Benefits in Covid-19: कोरोना काल में भी शानदार रहा चावल, चीनी व गेहूं का उत्पादन
कृषि सेक्टर ने महामारी के समय में आपदा को अवसर में बदला। देशभर में सभी आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं लेकिन कृषि कार्य लगातार चलते रहे। कृषि उत्पादन में इजाफा होने के साथ-साथ विदेशी व्यापार में भी इसकी हिस्सेदारी बढ़ने से फसलों का बेहतर दाम मिलने की उम्मीद जगी है।
जागरण संवाददाता, मेरठ। कोरोना काल में कृषि ने ही भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ को संभाले रखा। कृषि सेक्टर ने महामारी के समय में आपदा को अवसर में बदला। देशभर में सभी आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं, लेकिन कृषि कार्य लगातार चलते रहे। कृषि उत्पादन में इजाफा होने के साथ-साथ विदेशी व्यापार में भी इसकी हिस्सेदारी बढ़ने से किसानों को उनकी फसलों का बेहतर दाम मिलने की उम्मीद जगी है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल, चीनी, गेहूं व मक्का आदि तमाम कृषि उत्पादों के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई है। वैश्विक बाजार में कृषि उत्पादों के दाम बढ़ने से भारत के निर्यात में भी इजाफा हो रहा है।
अचानक भाव में तेजी का कारण
सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मोदीपुरम के डा. आरएस सेंगर का कहना है कि वैश्विक बाजार में अनाज का भाव 8 साल के उच्चतम स्तर पर चल रहा है। कोरोनावायरस के कारण विदेशों में सप्लाई चेन प्रभावित होने से कृषि व संबद्ध क्षेत्र के उत्पादों के दाम में इजाफा हुआ है, जिसका फायदा भारतीय उत्पाद को मिल रहा है। पिछले दिनों में भारत में फसलों की बंपर पैदावार हुई है। कृषि विशेषज्ञ इसका श्रेय केंद्र सरकार को देते हैं, जिसने कृषि से संबंधित तमाम गतिविधियों को देशव्यापी लाकडाउन के दौरान छूट दे रखी थी। कोरोनावायरस के संकट की घड़ी में भी देश में अन्न भंडार भरा रहा है।
मानसून भी रहा अनुकूल
विगत कुछ वर्षों से देश में मानसून अनुकूल रहा है, जिससे अनाजों के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। इसका किसानों को फायदा मिला है। साथ ही साथ भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार के द्वारा किसानों के हित में अनेक कदम उठाए गए जिससे उत्पादन भी बढ़ा है और खेती किसानी के प्रति लोगों की रूचि में भी बढ़ोतरी हुई है। कोरोना महामारी के दौरान लोग स्थानीय स्तर पर कृषि की ओर आकर्षित हुए हैं।