आयुष्मान: स्वस्थ जीवन ही राष्ट्र की असली ताकत
स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है किंतु इसे संजोने में भारी चूक हो रही है। भागती-दौड़ती जिंदगी मानसिक एवं शारीरिक परेशानियों में घिर गई है।
मेरठ, जेएनएन। स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है, किंतु इसे संजोने में भारी चूक हो रही है। भागती-दौड़ती जिंदगी मानसिक एवं शारीरिक परेशानियों में घिर गई है। ऐसे में नई पीढ़ी को सेहतमंद बनाकर ही स्वस्थ भारत की नींव रखी जा सकेगी। दैनिक जागरण ने 'उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं, चुनौतियां एवं समाधान' विषय पर शुक्रवार को मंथन का मंच बनाया। ओलिविया होटल में 'आयुष्मान भारत-2019' पर विचार मंच के आयोजन में शहरभर के दिग्गज चिकित्सकों ने स्वास्थ्य की बुनियादी जरूरतों से लेकर इसके विकास पर खुलकर विचार व्यक्त किए।
लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डा. आरसी गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य व शिक्षा को जरूरत के अनुरूप तवज्जो नहीं मिली। वर्तमान में 80 फीसद मरीजों को निजी क्षेत्र और 20 फीसद मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज होता है। बिना प्राइवेट सेक्टर के सहयोग के स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करना संभव नहीं है। आयुष्मान योजना पर भी डा. गुप्ता ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि पूरे जिले में एक रेडियोलॉजिस्ट है। प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर स्टाफ की कमी है। फिर भी वहां करीब डेढ़ हजार और मेडिकल कॉलेज में चार हजार तक मरीज आते हैं। आयुष्मान भारत योजना में मेरठ के करीब सात हजार लोग लाभान्वित हैं। सीएम आरोग्य योजना में एक सप्ताह में कार्ड बांटने का काम शुरू होगा। इसमें एंटी फ्रॉड ऑडिट भी हो रहा है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी होगी। मौके पर बड़ी संख्या में चिकित्सकगण, शिक्षकगण, व्यापारी, उद्यमी व शहर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अंत में दैनिक जागरण परिवार की ओर से संपादकीय प्रभारी जयप्रकाश पांडेय ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। मौके पर दैनिक जागरण, मेरठ के महाप्रबंधक विकास चुघ, महाप्रबंधक-मार्केटिंग जुगल किशोर गौड़, वरिष्ठ प्रबंधक-मार्केटिंग राहुल शर्मा भी उपस्थित थे।
स्वस्थ बच्चा, तभी स्वस्थ जवान
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. जायसवाल ने कहा कि गर्भावस्था के समय ही माता और शिशु के पोषण का विशेष ध्यान देने की जरूरत है। शुरुआती एक हजार दिन पर फोकस कर बच्चों का स्वास्थ्य जीवनभर के लिए बेहतर किया जा सकता है। 40 वर्ष की उम्र के बाद की बीमारियां बच्चों में दिख रही हैं। स्कूलों में शारीरिक गतिविधियां बढ़ाई जानी चाहिए। ट्यूशन कम करें और टीवी के सामने बच्चे को भाजन न कराएं। डा. अमित उपाध्याय ने कहा कि अब इंटर-जनरेशन थ्योरी पर काम शुरू हो गया है। एक बच्चे की मां को जन्म के दौरान किस तह का न्यूट्रिशन मिला था, उसका असर भी गर्भ में बच्चे पर पड़ता है। इसमें वक्त लगेगा, पर आज माता को बेहतर न्यूट्रिशन अगली पीढ़ी के बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य की गारंटी बनेगी। द गुरुकुलम इंटरनेशनल के प्रिंसिपल कवलजीत सिंह ने नन्हें बच्चों के पैर ठीक से न पड़ने के कारण व उपाय पूछा। डा. विजय जायसवाल ने बताया कि नन्हें बच्चों के फूट स्टेप ठीक करने के लिए उन्हें शारीरिक गतिविधियों में अधिक शामिल करना चाहिए।
खानपान की पुरानी परंपरा में लौटें..
