स्विमिंग पूल में कूल होकर घोड़े बढ़ाएंगे पावर, 10 मिनट की तैराकी से मिलेेेेगा यह फायदा Meerut News
आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज में इक्वाइन हाइड्रो थेरेपी यूनिट यानी घोड़ों के लिए स्विमिंग पूल बनाया जा रहा है। उनकी ताकत बढ़ाने के लिए स्विमिंग पूल का इस्तेमाल किया जाएगा।
मेरठ, [अमित तिवारी]। घोड़ों को लगने वाली चोट को ठीक करने के लिए ठंडा पानी या बर्फ लगाना अब पुरानी बात हो गई है। घुड़सवारी में शामिल घोड़ों को चोट में आराम देने और उनकी ताकत बढ़ाने के लिए स्विमिंग पूल का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्विमिंग पूल में 10 मिनट की तैराकी मैदान में एक घंटे लगातार दौड़कर ट्रेनिंग करने के बराबर होती है। कम समय में घोड़ों की शारीरिक क्षमता को अधिक विकसित करने के लिए ही अब आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज में इक्वाइन हाइड्रो थेरेपी यूनिट यानी घोड़ों के लिए स्विमिंग पूल बनाया जा रहा है। सहारनपुर के रिमाउंट ट्रेनिंग स्कूल एंड डिपो में भी इसी तरह का एक स्विमिंग पूल तैयार किया गया है।
ट्रेनिंग के साथ थेरेपी भी
आरवीसी के घुड़सवारी विंग में बने इक्वाइन स्पोट्र्स मेडिसिन सेल के अंतर्गत बनाई जा रही इस यूनिट में घोड़ों की ट्रेनिंग और थेरेपी दोनों शामिल हैं। इसमें घोड़ों के मसल फोर्स यानी मांसपेशियों को ताकत मिलने के साथ ही कार्डियोवस्कुलर एंडुरेंस यानी लगातार ट्रेनिंग में हृदय की सहन शक्ति भी बढ़ेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर के रिसर्च में यह सिद्ध हुआ है कि स्विमिंग पूल में ट्रेनिंग करने वाले घोड़े प्रतियोगिता में अधिक समय तक बिना थके दमदार प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं। मैदान में ट्रेनिंग के दौरान चोट लगने का खतरा भी बना रहता है, जो पूल में नहीं रहता।
बढ़ेगी ऑक्सीजन लेने की क्षमता
दौडऩे के दौरान घोड़ों का फेफड़ा एक सांस में 75 लीटर तक ऑक्सीजन ग्रहण करता है। इसमें बिना घोड़े के शरीर पर अतिरिक्त दबाव दिए उसे लाभ पहुंचाया जा सकता है। तैराकी में ही घोड़े अपनी सभी मांसपेशियों का इस्तेमाल करते हैं। इससे उनके मेटाबोलिज्म, ब्लड फ्लो और ऑक्सीजन इनटेक यानी ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। चोटिल घोड़ों को आराम देकर ठीक करने की तुलना में स्विमिंग से दोगुनी तेजी से राहत मिलती है। विश्व के जाने-माने ट्रेनर्स की रिसर्च में स्विमिंग के जरिए घोड़ों को 10 सप्ताह पहले ही चलने-फिरने और दौडऩे लायक बनाने में मदद मिली है। स्विमिंग से घोड़ों की पीठ, हड्डी टूटने, मांसपेशियों और जोड़ों की चोट को अधिक लाभ मिलता है।
घुड़सवारी में तैराकी के लाभ
घोड़ों की गति सीमा बढ़ती है।
मांसपेशियों का विकास तेजी से होता है।
सहनशीलता बढ़ती है।
मसल फाइबर बढऩे से एरोबिक क्षमता बढ़ती है।
रक्त संचार बढ़ता है और घाव तेजी से भरते हैं।
जोड़ों की अकडऩ व सूजन कम होती है।
जोड़ों, हड्डियों व लीगामेंट का प्रेशर कम होता है।
हृदय की फिटनेस को बरकरार रखता है।