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Coronavirus In Meerut: पहली लहर हो या दूसरी, बच्चों में आठ-दस फीसद ही रहा कोरोना, पढ़िए विशेषज्ञों की राय

सिंगापुर में संक्रमित स्ट्रेन बच्चों के लिए घातक माना जा रहा है लेकिन विशेषज्ञों ने साफ किया है कि तीसरी लहर आना जरूरी नहीं है। इस स्ट्रेन की वजह से तीसरी लहर आएगी ऐसा भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। बच्चों को लेकर डरने की नहीं सतर्क रहने की जरूरत है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 08:00 AM (IST)
Coronavirus In Meerut: पहली लहर हो या दूसरी, बच्चों में आठ-दस फीसद ही रहा कोरोना, पढ़िए विशेषज्ञों की राय
सिंगापुर में नए स्ट्रेन को लेकर भारत में चिंता बढ़ गई है।

मेरठ, जेएनएन। Coronavirus In Meerut कोरोना की रफ्तार थोड़ी थमी जरूर है लेकिन खतरा अभी पूरी तरह बरकरार है। भारत में तीसरी लहर की आहट तेज हो गई है। नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिंगापुर से आने जाने वाली उड़ानों को रोकने की अपील कर नई बहस छेड़ दी है। इस बीच सिंगापुर में संक्रमित स्ट्रेन बच्चों के लिए घातक माना जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों ने साफ किया है कि तीसरी लहर आना जरूरी नहीं है। इस स्ट्रेन की वजह से तीसरी लहर आएगी, ऐसा भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। हालांकि प्रदेश सरकार ने सतर्कता बरतते हुए मेडिकल कालेजों में पीडियाट्रिक आइसीयू बनाने के लिए निर्देश जारी कर दिया है।

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वेंटिलेटर पर भी बच गया नवजात

कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में बड़ी संख्या में बच्चे संक्रमित हुए लेकिन यह आंकड़ा फिर भी आठ-10 फीसद ही रहा। दोनों लहरों में बच्चों में कई घातक लक्षण उभरे और वो सुपर स्प्रेडर साबित हुए। उनकी आंखों में लालिमा, तेज बुखार, डायरिया, स्किन पर चकत्ते मिले। बच्चों के हार्ट, लंग, लिवर व किडनी पर घातक असर देखा गया। अब सिंगापुर में नए स्ट्रेन को लेकर भारत में चिंता बढ़ गई है। लखनऊ, मुंबई, नई दिल्ली व मेरठ में 10 से 19 वर्ष की उम्र के लड़के बड़ी संख्या में बीमार पड़े। वहीं दूसरी ओर न्यूटिमा अस्पताल में 28 दिन के नवजात ने वेंटिलेटर पर रहते हुए कोरोना को हरा दिया।

रक्त का थक्का मिला, लेकिन जान नहीं गई

दस वर्ष की उम्र तक के बच्चों में मल्टीपल इंफ्लामेट्री सिंड्रोम मिला। यह घातक है। उनमें सीआरपी, डी-डाइमर, फेरटिन, आइएल-6 जैसे इंफ्लामेट्री मार्कर बढ़े मिले। कई बच्चों में आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव मिली लेकिन उनमें गंभीर कोविड-19 था। कई बच्चों की धमनियों में रक्त के थक्के भी मिले, हालांकि इतनी मौतें नहीं हुईं। प्रदेश सरकार ने तीसरी लहर से निपटने लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की है। मेडिकल कालेज में 30 बेडों का आइसीयू बनाया जा रहा है। जिले में कई नए आक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। बच्चों का स्कूल बंद है, लेकिन मोहल्ले में एक दूसरे के साथ खेलने की प्रवृत्ति से संक्रमण और तेजी से फैलता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

अरविंद केजरीवाल की भारत-सिंगापुर के बीच उड़ान रोकने की अपील हास्यास्पद है। सिंगापुर में दो दिन में बच्चों में सिर्फ 60 केस मिले, और ये कोई नया स्ट्रेन भी नहीं। दूसरी लहर में ज्यादा संख्या में लोग बीमार पड़े इसीलिए बच्चों की संख्या ज्यादा हो गई। हालांकि उनमें संक्रमण दर दोनों बार 8-10 फीसद ही रही। बच्चों में मौत की दर भी ज्यादा नहीं रही। तीसरी लहर आना जरूरी नहीं है। हो सकता है वायरस म्यूटेट होकर कमजोर पड़ जाए। 18 साल से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण के लिए प्रयास तेज होने चाहिए।

- डा. अमित उपाध्याय, बाल रोग विशेषज्ञ

बच्चों को लेकर डरने की नहीं सतर्क रहने की जरूरत है। हालांकि इस बार कुछ बच्चों में आंतरिक सूजन की प्रवृत्ति मिली। कई बच्चों के हृदय की धमनियां सूजकर गुब्बारे की तरह हो गई थीं। उनमें इंफ्लामेट्री मार्कर भी बढ़े मिले। अगर बच्चों में कोविड ठीक होने के दो से तीन सप्ताह बाद बुखार आए तो डाक्टर को तुरंत दिखाएं। बच्चों को मास्क जरूर पहनाएं। उनके टीकाकरण की संभावनाएं भी बनाई जाएं।

- डा. उमंग अरोड़ा, बाल रोग विशेषज्ञ 


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