसद के विरुद्ध प्रदर्शन तक किया जा चुका है। कुछ गांवों में उनके विरोध में पोस्टर भी लगाए गए और ऑडियो-वीडियो जारी हुए हैं।
ये थे दावेदार : अशोक प्रधान,मीनाक्षी सिंह व पूर्व विधायक होराम सिंह
इनका कहना है
लोकतंत्र में टिकट मांगने का अधिकार सबको है, लेकिन हाईकमान का निर्णय सर्वमान्य होता है। विरोध जैसी कोई बात नहीं है। यदि कोई नाराज भी है तो उसे मना लिया जाएगा।
- डॉ.भोला सिंह,सांसद व प्रत्याशी
सोशल मीडिया पर विरोध शुरू
नगीना संसदीय सीट से प्रत्याशी घोषित किए गए सांसद डॉ. यशवंत सिंह को लेकर सोशल मीडिया पर विरोध शुरू है। फेसबुक एक व्यक्ति ने यहां तक कह दिया है कि मोदीजी! माफ करना इन्हें हम वोट नहीं देंगे। लोगों का यह भी कहना है कि सांसद के बाहरी होने के कारण ही नगीना में विकास कार्य नहीं हुए। पिछले दिनों सांसद ने अनुसूचित जाति को लेकर प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र लिखा था। पत्र में कहा था कि पार्टी में घुटन हो रही है। इसे लेकर सांसद का टिकट कटना तय माना जा रहा था।
ये थे दावेदार : यशवीर सिंह धोबी, विधायक ओमकुमार, सुरेश राठौर व सुभाष वाल्मीकि।
इनका कहना है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को देखते हुए बिना शर्त भाजपा में शामिल हुआ हूं। सभी को टिकट मांगने का अधिकार है। हाईकमान का फैसला सवरेपरि है। पूरी निष्ठा के साथ भाजपा प्रत्याशी को चुनाव लड़ाएंगे। पार्टी जहां भी उनका इस्तेमाल करना चाहे करे। वह भाजपा के लिए वोट मांगेंगे।
- यशवीर सिंह धोबी,पूर्व सांसद
टिकट के रही मारामारी
बिजनौर लोकसभा सीट पर सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह लगातार दूसरी बार मैदान में हैं। यहां भी टिकट को लेकर मारामारी रही। जिले के अलावा मुजफ्फरनगर के नेताओं ने भी हाईकमान के सामने अपना पक्ष रखा। करीब छह दावेदार दौड़ में थे। हालांकि गठबंधन प्रत्याशी के जातीय समीकरण को देखते हुए हाईकमान ने हिदुत्व का चेहरा कहे जाने वाले सांसद को ही अवसर दिया है,लेकिन कई स्थानों पर उनके खिलाफ प्रदर्शन शुरू है। पुतले तक फूंके जा रहे हैं। कुछ ने वोट न देने का एलान किया है।
ये थे दावेदार : रावेंद्र सिंह, कविता चौधरी,पूर्व मंत्री सुधीर बालियान,डॉ. प्रियंवदा तोमर व डॉ. वीरपाल निर्वाल।
रिपोर्ट कार्ड खराब होने और टिकट कटने के अलावा फिल्म स्टार सनी देओल के मैदान में आने की जबर्दस्त चर्चा के बीच सांसद डॉ. संजीव बालियान हाईकमान का भरोसा जीतने में कामयाब रहे। शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर दोबारा मौका दिया है। कोई सीधा विरोध तो नहीं,लेकिन भितरघात की पूरी आशंका है।
ये थे दावेदार : पूर्व सांसद सोहनवीर सिंह, पूर्व मंत्री अनुराधा चौधरी व यशपाल बालियान।
इनका कहना है
हाईकमान ने काफी पहले जनता के बीच जाकर मेहनत से काम करने का संदेश दे दिया था। पांच साल कार्य करने के बाद कुछ कार्य अधूरे रह गए हैं, जिन्हें पूरा करने का प्रयास करुंगा।
- डॉ.संजीव बालियान,सांसद व प्रत्याशी
दोबारा शीर्ष नेतृत्व की पसंद बने
सहारनपुर लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद राघव लखन पाल शर्मा लगातार दोबारा शीर्ष नेतृत्व की पसंद बने। यहां भी उम्मीदवारी को लेकर तमाम विरोधी खेमे सक्रिय रहे। वहीं आरोप लगते रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में सांसद के समर्थकों ने शहर सीट पर पार्टी प्रत्याशी का विरोध किया था। अब आशंका है कि लोकसभा चुनाव में सांसद को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। सांसद पर समर्थकों की अनदेखी का भी आरोप है, जिससे समर्थक पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ देखे जा रहे हैं।
ये थे दावेदार : देवबंद विधायक कुंवर ब्रिजेश सिंह,बेहट के पूर्व विधायक महावीर राणा,पूर्व विधायक मनोज चौधरी व राजीव गुंबर। 

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