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आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में

आवारा कुत्तों को पकड़कर एंटी रेबीज वैक्सीनेशन व नसबंदी करने के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया अब अंतिम दौर में है। फाइनेंशियल बिड खुल गई है। एक मात्र ओरैया की कंपनी मेसर्स श्याम इनसाइट ने प्रतिभाग किया है। जिसने प्रति कुत्ता पकड़ने नसबंदी व एंटी रेबीज वैक्सीनेशन करने की दर 1098 रुपये डाली है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 10:10 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 10:10 AM (IST)
आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में
आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में

मेरठ, जेएनएन। आवारा कुत्तों को पकड़कर एंटी रेबीज वैक्सीनेशन व नसबंदी करने के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया अब अंतिम दौर में है। फाइनेंशियल बिड खुल गई है। एक मात्र ओरैया की कंपनी मेसर्स श्याम इनसाइट ने प्रतिभाग किया है। जिसने प्रति कुत्ता पकड़ने, नसबंदी व एंटी रेबीज वैक्सीनेशन करने की दर 1098 रुपये डाली है। पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी का कहना है कि नगर आयुक्त को अनुबंध की अनुमति के लिए फाइल भेजी गई है। अनुमति मिलते ही अनुबंध की प्रक्रिया पूरी करेंगे।

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नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डा. हरपाल सिंह ने बताया कि कई बार की टेंडर प्रक्रिया के बाद एक ही कंपनी ने प्रतिभाग किया है। शहर में एनिमल कंट्रोल प्रोग्राम शुरू करने की आवश्यकता को देखते हुए कंपनी से अनुबंध करने की अनुमति नगर आयुक्त से मांगी गई है। कंपनी ने जो दर डाली है, उसे कम कराने के लिए एक बार कंपनी के प्रतिनिधियों से बात की जाएगी। उधर परतापुर स्थित शंकर नगर फेस दो में आवारा कुत्तों की नसबंदी के बाद कुछ दिन तक रखने के लिए शेल्टर होम में केबिन निर्माण भी शुरू हो गया है। जबकि आपरेशन थियेटर का सिविल वर्क पूरा हो गया है। अंदर की डिजाइन ठेकेदार ने मांगी है। ओटी के अंदर बाकी निर्माण भी फरवरी में पूरा करने का दावा किया जा रहा है।

भारतीय वाद्य यंत्र है तबला

मेरठ : कनोहर लाल पीजी कालेज के संगीत विभाग की ओर से गुरुवार को पाठ्यक्रम पर आधारित आनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ौदा विवि तबला विभागाध्यक्ष प्रो. गौराग भावसार ने तबले की उत्पत्ति और विकास विषय पर जानकारी देते प्राचीन ग्रंथों के माध्यम से तबला उत्पत्ति के बारे में बताया। विभिन्न मंदिरों में प्राप्त प्रस्तर शिल्प के आधार पर उन्होंने प्रथम शताब्दी से लेकर 11वीं शताब्दी तक की विभिन्न मूर्तियों में उपलब्ध तबला वाद्य के चित्र का पीपीटी प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि तबला न केवल आधुनिक युग का प्रतिष्ठित और सर्वाधिक लोकप्रिय ताल वाद्य है, बल्कि शताब्दियों पहले भी तबला वादन प्रतिष्ठित और लोकप्रिय वाद्य था। जिसकी उत्पत्ति त्रिपुष्कर से स्वाति मुनि ने की। यह पूर्णता भारतीय वाद्य है। इस दौरान प्राचार्य डा. अलका चौधरी और डा. वेणु वनिता भी उपस्थित रहीं। -जासं


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