कैराना-नूरपुर उपचुनाव में एकजुट विपक्ष के आगे भाजपा पस्त, पढ़ें हार की पांच वजह
अपराधियों के भय से पलायन को लेकर देशभर में चर्चित कैराना में मोदी बनाम ऑल की लड़ाई में भाजपा हार गई। नूरपुर में भी यही हुआ। दोनों भाजपा सिटिंग थीं।
मेरठ (जेएनएन)। अपराधियों के भय से पलायन को लेकर देशभर में चर्चित कैराना में मोदी बनाम ऑल की लड़ाई में भाजपा हार गई। नूरपुर में भी यही हुआ। दोनों भाजपा की सिटिंग सीटें थीं। सांसद हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई कैराना लोकसभा सीट पर उनकी बेटी मृगांका सिंह मैदान में थीं, तो विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह की असामयिक मृत्यु के बाद नूरपुर की सीट पर उनकी पत्नी अवनी सिंह को प्रत्याशी बनाया गया था। भाजपा को दोनों जगह बड़ी उम्मीद थी, लेकिन सहानुभूति की एक लहर तक नहीं उठी। मुख्यमंत्री ने सभा की, मंत्रियों ने डेरा डाला, भाजपा संगठन ने दिन-रात एक कर दिया लेकिन एकजुट विपक्ष के आगे पार्टी असहाय हो गई। भाजपा ने 44618 से कैराना और 5678 वोट से नूरपुर की सीट गंवा दी। भाजपा की सबसे ज्यादा दुर्गति राज्यमंत्री सुरेश राणा व धर्मवीर सिंह सैनी के गढ़ में हुई।
हार की पांच प्रमुख वजह
- कैराना व नूरपुर में मुस्लिमों का ध्रुवीकरण।
- गन्ना भुगतान को लेकर किसानों की नाराजगी।
- एससी-एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर दलितों में नाराजगी।
- भाजपा की अंतर्कलह व बाहरी नेताओं को तरजीह देना।
- भाजपा के परम्परागत वोटर का उदासीन होना।
कैराना लोकसभा व नूरपुर विधानसभा सीट पर 28 मई को मतदान हुआ था। सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस की एकजुटता से बने महागठबंधन से पूर्व तबस्सुम हसन को कैराना और नूरपुर से नईमुल हसन को प्रत्याशी बनाया गया था। महागठबंधन ने मुस्लिम, दलित, जाट समीकरण के आधार पर चुनावी रणनीति तैयार की थी। गुरुवार को आए परिणाम में महागठबंधन के प्रयोग पर जनता ने जीत की मोहर लगा दी। कैराना व नूरपुर में मतगणना के शुरुआत से अंत तक भाजपा पिछड़ती रही। 28 चक्र तक चली मतगणना में महागठबंधन प्रत्याशी तबस्मुम हसन ने मृगांका सिंह को 44618 वोट से शिकस्त दी। पांच में तीन विधानसभा में भाजपा की बड़ी दुर्गति हुई।
राज्यमंत्री सुरेश राणा की थानाभवन विधानसभा में भाजपा 16336 वोट से हारी, जबकि इसी लोकसभा से दूसरे राज्यमंत्री धर्मवीर सिंह सैनी की नकुड़ विधानसभा से मृगांका सिंह 28117 वोट से पिछड़ गईं। गंगोह विधानसभा में अपना विधायक प्रदीप चौधरी होने के बाद भी भाजपा 12263 वोट से पिछड़ गई। कैराना विधानसभा में भाजपा को चौंकाने वाली 14203 वोट की बढ़त मिली। इसे सहानुभूति वोट के रूप में देखा जा रहा है। शामली में भाजपा किसी तरह 414 वोट से जीत हासिल कर अपनी इज्जत बचा पाई।
कैराना लोकसभा सीट पर आए परिणामों को भाजपा की अंतर्कलह, कार्यकर्ताओं की उदासीनता, पिछड़ों में बंटवारे व सत्ता से नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है। दलितों की पसंद भी गठबंधन प्रत्याशी रहा। नूरपुर में नईमुल हसन ने 94866 तथा अवनी सिंह ने 89188 वोट हासिल किए। यहां भाजपा प्रत्याशी अवनी सिंह पिछले विधानसभा चुनाव से दस हजार ज्यादा वोट हासिल करने के बाद भी चुनाव हार गईं।
कैराना में जाटों ने रालोद तो नूरपुर में भाजपा को अपनाया
कैराना में भाजपा के पूरी ताकत झोंकने के बाद भी जाट मतदाता रालोद के साथ खड़े दिखे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान, केन्द्रीय मंत्री सत्यपाल व तमाम जाट विधायक यहां कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए, जबकि रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह व जयंत चौधरी ने कैराना में दिन-रात प्रचार किया। नूरपुर में ज्यादातर जाट मतों के भाजपा के पाले में जाने की चर्चा है।