ब्लड के साथ नहीं पहुंचेगा एड्स, इस तकनीक से होगा टेस्ट
जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक में जल्द ही न्यूक्लिक एसिड टेस्ट होने जा रहा है, जिससे मरीज में संक्रमित वायरस भी पकड़ में आ जाएगा।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 04:52 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 04:52 PM (IST)
मेरठ (संतोष शुक्ल)। रक्त चढ़ाने के दौरान मरीजों में अब धोखे से एड्स एवं हेपेटाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियां नहीं संक्रमित हो पाएंगी। जिला अस्पताल एवं मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक में जल्द ही न्यूक्लिक एसिड टेस्ट होने जा रहा है, जिससे मरीज में सप्ताहभर पहले संक्रमित वायरस भी पकड़ में आ जाएगा। राज्य रक्त संचरण परिषद ने ब्लड बैंकों से इस आशय का प्रस्ताव मांगा है। यूपी में यह तकनीक केजीएमसी एवं एसजीपीजीआई में ही उपलब्ध है। उधर, एलाइजा जांच के दौरान ब्लड में दो माह पहले पहुंची बीमारियों भी पकड़ में नहीं आती हैं।
ये है न्यूक्लिक एसिड टेस्ट
न्यूक्लिक एसिड एम्पलीफिकेशन टेस्ट-‘नैट’ महंगी जांच है, जो वायरस के जेनेटिक मैटेरियल को सिर्फ छह दिन में पता कर लेता है। इस जांच में शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबाडी बनने का इंतजार नहीं करना पड़ता है। अगर ब्लड बैंकों में यह जांच शुरू कर दी जाए तो एचआईवी को 20 दिन, हेपेटाइटिस बी व सी को 50 दिन पहले पकड़ लेगा।
दूषित ब्लड बेहद खतरनाक
मेरठ में 13 ब्लड बैंक हैं, जिसमें मेडिकल कालेज एवं जिला अस्पताल की स्टोरेज क्षमता सबसे ज्यादा है। मेडिकल में रोजाना करीब तीन सौ यूनिट रक्त मरीजों को चढ़ाया जाता है। बड़ी संख्या में निजी अस्पताल भी सरकारी ब्लड बैंकों से ब्लड व कंपोनेंट लेते हैं। इसके लिए रक्तदान कैंप लगाए जाते हैं। चिकित्सकों की रिपोर्ट बताती है कि दूषित रक्त चढ़ाने से एचआईवी, हेपेटाइटिस बी एवं हेपेटाइटिस सी जैसी बीमारियां तेजी से फैली।
शरीर में देर से सक्रिय होता है वायरस
अगर किसी व्यक्ति में एचआइवी व हेपेटाइटिस वायरस एक माह के अंदर पहुंचा है तो ब्लड बैंकों की एलाइजा जांच में यह पकड़ में नहीं आता है। इसे विंडो पीरियड कहते हैं।
इतने दिन तक पकड़ में नहीं आता वायरस
ये है न्यूक्लिक एसिड टेस्ट
न्यूक्लिक एसिड एम्पलीफिकेशन टेस्ट-‘नैट’ महंगी जांच है, जो वायरस के जेनेटिक मैटेरियल को सिर्फ छह दिन में पता कर लेता है। इस जांच में शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबाडी बनने का इंतजार नहीं करना पड़ता है। अगर ब्लड बैंकों में यह जांच शुरू कर दी जाए तो एचआईवी को 20 दिन, हेपेटाइटिस बी व सी को 50 दिन पहले पकड़ लेगा।
दूषित ब्लड बेहद खतरनाक
मेरठ में 13 ब्लड बैंक हैं, जिसमें मेडिकल कालेज एवं जिला अस्पताल की स्टोरेज क्षमता सबसे ज्यादा है। मेडिकल में रोजाना करीब तीन सौ यूनिट रक्त मरीजों को चढ़ाया जाता है। बड़ी संख्या में निजी अस्पताल भी सरकारी ब्लड बैंकों से ब्लड व कंपोनेंट लेते हैं। इसके लिए रक्तदान कैंप लगाए जाते हैं। चिकित्सकों की रिपोर्ट बताती है कि दूषित रक्त चढ़ाने से एचआईवी, हेपेटाइटिस बी एवं हेपेटाइटिस सी जैसी बीमारियां तेजी से फैली।
शरीर में देर से सक्रिय होता है वायरस
अगर किसी व्यक्ति में एचआइवी व हेपेटाइटिस वायरस एक माह के अंदर पहुंचा है तो ब्लड बैंकों की एलाइजा जांच में यह पकड़ में नहीं आता है। इसे विंडो पीरियड कहते हैं।
इतने दिन तक पकड़ में नहीं आता वायरस
- एचआइवी 28 दिन
- हेपेटाइटिस बी 56 दिन
- हेपेटाइटिस सी 120 दिन
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