जैव विविधता दिवस 2020: हस्तिनापुर के वेटलैंड पर लॉकडाउन का असर, तापमान में कमी से प्रवासी पक्षियों काा लंबा विश्राम
Biodiversity Day 2020 हर साल हस्तिनापुर के वेटलैंड पर प्रवासी पक्षी तापमान बढ़ते ही यहां से विदा हो जाते थे। इस बार अप्रैल के अंत तक प्रवासी पक्षी यहीं विश्राम करते रहे।
मेरठ, जेएनएन। जैव विविधता में असंतुलन भी कहीं ना कहीं कोरोना जैसे संकट के लिए जिम्मेदार है। जब कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया तो पर्यावरण की अलग ही तस्वीर उभरकर आई। इसमें सबसे बड़ा बदलाव तापमान में आई गिरावट है। इस गिरावट ने प्रवासी पक्षियों को एक अनुकूल परिवेश भी दिया। यही कारण है कि प्रवासी पक्षियों ने यहां लंबा विश्राम किया।
सुनाई दे रही गोरैया की चहचहाहट
मई में पिछले साल के मुकाबले तापमान में कमी दर्ज की गई है। वाहनों की कम आवाजाही से शहर में हरे-भरे पेड़ दिख रहे हैं। कई घरों और कॉलोनियों में गोरैया की चहचहाहट सुनाई दे रही है। हर साल हस्तिनापुर के वेटलैंड पर प्रवासी पक्षी तापमान बढ़ते ही यहां से विदा हो जाते थे। इस बार अप्रैल के अंत तक प्रवासी पक्षी यहीं विश्राम करते रहे। हस्तिनापुर वेटलैंड पर प्रवासी पक्षियों पर अध्ययन करने वाले चौ. चरण ङ्क्षसह विवि में जंतु विज्ञान के प्रोफेसर एके चौबे बताते हैं कि इस बार प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ी है। पिछले साल जो पक्षी मार्च के महीने में वेटलैंड से चले गए थे, वे इस बार अप्रैल के आखिर तक रहे हैं। आने वाले समय में तापमान में गिरावट और अच्छी मानसून के आसार बन रहे हैं। इससे हस्तिनापुर के वेटलैंड का क्षेत्र भी बढ़ सकता है। वेटलैंड पर अतिक्रमण न होने से इस बार फर्क दिखेगा। जाड़े के दिनों में प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ेगी। प्रवासी पक्षियों की जैवविविधता को बनाए रखने में अहम भूमिका है।
हस्तिनापुर में प्रवासी पक्षियों के आंकड़े
वर्ष प्रजातियां संख्या
2019 43 2702
2020 45 3105
क्यों मनाते हैं जैव विविधता दिवस
जीव-जंतुओं और पौधों के बीच संतुलन जरूरी है। धरती पर इनका संतुलन बनाए रखने के लिए हर साल 22 मई को विश्व जैव विविधता दिवस मनाया जाता है। जैव विविधता न होने की वजह से धरती पर कभी बाढ़, तो कभी सूखा, चक्रवात, तूफान यहां तक की कई तरह की बीमारियों के फैलने का भी खतरा रहता है।
पर्यावरण की शुरु होगी पढ़ाई
जैव विविधता बनाए रखने के लिए पर्यावरण पर ध्यान देना भी जरूरी है। इसके लिए पर्यावरण शिक्षा का अपना महत्व है। चौ. चरण ङ्क्षसह विवि में इस बार एमएससी पर्यावरण विज्ञान की पढ़ाई फिर से शुरू होने वाली है। बोर्ड आफ स्टडीज इसे स्वीकृति दे चुका है। पर्यावरण विज्ञान में कोरोना वायरस को भी एक टॉपिक के तौर पर जोड़ा गया है।