एशियन गेम्स ट्रायल : केवल फौज के लिए बना था इवेंटिंग गेम
मेरठ : घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में इवेंटिंग के नाम से प्रचलित खेल को कांकर कंपलेट इंटरने
मेरठ : घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में इवेंटिंग के नाम से प्रचलित खेल को कांकर कंपलेट इंटरनेशनल (सीसीआइ) कहा जाता है। इस खेल की शुरुआत केवल सैनिकों के लिए की गई थी। उस दौर में इसे कांकर मिलिटेयर (मिलिट्री) कहा जाता था। समय के साथ घुड़सवारी को खेल में शामिल करने के बाद इसका नाम कांकर कंपलेट कर दिया गया। यह बातें फेडरेशन इक्वेस्टर इंटरनेशनल (एफईआइ) की ओर से एशियन गेम्स ट्रायल के लिए इंटरनेशनल टेक्निकल डेलीगेट के तौर पर उपस्थित कर्नल प्रबल प्रताप सिंह ने बताईं।
बनते हैं पूर्ण एथलीट
कर्नल सिंह ने कहा कि सैनिकों को घोड़े के साथ मैदान, पहाड़ी, उबड़-खाबड़ जंगली आदि रास्तों से गुजरना पड़ता था। उसी को ध्यान में रखते हुए घुड़सवार अपने घोड़ों के साथ ड्रेसाज, क्रॉस कंट्री व शो जंपिंग में प्रशिक्षण करते थे। बाद में जब घुड़सवारी प्रतियोगिता शुरू हुई तब इवेंटिंग को शामिल किया गया। लेकिन शुरुआत में भी इस गेम में केवल सैनिक ही हिस्सा लिया करते थे। बाद के वषरें में सिविलियन घुड़सवार व घोड़ों को भी इवेंटिंग में प्रतिभाग करने की इजाजत दी गई।
एशियन गेम्स में जाएगी भारतीय टीम
कर्नल सिंह के अनुसार भारत में पाचवा ट्रायल चल रहा है। पिछले चार ट्रायल में एक घुड़सवार एक ट्रायल में क्लीफाई हैं। वहीं यूरोप में भारत के पाच घुड़सवार ट्रायल में हिस्सा ले रहे हैं। उनमें से फवाद मिर्जा तीन ट्रायल और आरवीसी के सवार राकेश कुमार दो ट्रायल क्वालीफाई कर चुके हैं। इनके अलावा कर्नल राजेश पट्टू, सवार जितेंद्र और मेजर आशीष मलिक ने भी एक-एक ट्रायल क्वालीफाई कर लिया है। फ्रांस में अभी दो ट्रायल बाकी हैं जिससे भारतीय टीम के चयनित होने की उम्मीद बरकरार है।
भारतीय घुड़सवारों के लिए प्रतिस्पर्धा कड़ी है
कर्नल पीपी सिंह के अनुसार देश में इक्वाइन वैक्सीनेशन प्रोटोकॉल के तहत अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के तीन महीने पूर्व घोड़ों को इंजेक्शन दिए जाते हैं। इस दौरान उन्हें बाहर नही ले जा सकते इसलिए ट्रेनिंग भी बंद रहती है। एशियन गेम्स ट्रायल के बाद सभी भारतीय घोड़े आराम करेंगे और सीधे गेम्स में पहुंचेंगे। वहीं फ्रांस में घोड़े एक सप्ताह पहले तक भी ट्रेनिंग में रहते हैं। क्योंकि वहां घोड़ों में वे वायरस नहीं है जो हमारे देश में सामान्य हैं। बावजूद इसके भारतीय घुड़सवार व घोड़े बेहतर प्रदर्शन करते हैं।