डा. ममतेश ने कहा कि हृदय की बंद नसों को खोलने से पहले बचाव की जरूरत है। बचाव यह है कि हम अपने दादा-दादी की तरह ज्वार, बाजरा, चना आदि का सेवन बढ़ाएं तो हार्ट अटैक का रिस्क कम होगा। कार्डियोलॉजिस्ट बढ़े तो उससे ज्यादा मरीज बढ़ गए। डा. विनीत बंसल ने कहा कि शरीर को हर तरह का तेल या घी उचित मात्रा में चाहिए। इसके साथ ही व्यायाम भी करते रहें। हृदय की बीमारी में स्टेंट सबसे आखिर में डालना चाहिए। दिनचर्या सुधार कर इससे बचा जा सकता है। डा. संजीव सक्सेना ने कहा कि तेल 180-200 डिग्री तक गर्म किया जाता है। दोबारा गर्म करने पर 40 फीसद ट्रांसफैट बन जाता है। बेहतर होगा कि पेराई से निकलने वाले तेल का इस्तेमाल खान-पान में करें। घी के स्थान मक्खन बेहतर रहेगा। एक चम्मच देशी घी, एक चम्मच सरसों का तेल, व एक चम्मच ऑलिव ऑयल पर्याप्त है। एक ग्लास दूध में भी तीन चम्मच घी रहता है।
पथरी को पालेंगे तो दगा दे जाएगा गुर्दा
गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. संदीप गर्ग ने बताया कि पथरी, मधुमेह और ब्लड प्रेशर को नजरंदाज न करें। पथरी के इलाज में देरी का असर गुर्दे पर होगा। मोटापा, मधुमेह और ब्लड प्रेशर के कारण किडनी पर असर पड़ता है। मोटापे से भी किडनी खराब हो रही है। डा. प्रशांत बेंद्रे ने कहा कि अनाज उत्पादन में इस्तेमाल पेस्टीसाइड हमारे शरीर के साथ ही पर्यावरण को भी खराब कर रहा है। हम सभी को ऑर्गेनिक फार्मिग की ओर बढ़ना चाहिए और सरकार को भी इसे आगे बढ़ाना चाहिए। शरीर ही अंतिम सांस तक का साथी है
डा. जेवी चिकारा..ने कहा कि केवल शरीर ही ऐसा है तो अंत तक साथ देता है। इसलिए हर दिन शरीर के लिए 20 मिनट जरूर निकालना चाहिए। गाइडेड एग्सरसाइज करें, खान-पान बेहतर रखें और स्वस्थ रहें। कम्यूनिटी सर्विस के जरिए यह बात हर किसी तक पहुंचानी चाहिए। साइकिल से देश का भ्रमण करने वाले डा. अनिल नौसरान ने कहा कि मोटा खाएं, मोटा पहनें और मोटा सोचें। हमेशा स्वस्थ रहेंगे। सुबह दिन निकलने से पहले उठ कर व्यायाम करें और रात को अधिकतम नौ बजे तक सो जाएं तो बीमारियां हमेशा दूर रहेंगी। शादी के पहले लड़का-लड़की की मेडिकल कुंडली बनवाई जाए। ऐसा होने लगा तो थैलेसेमिया की बीमारी देश से सौ फीसद खत्म हो जाएगी। 35 की उम्र तक हड्डियों का ख्याल रखें
मेडिकल कॉलेज हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डा. ज्ञानेश्वर टोंक ने बताया कि 35 साल तक हड्डियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। धनिया, पुदीना आदि कैल्शियम देने वाली सामग्री खाने में अधिक होनी चाहिए। 35 साल की आयु के बाद हर साल हड्डी एक फीसद कमजोर होती है। धुम्रपान हड्डियों के लिए सबसे हानिकारक है। प्राथमिक सेवाओं को ठीक से काम करना चाहिए जिससे मेडिकल पर दबाव कम हो और आगे नए-नए रिसर्च हो सकें। आयुर्वेदाचार्य डा. आलोक शर्मा ने कहा कि आरोग्य रहने के लिए दिन चर्या और रात्रि चर्या का सही अनुसरण जरूरी है। महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. भादलीकर ने कहा कि नहाने के बाद नाक में तिल का तेल लगाने से सभी तरह के वायु प्रदूषण से बचाता है। सुबह खाने के बाद दही का सेवन करें और दोपहर छांछ जरूर लें।
सूने कंठ को भी मिल रही आवाज
ईएनटी चिकित्सक डा. अभिषेक मोहन ने बताया कि देश में हर साल एक लाख बच्चे गूंगे पेदा होते हैं। हर चार में एक बच्चा गूंगा होता है। ऑपरेशन महंगा होने से लोग वंचित थे। अब दिव्यांग विभाग की योजना के अंतर्गत देश के 172 अस्पतालों में यह सर्जरी करवाई जा रही है। पिछले डेढ़ साल में मेरठ में दस बच्चों की सर्जरी हुई। प्रदेश सरकार भी इसी तरह की योजना चला रही है। इसके तहत पांच साल तक के बच्चों का ऑपरेशन कराया जा रहा है। जिसके बच्चे इससे पीड़ित हों वह संपर्क कर सकता है।
नए डाक्टर ही बनेंगे भविष्य
सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीरोत्तम तोमर ने चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई, क्लीनिक संचालन एवं नियमों की जटिलताओं का जिक्र करते हुए लाल फीताशाही खत्म करने के लिए कहा। कहा कि दस साल से ज्यादा पढ़ाई के बावजूद एक डाक्टर का संघर्ष खत्म नहीं होता, जबकि उस पर आक्षेप तत्काल लगा दिया जाता है। फिजिकल है, हेल्थ पर भी दें ध्यान
दीवान पब्लिक स्कूल के निदेशक एचएम राउत ने कहा कि सीबीएसई ने फिजिकल एंड हेल्थ एजुकेशन विषय लागू कर रखा है। स्कूलों में अब फिजिकल एजुकेशन तो है पर हेल्थ एजुकेशन पर भी ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही स्कूली बच्चों की दादी व माता के साथ एक कार्यक्रम आयोजित होना चाहिए जिसमें खान-पान के बारे में बताया जाना चाहिए। एमपीजीएस शास्त्रीनगर की प्रिंसिपल सपना आहूजा ने बताया कि स्कूल परिसर में जंक फूड बंद कर फल सेवन पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही बच्चों को फिजिकल गतिविधियों से जोड़ने के साथ ही परिजनों को भी जागरूक किया जा रहा है।