अद्भुत है अयोध्या नगरी, 38 मिनट की भूमिका ने बदल दी जिदगी: मुखिया गुर्जर
अयोध्या नगरी अद्भुत है। पहली बार अयोध्या गया और आंखों में बस गई है।
मेरठ, जेएनएन। अयोध्या नगरी अद्भुत है। पहली बार अयोध्या गया और आंखों में बस गई है। रामलीला मंचन का अंग बनना बहुत बड़ा सौभाग्य रहा। बस एक बात दुख पहुंचा रही है, जो वहां के लोगों ने कही। स्थानीय लोगों ने कहा कि कई कलाकारों ने प्रचलित वेषभूषा के हिसाब से किरदार नहीं निभाया और जीवंत करने में कसर छोड़ दी। यह कहना है भाजपा नेता व पथिक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुखिया गुर्जर का। वह अयोध्या में हुई रामलीला में कुंभकरण की भूमिका में थे।
अयोध्या से लौटने पर सोमवार को जिला पंचायत सभागार में कई सामाजिक संगठनों ने उनका सम्मान किया। उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर को सरयू में स्नान किया। रामलला व हनुमान गढ़ी का दर्शन किया, फिर रिहर्सल को पहुंचे। अपनी भूमिका के बारे में बताते हैं कि 38 मिनट की भूमिका ने उनकी पूरी जिदगी बदल दी। पहचान बनी और लोगों की उनके बारे में धारणा बदली। उनके अभिनय की खूब सराहना हुई।
भाजपा नेता मुखिया बताते हैं कि लंबा समय राजनीति व आंदोलनों में बीत गया। बचपन का सपना उम्र के इस पड़ाव में यादगार बनकर पूरा होगा, यह कभी नहीं सोचा था। हालांकि उन्हें एक बात का दुख है जो वहां के कुछ स्थानीय लोगों ने उनके सामने रखा। वह बताते हैं कि लोगों ने यह कहा कि भरत को कभी भी किसी सीरियल में भी दाढ़ी में नहीं देखा, लेकिन रवि किशन ने दाढ़ी नहीं कटवाई। अंगद की पूंछ होती है, लेकिन मनोज तिवारी ने पूंछ ही नहीं लगाई। हालांकि उन्होंने युवावस्था से लेकर अब तक जिस दाढ़ी को अपनी पहचान के साथ जोड़कर रखा, उसे कुंभकरण की भूमिका के अनुसार कटवा दिया। उन्हें इसका जरा भी पछतावा नहीं है। मर्यादा पुरुषोत्तम की जीवन गाथा दुनिया तक पहुंचाने के लिए जिस भी भूमिका में उन्हें चुना गया, उसके लिए वह आयोजन समिति व अन्य सभी का आभार व्यक्त करते हैं।
जिस दिन पहुंचे अयोध्या, घर आया नया मेहमान
मुखिया गुर्जर के बड़े बेटे परविदर सिंह भी रामलीला में शत्रुघ्न की भूमिका में थे। वह 15 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचे थे। दोपहर 12 बजे पहुंचे और 1.30 बजे परविदर की पत्नी ने यहां मेरठ में बेटे को जन्म दिया। मुखिया बताते हैं कि ऐसा सौभाग्य। इसलिए पोते का नाम राघवेंद्र रखा है। प्यार से घर पर उसे राघव बुलाएंगे।