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अबकी प्रदूषण से बना कोहरा घना होगा...बचके चलेंगे तो सुरक्षित रहेंगे Meerur News

कोहरा हर साल होता है पर सचेत होने वाली बात यह है कि इस बार कोहरा काफी घना और ज्यादा हो सकता है। ऐसे में एहतियात बरतकर दुर्घटना से बचा जा सकता है।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 09:54 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 09:54 AM (IST)
अबकी प्रदूषण से बना कोहरा घना होगा...बचके चलेंगे तो सुरक्षित रहेंगे Meerur News
अबकी प्रदूषण से बना कोहरा घना होगा...बचके चलेंगे तो सुरक्षित रहेंगे Meerur News

मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। कोहरा हर साल होता है पर सचेत होने वाली बात यह है कि इस बार कोहरा काफी घना और ज्यादा हो सकता है। प्रदूषण ज्यादा है इसलिए कोहरा घना होगा और यह दृश्यता (दूर देखने की क्षमता) को कम कर देगा। बारिश भी ज्यादा हुई है इसलिए कोहरा भी अधिक बनने के आसार हैं। सड़कों को खून से लाल कर देने वाली सड़क दुर्घटनाओं को याद करके उनकी वजह जानने की पड़ताल की जाए तो बहुत से परिवार इसलिए उजड़ गए कि कोहरा उनके लिए काल बनकर आया। एक मामूली लापरवाही किसी भी परिवार पर भारी पड़ जाती है, इसलिए इस बार कोहरे में वाहन संभाल कर चलाएं। उपायों को आजमाएं।

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जल्‍दबाजी से बचें

वाहन ऐसे चलाने पड़ें मानों रेंग रहे हों तब भी जल्दबाजी न करें। खुद के परिवार को खुशी दें और दूसरों के परिवार में कोहराम मचने से बचाएं। मौसम विभाग के अनुसार दिसंबर के पहले सप्ताह में ही घना कोहरा होगा। इस भविष्यवाणी का इशारा यह है अगर सर्दी का आगाज अधिक कोहरे से हो रहा है तो आने वाले दिन चुनौती वाले हो सकते हैं। दिसंबर में 11-12 दिन और जनवरी के कुछ सप्ताह पूरी तरह से कोहरे में डूबे रह सकते हैं।

क्या है कोहरा और कैसे बनता है

सर्दी के दिनों में देर रात और सुबह धरती के ऊपर धुएं जैसा आवरण छा जाता है, यही कोहरा (फॉग) है। यह ठंडी आद्र्र हवा में बनता है। लगभग बादलों की तरह। इसे ऐसे कह सकते हैं कि यह वह बादल होता है जो भूमि के निकट बनता है। जब आर्द्र हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है तब जलवाष्प संघनित होकर जल की सूक्ष्म बूंदें बनाती हैं। कभी-कभी हवा के बिना ऊपर उठे ही जलवाष्प जल की नन्हीं बूंदों में बदल जाती हैं तब इसे ही कोहरा कहा जाता है। ठंडी हवा अधिक नमी लेने में सक्षम होती है और वाष्पन के द्वारा यह नमी ग्रहण करती है। इसकी वजह से दृश्यता (विजविलिटी) इतनी कम हो जाती है कि कुछ दूरी पर स्थिति चीजें भी धुंधली दिखाई पडऩे लगती हैं। धूल के कण मिलकर दृश्यता कम कर देते हैं।

इसलिए कोहरे में देख नहीं पाते हम

कोहरे में देख न पाने का कारण है प्रकाश का बिखराव। कोहरा और धुआं पानी के कणों या हाइड्रोकार्बन के साथ-साथ सामान्य वायुमंडलीय गैसों से बने होते हैं। ये कण प्रकाश की किरणों को बिखेरती हैं, जिससे दृश्यता कम हो जाती है।

कोहरा और धुंध में यह है अंतर

एक तरह से दोनों ही पृथ्वी को छूने वाले बादलों हैं पर कोहरा और धुंध में अंतर होता है। कोहरे की तुलना में धुंध कम घना होती है। कोहरा धुंध की तुलना में मोटा और भारी होता है। उनके बीच के अंतर का कारण है घनत्व। कोहरे से दृश्यता घटकर एक किलोमीटर से भी कम रह जाती है या आधे मील से थोड़ा अधिक हो जाता है। पर धुंध दृश्यता को उस सीमा तक कम नहीं करता है।

कोहरा ज्यादा पडऩे व घना होने का यह है समीकरण

एक समीकरण यह है कि जिस साल बारिश अधिक होती है उस साल ठंड भी ज्यादा पड़ती है। ठंड होती है तो कोहरा भी उसी अनुसार बढ़ जाता है। इस साल कोहरा भी घना होगा क्योंकि वायुमंडल में प्रदुषण की मात्रा काफी अधिक है। प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कोहरा घना होता जाता है। इसके धूल कण मिलकर विजबिलिटी कम कर देते हैं।

ये हैं हमारे मेरठ के हालात

सड़क दुर्घटनाओं की संख्या

2015 723

2016 778

2017 820

2018 789

2019 768 अब तक

(इसमें कोहरे की वजह से हुईं दुर्घटनाएं भी शामिल हैं)

सड़क दुर्घटना में मौत

2015 292

2016 326

2017 329

2018 328

2019 332 अब तक

(इसमें कोहरे की वजह से दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़े भी शामिल हैं)

क्योंकि...सवाल जिंदगी का है

मोदीनगर की ओर से तेजी से आ रही परिवहन निगम की बस ने भूड़बराल मोड़ पर राजेंद्र को इतनी तेज टक्कर मारी थी कि वह बाइक के साथ 50 मीटर दूर घिसटते चले गए। 42 वर्षीय राजेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई थी। यह दुर्घटना बच सकती थी लेकिन बसों के बेलगाम ड्राईवर को दूसरों की जिंदगी की परवाह कहां। राजेंद्र अपने गांव से परतापुर की ओर मुड़े थे कि बस ड्राईवर ने एक ट्रक को ओवरटेक करने के लिए सड़क से नीचे उतारकर बस इतनी तेजी से भगाई कि किनारे चल रहे बाइक यात्री को देखना मुनासिब नहीं समझा। उसकी उस छोटी सी जल्दबाजी की वजह से उनके दोनों बच्चों, पत्नी और बूढ़े पिता 84 साल के गणेशीलाल को जब सबसे ज्यादा जरूरत थी तब इस दुनिया को छोड़ गए। इसी साल 22 फरवरी को हुई इस दुर्घटना का मुकदमा चल रहा है। मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद के लिए प्रशासन से वादा हुआ, बयान भी हुए लेकिन मदद वाली राशि अब तक नहीं पहुंची। गणेशी के ऊपर ही अब राजेंद्र के परिवार की जिम्मेदारी है, जिसे वह इस अवस्था में बेटे की याद में रो-रोकर निभा रहे हैं। 


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