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जल्दी-जल्दी उग हो सूरज देव..भइल अरघ के बेर

हे छठी मइया, सुन ल अरजिया हमार..पहन के लाल चोला छठी मइया मेरे घर आना..कांच ही बांस की बहंगिया, बहंगी लचकत जाए..जैसे गीत गाकर श्रृद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। पानी में खड़े होकर छठी मइया को फल की टोकरी भेंट की। पूजा-अर्चना के बाद श्रृद्धालु फिर टोकरी को सिर पर रखकर घरों को लौटे। अब बुधवार तड़के उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देने आस्था फिर उमड़ेगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 05:00 AM (IST)
जल्दी-जल्दी उग हो सूरज देव..भइल अरघ के बेर
जल्दी-जल्दी उग हो सूरज देव..भइल अरघ के बेर

मेरठ । हे छठी मइया, सुन ल अरजिया हमार..पहन के लाल चोला छठी मइया मेरे घर आना..कांच ही बांस की बहंगिया, बहंगी लचकत जाए..जैसे गीत गाकर श्रृद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। पानी में खड़े होकर छठी मइया को फल की टोकरी भेंट की। पूजा-अर्चना के बाद श्रृद्धालु फिर टोकरी को सिर पर रखकर घरों को लौटे। अब बुधवार तड़के उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देने आस्था फिर उमड़ेगी।

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छठ पूजा का महापर्व वैसे तो शहर के कई स्थानों पर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, लेकिन सबसे बड़ा आयोजन गगोल तीर्थ सरोवर पर हुआ। दोपहर दो बजे से ही यहां आस्था उमड़ने लगी थी। टोकरी व सूप में नारियल, फल-फूल, मूली, अदरक, सुथनी, केला, ईख, ठेकुआ, दीपक और पूजन सामग्री लेकर लोग पहुंचे। कई किमी नंगे पांव चलकर श्रृद्धालुओं का गगोल तीर्थ जैसे-जैसे आगमन हो रहा था, वैसे-वैसे यहां का वातावरण आध्यात्मिक होता गया। सूरज ढलने से पहले हजारों लोग परिवार समेत छठी मइया की भक्ति में लीन अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने की प्रतीक्षा करते रहे। जैसे ही यह शुभ घड़ी आई व्रतियों ने दीपक जलाए। हाथ में टोकरी और जलते हुए दीपक के साथ व्रतियां पानी में उतर गई और सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। इसी तरह शहर में चौधरी चरण सिंह विवि परिसर, गंगानगर, मोदीपुरम, रामताल वाटिका, जेलचुंगी, प्रभातनगर, कसेरूखेड़ा, रिठानी, सेक्टर एक शताब्दी नगर पानी की टंकी पार्क में भी अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया गया। राम ताल वाटिका में श्रृद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। बड़े ही हर्षोल्लास से यहां अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया गया।

कोसी बनाकर की पूजा-अर्चना

मनौती पूरी होने और मनोकामना को लेकर श्रृद्धालुओं ने सरोवर किनारे ईख की कोसी बनाकर पूजा-अर्चना की। इस दौरान व्रतियों ने पांच गन्ने को ऊपर से बांधा। नीचे दीया जलाया। पांच गन्ने इस बात का संकेत होते हैं कि शरीर पंच तत्व से बना होता है।

दीवाली जैसा रहा नजारा

सूरज ढलने के साथ ही छठ पूजा का उल्लास चरम पर था। बच्चे-बड़े सभी दीवाली की तरह आतिशबाजी करने में जुट गए। देखते ही देखते सतरंगी छटा गगोल तीर्थ पर छा गई।

मेले का उठाया लुफ्त

गगोल तीर्थ पर मेले का आयोजन भी हुआ। यहां कपडे़ से लेकर खानपान और श्रंगार की दुकानें लगाई गई। जहां महिलाओं ने जमकर खरीदारी की तो परिवार के साथ पहुंचे बच्चों ने खानपान का आनंद उठाया।

स्टाल लगाकर चाय पिलाई

इस दौरान मेरठ नागरिक मंच की ओर से मेले में एक स्टाल लगाया गया। जहां लोगों को चाय पिलाई गई। इसके साथ ही अन्य छोटे छोटे पंडाल भी लगाए गए। जहां भक्तों को बैठने का इंतजाम रहा।

चप्पे-चप्पे पर रही सुरक्षा

गगोल तीर्थ में मेले और सूर्य उपासना के पर्व पर उमड़ने वाली आस्था को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात रहा। कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी पहुंचे। यातायात और पार्किंग सहित लाइट की व्यवस्था बेहतर रही।

घूंघट में पहुंची बहुएं

नई नवेली बहुएं परिजनों के साथ सज-धज कर पूजा के लिए पहुंचीं। खास बात ये रही कि भारतीय परंपरा का निर्वहन करते हुए बड़ों के सामने घूंघट में रहीं।

बैंड की धुन, सेल्फी में रहे मगन

आस्था के इस सैलाब को हर कोई अपने मोबाइल कैमरे में कैद करने को बेताब दिखा। बच्चे से बड़ों तक में यह क्रेज रहा। वहीं, कई परिवार ढोल नगाड़े के साथ पहुंचे।

भोजपुरी गीतों से गूंजा गगोल तीर्थ

आस्था के महापर्व के मौके पर दैनिक जागरण की ओर से साउंड सिस्टम लगाया गया। छठी मइया के भोजपुरी गीतों से गगोल तीर्थ गुंजायमान हो गया। एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति से यहां का वातावरण भक्तिमय हो गया। वहीं बुधवार सुबह उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने आने वाले श्रृद्धालुओं को चाय पिलायी जाएगा। छठ पूजा के महत्व को दर्शाते बैनर-पोस्टर मेले में लगाए गए।


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