मल्टीनेशनल कंपनी की चमक-दमक छोड़ सेना के लिए शक्ति का पुंज बनकर निकलीं वत्सला
मेरठ (विवेक राव)। बचपन में वर्दी से मोहब्बत हो गई तो इसे ही पहनने की ठान ली। इसका रास्ता चुना इंडि
मेरठ (विवेक राव)। बचपन में वर्दी से मोहब्बत हो गई तो इसे ही पहनने की ठान ली। इसका रास्ता चुना इंडियन आर्मी के जरिए लेकिन जब यह घड़ी नजदीक आई तो ख्वाब बिखरता सा दिखा। लोगों ने कहा, उनकी कद-काठी सेना के लायक नहीं है, पर लगन के पंख लगे तो चुनौतियां धराशाई हो गईं। आज वह भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट हैं। बहुत खूब वत्सला, तुमने जो चाहा, वह कर दिखाया। भगवान ऐसी बेटियां सबको दे।
मेरठ कालेज में डिफेंस स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर हेमंत पांडे की पुत्री वत्सला को बचपन से ही सेना की वर्दी से लगाव था। परिवार से लेकर रिश्तेदारी तक कोई आर्मी में नहीं है था, लेकिन घर में सेना से जुड़ी बातें होती थीं। टीवी पर सेना से जुड़ी कहानियां और फिल्मों से प्रभावित वत्सला ने इसी क्षेत्र में करियर बनाने की ठान ली।
एमपीएस से इंटर किया लेकिन वत्सला के सामने उनके कद ने चुनौती खड़ी कर दी। उस समय उनका कद पांच फुट दो इंच था। कुछ लोगों ने कहा कि आर्मी के लिए ज्यादा कद होना चाहिए। इसके बाद बीटेक की और अच्छे पैकेज पर आइबीएम कंपनी ज्वाइन कर ली। मल्टीनेशनल कंपनी की चमक-दमक और पैकेज में भी वत्सला का मन नहीं रम सका।
इसी बीच वह मेरठ कालेज में एक आर्मी अफसर से मिलीं तो उन्होंने समझाया कि आर्मी अफसर बनने के लिए उनकी ऊंचाई पर्याप्त है। इसके बाद वत्सला ने एक झटके से नौकरी छोड़ दी और आर्मी के लिए जी जान से जुट गई।
लेह में लेफ्टिनेंट, लगा रही अचूक निशाना
वत्सला एसएसबी क्वालीफाई करके आफिसर कैडर में लेफ्टिनेंट बनीं। पहली पोस्टिंग लेह में मैकेनिकल कोर में मिली। इसी बीच वत्सला ने निशानेबाजी में अपने कई सहयोगियों को पीछे छोड़ दिया। अफसरों ने जब वत्सला से जब उनकी रुचि के विषय में पूछा तो उन्होंने शूटिंग की इच्छा जताई। एक कड़ी प्रतिस्पर्धा में वत्सला ने पहली बार में हर लक्ष्य पर अचूक निशाना लगाया तो अफसर उनके हुनर को पहचान गए। इसके बाद अखनूर में विशेष ट्रेनिंग के दौरान भी अचूक निशानेबाजी से सबको हैरत में डाल दिया। इस समय इंदौर में जनरल जेजे सिंह शूटिंग कंप्टीशन में हिस्सा ले रही वत्सला का निशाना नेशनल और इंटरनेशनल शूटिंग स्पर्धाओं में देश को मेडल दिला सकता है।
मरने से नहीं डरते..
परिवार के लोग वत्सला के आर्मी ज्वाइन करने के पक्ष में नहीं थे। मां शशि पांडे और हेमंत पांडे इस फैसले से कई बार भयभीत और सुरक्षा को लेकर चिंतित भी हुए लेकिन वत्सला उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा-जो लिखा होगा, वही होगा। वह देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा नहीं छोड़ सकतीं, वैसे भी एक न एक दिन मरना तो सभी को है। वत्सला कहती हैं, देश सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है। वत्सला का छोटा भाई ध्रुव एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है।