एलोपैथिक चिकित्सक और वैद्यों के बीच बहस तेज, आयुर्वेदिक खानपान ने दी संपूर्ण-सुरक्षा
आयुर्वेद से कोरोना के इलाज को लेकर एलोपैथिक चिकित्सक और वैद्यों के बीच बहस तेज है।
मेरठ, जेएनएन। आयुर्वेद से कोरोना के इलाज को लेकर एलोपैथिक चिकित्सक और वैद्यों के बीच बहस तेज है। आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि अब तक 36 प्रकार के शोधपत्र जारी हुए हैं, जिसकी जानकारी आयुष मंत्रालय ने अपनी गाइडलाइन में दी है। उनका दावा है कि रसोई में मसालों का प्रयोग आयुर्वेद ही है, जिसकी वजह से भारत में प्रति लाख सिर्फ 7.73 मरीजों की जान गई, जबकि यूएसए में 64 ने जान गंवाया। उधर, एलोपैथिक चिकित्सकों का कहना है कि आयुर्वेदिक दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल सार्वजनिक होने चाहिए।
यह है केंद्र सरकार का सुझाया इम्युनिटी बूस्टर
-गिलोय 500 से 1000 मिलीग्राम रोज
-एक आवला, हल्दी पावडर और लौंग के साथ गरम पानी से गरारा।
-तुलसी के अर्क की चुस्की
-रोजाना दो बार तीन से पाच ग्राम अश्वगंधा।
ये नुस्खे भी हैं कारगर
-च्यवनप्राश अवलेह-10 से 12 ग्राम रोज।
-इंदुकंतम घृतम-10-12 ग्राम रोज, खाने से पहले।
-द्राक्षावलेह-10 से 12 ग्राम रोज।
-अरविंदासव-15-20 ग्राम बराबर पानी के साथ।
-बाल चतुर्भुज चूर्ण-एक से दो ग्राम मधु के साथ।
-हरिद्रा खंड-3 से 5 ग्राम गरम पानी के साथ।
इनका कहना-
80 हजार दिल्ली पुलिस वालों को आयुर्वेदिक किट दी गई थी, जिसका बेहतर परिणाम रहा। सरिता विहार में आयुर्वेदिक एम्स में कोविड मरीजों को दवा दी गई तो सभी जल्द निगेटिव हुए। किसी स्टाफ में संक्रमण नहीं हुआ। दर्जनों शोध साफ करते हैं कि आयुर्वेद सर्वाधिक असरकारक एवं नुकसानरहित पद्धति है। मेरी निगरानी में आनंद अस्पताल के सैकड़ों मरीजों को अयुर्वेदिक दवाएं दी गईं, जो बेहद कारगर रहीं।
डा. आलोक शर्मा, आयुर्वेदाचार्य, आइआइएमटी
भारत में कोरोना से मौत की दर इसलिए कम रही, क्योंकि हम भोजन में आयुर्वेद लेते हैं। मसालों में लौंग, मुलेठी, दालचीनी, काली मिर्च, सोंठ, हल्दी जैसी औषधिया हैं। कोविड के इलाज में महासुदर्शन घनवटी, संजीवनी बटी, तालिशाद चूर्ण, समशमनी बटी, मुलेठी, सितोपलादि चूर्ण, लवागाधिबटी और आयुर्वेदिक काढ़ा पूरी तरह कारगर है। देशभर में दर्जनों केंद्रों पर स्टडी हुई है, जिसका शोध पत्र जल्द जारी होगा।
डा. देवदत्त भादलीकर, प्राचार्य, महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज