भाजपा में फिर तेज हुई बदलाव की सुगबुगाहट
कार्यसमिति के सफल आयोजन से अश्विनी मजबूत, अब बदलाव में दिखाएंगे ताकत। महानगर एवं जिलाध्यक्ष समेत आधा दर्जन के पद संकट में, प्रदेश इकाई भी गंभीर।
मेरठ। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद अब पश्चिमी उप्र के सियासी बदलाव पर नजरें टिकी हैं। आधा दर्जन से ज्यादा जिला संगठनों में फिर तब्दीली की चर्चा है। प्रदेश कार्यसमिति के सफल आयोजन के बाद मजबूत होकर उभरे क्षेत्रीय अध्यक्ष अश्विनी त्यागी अपने पसंदीदा चेहरों पर दांव खेल सकते हैं।
प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल के नजदीकी अश्विनी त्यागी को छह माह पहले क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। कैराना एवं नूरपुर उपचुनावों में उनकी कड़ी परीक्षा रही, जहां पार्टी हार गई। इधर, अश्विनी त्यागी ने क्षेत्रीय टीम बनाई तो तमाम जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। मोहित बेनीवाल जैसे नए चेहरों को क्षेत्रीय महामंत्री बनाने पर आलोचना भी हुई किंतु प्रदेश कार्यसमिति में अश्विनी ने कार्यकर्ताओं से बेहतर कनेक्ट रखा। खेमेबाजी को बेअसर किया। विधायकों और जिला एवं महानगर अध्यक्षों से ज्यादा कार्यकर्ताओं को तवज्जो दी, जिसकी तारीफ सुनील बंसल भी कर चुके हैं। अब वह बदलाव के लिए ताकत झोंकेंगे। पार्टी की मानें तो मेरठ, हापुड़, बागपत, शामली समेत करीब सात जिला एवं महानगर अध्यक्ष बदले जाएंगे। कई पुराने चेहरों का समायोजन भी होगा। जिलाध्यक्ष शिव कुमार राणा, महानगर अध्यक्ष करुणेशनंदन गर्ग पर ठेकेदारों को शह देने, अधिकारियों का तबादला कराने व वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगता रहा है।
जिला एवं महानगर इकाइयों में महामंत्री ही अपने अध्यक्ष को घेरने में जुटे हैं। संघ ने भी संगठन में फेरबदल का इनपुट दिया है। उधर, इनके विकल्प के रूप में तमाम चेहरे चर्चा में हैं, जिसका संकेत प्रदेश कार्यसमिति में दिखाई पड़ा।
महानगर अध्यक्ष के प्रमुख दावेदारों में शुमार मुकेश सिंघल व जिला अध्यक्ष की रेस लगा रहे नरेश गुर्जर को कार्यसमिति बैठक में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई।
महानगर अध्यक्ष करुणेश के सहयोगी विवेक रस्तोगी क्षेत्रीय अध्यक्ष का भरोसा जीतने में सफल हुए हैं, जबकि कैंट विधायक के विरोध के बावजूद महानगर महामंत्री संजय त्रिपाठी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे के करीबी होने से मजबूत बने। इधर, पूर्व विधायक रवींद्र भड़ाना, क्षेत्रीय महामंत्री मुंशीलाल गौतम, बिजेंद्र अग्रवाल, परविंदर विश्वकर्मा, अरुण वशिष्ठ, विमल शर्मा, शिवकुमार राणा एवं जितेंद्र वर्मा समेत कई चेहरों को खास तवज्जो नहीं मिली, जिसकी चर्चा रही।