Move to Jagran APP

Bharat Bhushan Birthday: मेरठ का भारत, बॉलीवुड का भूषण, जानिए क्रांतिधरा से क्‍या था इनका कनेक्‍शन

भले ही जिंदगी के अंतिम पड़ाव में बॉलीवुड ने भारत भूषण को भुला दिया हो लेकिन उनकी जन्मस्थली मेरठ के लोगों के जहन में उनकी यादें आज भी चस्पा हैं।

By Prem BhattEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 12:10 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 12:41 PM (IST)
Bharat Bhushan Birthday: मेरठ का भारत, बॉलीवुड का भूषण, जानिए क्रांतिधरा से क्‍या था इनका कनेक्‍शन
Bharat Bhushan Birthday: मेरठ का भारत, बॉलीवुड का भूषण, जानिए क्रांतिधरा से क्‍या था इनका कनेक्‍शन

मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। बैजू बावरा जैसी कालजयी फिल्म से ट्रेजडी किंग बने फिल्म अभिनेता भारत भूषण अगर आज हमारे बीच होते तो उनकी जन्मशती मन रही होती। भले ही जिंदगी के अंतिम पड़ाव में बॉलीवुड ने भारत भूषण को भुला दिया हो, लेकिन उनकी जन्मस्थली मेरठ के लोगों के जहन में उनकी यादें आज भी चस्पा हैं। भारत भूषण भी अपनी जन्मभूमि से मोहब्बत करते थे।

loksabha election banner

सदर ढोलकी मोहल्ले में आकर बसे

मेरठ शहर में सदर ढोलकी मोहल्ले के बोरी बारदाना चौराहे के पास भारत भूषण के पिता रायबहादुर मोती लाल अलीगढ़ से आकर बस गए थे। यहीं पर 14 जून 1920 में भारत भूषण का जन्म हुआ। भारत भूषण का विवाह भी शहर के राय बहादुर बुधप्रकाश की बेटी से हुआ था। बचपन से अभिनय के शौक के चलते 1955 में मेरठ छोड़कर मुंबई चले गए। कुछ फिल्में फ्लॉप होने के चलते उनकी माली हालत खराब हो गई। उनका अंतिम समय बेहद तंगहाली में गुजरा। 27 जनवरी 1992 को निधन हो गया।

1958 में बेच दी थी कोठी

सदर में स्थित भारत भूषण की कोठी के मालिक दर्शन लाल हैं। वह बताते हैं कि भारत भूषण के पिता भी मेरठ से चले गए थे। 1958 में भारत भूषण ने यह कोठी उनके पिता कस्तूरी लाल को बेच दी थी।

पत्नी के निधन के बाद टूट गए थे: ज्ञान दीक्षित

भारत भूषण के दोस्त और फिल्म फोटोग्राफर ज्ञान दीक्षित बताते हैं कि पत्नी के निधन के बाद वह टूट से गए थे। उन्होंने भारत भूषण की कुछ फिल्मों में शूटिंग के समय फोटोग्राफी की। शहर निवासी राजकुमार कौशल बताते हैं कि उन्होंने अपनी फिल्म मैं वही हूं के लिए भारत भूषण को साइन किया था, लेकिन शूटिंग शुरू होने से पहले उनका निधन हो गया।

अभिनेता के पिता ने छिपकर देखी थी फिल्म

उनकी बेटी व रामायण में मंदोदरी का किरदार निभा चुकीं अपराजिता भूषण ने बताया कि भारत भूषण के पिता उनके फिल्मों में काम करने का विरोध करते थे। उन्होंने बैजू बावरा सरीखी कई विख्यात फिल्मों में अभिनय से दुनियाभर में नाम कमाया। भारत भूषण के पिता ने भी बैजू बावरा फिल्म छिपकर देखी। इसके बाद वह मुंबई गए और बेटे को गले से लगा लिया। कहा, मैं गलत था। तुम इसके लिए ही बने हो।

विद्याभूषण ने की थी आर्थिक मदद

दिलशाद सैफी, मुजफ्फरनगर। भारत भूषण की एक फिल्म निर्माण की बाबत ऐतिहासिक तथ्यों को पढ़ने की ख्वाहिश थी तो वह 70 के दशक में मुजफ्फरनगर खिंचे चले आए। उन्होंने शुकतीर्थ, कैराना और वहलना के बारे में जानकारियां जुटाईं थीं। यह शहर उन्हें ऐसा रास आया कि वह यहां अक्सर चले आते थे। मुजफ्फरनगर में वह मदन गोपाल, पत्रकार देवेंद्र गुप्ता और कीर्ति भूषण के संपर्क में रहे। कीर्ति भूषण बताते हैं कि भारत भूषण तीन दिन उनके आवास पर रहे। यहीं पर दूसरा ताजमहल फिल्म की पटकथा तैयार की गई। फिल्म की चार रील शूट करने में तीन लाख का खर्च आंका गया। उस वक्त उनकी माली हालत अच्छी नहीं थी। तत्कालीन चेयरमैन विद्याभूषण ने मदद के तौर पर छह लाख रुपये भारत भूषण को दिए थे, लेकिन यह फिल्म पूरी नहीं हो सकी। भारत भूषण एक बार अपने मित्रों के साथ शहर में घूम रहे थे तो यहां के आधा दर्जन सिनेमाघरों में उनकी अभिनीत फिल्म लगी थी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.