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लोकसभा चुनाव मेें प्रत्याशियों के कदम ‘चले गांव की ओर’

मुजफ्फरनगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी संजीव बालियान और गठबंधन प्रत्याशी अजित सिंह शुरू से ही अपना ध्यान गांव-देहात पर लगाए हैं।अब अन्‍य प्रत्याशियों के कदम ‘गांव की ओर’ चल पड़े हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 28 Mar 2019 05:06 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 05:06 PM (IST)
लोकसभा चुनाव मेें प्रत्याशियों के कदम ‘चले गांव की ओर’
लोकसभा चुनाव मेें प्रत्याशियों के कदम ‘चले गांव की ओर’
मेरठ, जेएनएन। प्रथम चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के कदम ‘गांव की ओर’ चल पड़े हैं। पश्चिम की सभी सीटों पर प्रत्याशियों का दौरा गांव-देहात में ही है। सबसे कड़े मुकाबले वाली मुजफ्फरनगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी संजीव बालियान और गठबंधन प्रत्याशी अजित सिंह शुरू से ही अपना ध्यान गांव-देहात पर लगाए हैं। यही हाल कैराना, बागपत जैसी सीटों का है।
अभी तक बहुत कम जनसंपर्क
दोनों प्रत्याशियों ने शहरी क्षेत्रों में अभी तक बहुत कम जनसंपर्क किया है। दोनों प्रत्याशी रोजाना करीब 30-40 गांवों में नुक्कड़ सभाएं और रोड शो कर रहे हैं। मुजफ्फरनगर लोस क्षेत्र में मुजफ्फरनगर सदर, खतौली, बुढ़ाना, चरथावल और सरधना विधानसभा क्षेत्र आते हैं। गठबंधन और भाजपा प्रत्याशी एक-एक कर क्षेत्र में घूम रहे हैं। यही स्थिति कमोबेश बागपत सीट पर है। बागपत लोकसभा क्षेत्र में बागपत, बड़ौत, छपरौली, सिवालखास और मोदीनगर विधानसभा क्षेत्र आते हैं। यहां गठबंधन प्रत्याशी जयंत चौधरी और भाजपा प्रत्याशी सत्यपाल सिंह गांवों में ही दिन और रात बिता रहे हैं। दोनों प्रत्याशी विधानसभा क्षेत्रवार सभाएं कर रहे हैं। साथ ही कैराना लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले कैराना, शामली, थानाभवन, गंगोह व नकुड़ विस क्षेत्रों में गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन और भाजपा प्रत्याशी प्रदीप चौधरी दिन रात एक किए हैं।
गांव, गन्ना, गुंडागर्दी पर है सारी चर्चा
प्रत्याशी नुक्कड़ सभाओं में गांव की समस्याएं, गन्ना और गुंडागर्दी के खात्मे को ही केंद्रित किए हैं। गांव में बेरोजगारी को मुद्दा बनाया जा रहा है। गन्ने की बुवाई से लेकर मिलों तक जाने के बाद पेमेंट का मुद्दा प्रत्याशी अपने-अपने ढंग से उठा रहे हैं। उम्मीदवारों के संबोधन में गुंडागर्दी और कच्ची शराब जैसी समस्याएं भी मुखर होती दिख रही हैं।
साग-रोटी के साथ छाछ-गुड़
सभी प्रत्याशी जनसंपर्क के दौरान गांवों में ही खाना खा रहे हैं। चूंकि अधिकतर जनसंपर्क और नुक्कड़ सभाएं पूर्व निर्धारित ही होती हैं। इसलिए ग्रामीण भी प्रत्याशियों के लिए साग-रोटी, दाल, कढ़ी, चावल, छाछ-गुड़ आदि का इंतजाम कर रहे हैं।

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