सर्किट हाउस में उपमुख्यमंत्री से मिले भाजपाई
उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा सोमवार देर शाम सर्किट हाउस पहुंचे। वह यहां रात्रि विश्राम करेंगे फिर सुबह रवाना हो जाएंगे। सर्किट में उनसे मिलने भाजपा के तमाम नेता व कार्यकर्ता पहुंचे। जिले की प्रशासनिक अपराध आदि की स्थिति बताई व संगठन के बारे में चर्चा की।
मेरठ, जेएनएन। उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा सोमवार देर शाम सर्किट हाउस पहुंचे। वह यहां रात्रि विश्राम करेंगे फिर सुबह रवाना हो जाएंगे। सर्किट में उनसे मिलने भाजपा के तमाम नेता व कार्यकर्ता पहुंचे। जिले की प्रशासनिक, अपराध आदि की स्थिति बताई व संगठन के बारे में चर्चा की। इसमें श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुनील भराला, महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल, विधायक सतवीर त्यागी, अजय भराला, आशीष अग्रवाल, दीपक शर्मा, संजय त्रिपाठी, मनोज शास्त्री व राजकुमार शर्मा आदि शामिल रहे।
हस्तिनापुर को द्रौपदी के श्राप से कब मिलेगी मुक्ति
मेरठ, जेएनएन। : मुख्यमंत्री बिजनौर से गंगा यात्रा की शुरुआत कर गए और रामराज में विकास कराने का आश्वासन दे गए लेकिन ऐतिहासिक व पौराणिक हस्तिनापुर की जमीन पर कदम पड़ने से पहले ही फिर दूर हो गए। एक बार फिर यही सवाल कौंध गया कि आखिर हस्तिनापुर को द्रौपदी के श्राप से कब मुक्ति मिलेगी।
चंडीगढ़ व हस्तिनापुर के पुनर्निर्माण की नींव पूर्व प्रधानमंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू ने एक ही दिन रखी थी। जहां चंडीगढ़ का तेजी से विकास हुआ, वहीं महाभारतकालीन ऐतिहासिक नगरी हस्तिनापुर उतनी ही पिछड़ती गई। विकास की गंगा में गोता लगाने की बजाए यहां के लोग बाढ़ की विभीषिका झेलते रहे। उद्योग धंधों में यहां कताई मिल लगी लेकिन वह भी कुछ दिन बाद बंद हो गई। पर्यटन में यह क्षेत्र आजतक पिछड़ा हुआ है। कृष्ण सर्किट के साथ यहां भी उम्मीद जगी थी लेकिन फिर फिसल कर जहां थे वहीं पहुंच गए। गंगा यात्रा से मुख्यमंत्री के आने की उम्म्ीद जगी लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई।
ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल है हस्तिनापुर
ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल होने के बावजूद कर्ण मंदिर, द्रौपदी घाट, पांडेश्वर मंदिर समेत अनेक धरोहर आज भी विकसित नहीं हो पा रही हैं। हस्तिनापुर पर्यटन की दृष्टि से आज भी विकास के लिए छटपटा रहा है। जैन समुदाय का तीर्थ होने के साथ मेरठ जनपद का मखदूमपुर घाट है जहां हर वर्ष लाखों लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं।
रेल मार्ग के लिए सर्वे भी पड़ा अधूरा
हस्तिनापुर को पर्यटन के साथ रेल मार्ग से जोड़ने के लिए कई बार रेल मंत्रालय द्वारा सर्वे हुआ और उम्मीद जगी कि जल्द ही देश की राजधानी से यह सीधे जुड़ जाएगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उधर, हर वर्ष केंद्र व प्रदेश के बजट पर हस्तिनापुर वासियों की नजर रहती है लेकिन उम्मीदें धरी रह जाती हैं।