कमाल कर दिया..नाले का पानी पीने लायक बना दिया
शोधार्थी संदीप का प्रोजेक्ट स्टार्ट अप इंडिया में शामिल, आइआइटी ने भी सराहा। पांच चरणों में साफ किया नाले का पानी, छोटे टरबाइन से बिजली भी बना ली।
मेरठ। (संतोष शुक्ल) गंगा सफाई योजना में सीवरेज सबसे बड़ी समस्या है, जिसके निराकरण के लिए मेरठ के युवा वैज्ञानिक ने बड़ी उम्मीद जगाई है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नालों के पानी को सिर्फ सिंचाई योग्य ही बना पाते हैं, लेकिन रिसर्च एसोसिएट संदीप ने विशेष तकनीक से नाले के पानी को पेयजल में तब्दील कर दिया। छोटी टरबाइन से बिजली भी बना दी। स्टार्ट अप इंडिया में शामिल इस प्रोजेक्ट को आइआइटी मुंबई ने भी सराहा है। 20 मिनट में 100 लीटर पेयजल
आइआइएमटी गंगानगर में रिसर्च एसोसिएट व बनारस निवासी संदीप वर्मा ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट को ध्यान में रखते हुए नाले की सफाई के लिए विशेष तकनीक विकसित की। 2016 में एमएसएमई ने इस प्रोजेक्ट को एप्रूव कर दिया। संदीप ने कैंपस में गंदे नाले के ऊपर प्रोजेक्ट लगाया। इसमें पांच चरणों में से अंतिम में पानी का टीडीएस 70 मिला जबकि नाले के पानी का टीडीएस 3000 से ज्यादा था। गत दिनों डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा भी यह तकनीक देखने पहुंचे थे। शोधकर्ता का दावा है कि 20 मिनट में 100 लीटर शुद्ध जल तैयार किया जा सकता है। एसटीपी की तुलना में यह तकनीक बेहद सस्ती है। इन्वेस्टर्स समिट में भी इसे सराहना मिली। कचरे को खा गए बैक्टीरिया
संदीप ने नाले के ऊपर सीढ़ी पर यह प्लांट लगाया है। इसमें नाले के पानी को पहले ऊपर वाले ड्रम में पहुंचाकर पानी का कचरा अलग किया। दूसरे चरण में पानी में पत्थर एवं धातु के छोटे टुकड़ों को अलग किया। तीसरे चरण में ट्रिकिंग फिल्टर लगाकर विशेष बैक्टीरिया पैदा किया, जो स्लज को खा गए। चौथे चरण में फिल्टर से इस पानी को अलग कर एरिएशन प्रोसेज कर पानी में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाई और यूवी प्रोसेज के जरिए पानी के खतरनाक बैक्टीरिया को रोक दिया। प्री कार्बन एवं पोस्ट कार्बन फिल्टर लगाकर अत्यंत सूक्ष्म बैक्टीरिया एवं विषाक्त कणों को साफ किया गया। बाद में पानी में मिनरल मिलाकर इसे पीने लायक बनाया गया। आइआइएमटी के निदेशक योगेश मोहन गुप्ता का कहना है कि संदीप का बेहद उपयोगी प्रोजेक्ट नमामि गंगे योजना को ध्यान में रखकर बनाया। छह माह से प्लांट चल रहा है, जो 20 मिनट में 100 लीटर पानी साफ कर देता है। हैरानी की बात ये है कि अत्यंत कम लागत में इसे नाले पर लगाकर गंदे पानी का सदुपयोग किया जा सकता है। रिसर्च एसोसिएट संदीप वर्मा का कहना है कि मैं स्टार्ट अप के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता की उम्मीद को लेकर उत्साहित हूं। संस्थान की मदद से मैंने नाले के पानी को पेयजल में तब्दील करने का प्लांट बनाया। इस प्रोजेक्ट से बिजली भी बन सकती है।