बुआ मायावती के रूठे स्वजनों को 'तोड़ेंगे' चंद्रशेखर Meerut News
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने कई बसपा नेताओं से की मुलाकात। युवा सेवा समिति के बदर अली संग बनाई जा रही रणनीति।
मेरठ, जेएनएन। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने पहले मायावती को बुआ कहकर बसपाइयों के दिल में उतरने की कोशिश की। खासकर दलित नेताओं के। अब जब दबी-छिपी रणनीति सधती हुई दिखाई दी तो अब बसपा के रूठे नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी बनाने का एलान करने जा रहे हैं। 15 मार्च को दिल्ली में नई पार्टी का एलान होगा जिसमें मेरठ के भी कई बसपाई अन्य पार्टियों के नेता शामिल होने का दावा किया जा रहा है।
बुधवार को मेरठ में बागपत रोड पर गुपचुप बैठक हुई। जिसमें बसपा के कई नेता शामिल हुए। नाम भी जारी हुए और फोटो भी। बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष डा. सुभाष प्रधान का भी नाम आया और फोटो में अस्पष्ट रूप से दिखाई भी दे रहे हैं। हालांकि उन्होंने इन्कार किया कि वह बैठक में नहीं गए थे। वह बसपा के सच्चे सिपाही हैं और बसपा में ही मरते दम तक रहेंगे। उन्हें जिलाध्यक्ष बनाया तो उस अहसान को कैसे भूल सकते हैं। दावे के अनुसार बसपा के पूर्व विधायक प्रत्याशी विनय कुराली, पूर्व जिला प्रभारी ओमपाल खादर, पूर्व जिला महासचिव डा. ओमप्रकाश, पूर्व कोर्डिनेटर भारत वीर गुर्जर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य डा. राजेंद्र गौतम, पूर्व जिला प्रभारी सुरेंद्र रछौती आदि शामिल थे। जिन प्रदीप गुर्जर के घर बैठक हुई वह भी बसपा के ही हैं। इस पूरी रणनीति में बदर अली शुरुआत से ही साथ हैं। बदरअली की युवा समिति से नगर निगम में पांच पार्षद हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के हिसाब से चंद्रशेखर का साथ पकड़ लिया है। बदर अली का कहना है कि दलित-मुस्लिम समीकरण से पश्चिम का राजनीतिक परिदृश्य बदल जाएगा। 15 को जब पार्टी का एलान होगा तो सपा के मुस्लिम भी मंच दिखाई देंगे। बसपा के तमाम नेता पार्टी से असंतुष्ट हैं, जो चंद्रशेखर से जुड़ चुके हैं।
चंद्रशेखर के हुए बसपा के पूर्व शहर अध्यक्ष
बसपा के पूर्व शहर अध्यक्ष चतर सिंह जाटव शुरू से लेकर अब तक बसपा में ही रहे हैं। वह कुछ समय पहले चंद्रशेखर से प्रभावित हुए और अब बसपा छोड़कर भीम आर्मी का दामन थाम लिया है।