हड़ताल पर रहे अधिवक्ता, कचहरी पर तालाबंदी
अधिवक्ता ओमकार तोमर आत्महत्या मामले के आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर चल रहा अधिवक्ताओं का आंदोलन गुरुवार को पश्चिम उत्तर प्रदेश तक फैल गया।
मेरठ, जेएनएन। अधिवक्ता ओमकार तोमर आत्महत्या मामले के आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर चल रहा अधिवक्ताओं का आंदोलन गुरुवार को पश्चिम उत्तर प्रदेश तक फैल गया। हाईकोर्ट बेंच केंद्रीय संघर्ष समिति के आह्वान पर पश्चिम के सभी 22 जनपदों में गुरुवार को अधिवक्ताओं ने हड़ताल रखी। मेरठ में कचहरी परिसर के सभी मुख्य प्रवेश द्वारों पर तालाबंदी करके विधायक के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन के साथ ही गेट पर ही धरना भी दिया। किसी को भी प्रवेश नहीं करने दिया गया। कचहरी परिसर में न्यायालय तो खुले लेकिन उनमें न वादकारी पहुंचे और न ही अधिवक्ता। परिसर में दुकानें, चैंबर, दस्तावेज लेखक, स्टांप विक्रेता और टाइपिस्ट सभी के प्रतिष्ठान पूर्ण रूप से बंद रहे। दिनभर सन्नाटा पसरा रहा। दोपहर में एडीएम सिटी को ज्ञापन दिया गया।
मेरठ में अधिवक्ताओं ने मेरठ बार एसोसिएशन और जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के नेतृत्व में कार्य बहिष्कार किया। अधिवक्ताओं ने चैंबरों पर तालाबंदी कराकर कचहरी और कलक्ट्रेट के सभी प्रवेश द्वारों पर ताला लगा दिया। कलक्ट्रेट के प्रवेश द्वार पर मेरठ बार एसोसिएशन अध्यक्ष महावीर त्यागी के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने ताला लगाकर प्रदर्शन किया। हनुमान मंदिर के सामने वाले द्वार पर अधिवक्ता कुर्सियां डालकर बैठ गए। उन्होंने अधिवक्ता और वादकारी समेत किसी को भी भीतर नहीं जाने दिया। प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी, फरियादी और अदालतों में आए वादकारी दिनभर परेशान रहे।
सभी रजिस्ट्री कार्यालयों में काम बंद रखा गया। साथ ही कलक्ट्रेट पर भी क्रमिक अनशन जारी रहा। दोपहर में दो बजे कलक्ट्रेट वाला द्वार खोला गया, वहीं अन्य गेट तीन बजे खोले गये। इसके बाद अधिवक्ताओं ने एडीएम सिटी अजय तिवारी को ज्ञापन देकर आरोपितों की गिरफ्तारी, अधिवक्ता के स्वजन के विरुद्ध दर्ज मुकदमा वापस लेने तथा उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करने की मांग की। मेरठ बार अध्यक्ष महावीर त्यागी तथा महामंत्री सचिन चौधरी ने बताया कि आंदोलन सभी जनपदों में सफल रहा। हड़ताल अभी जारी रहेगी। आगे की रणनीति शुक्रवार को बैठक करके तय की जाएगी। कचहरी में दिनभर पसरा रहा सन्नाटा
मेरठ : अधिवक्ताओं की हड़ताल का गुरुवार को पूरा असर दिखा। कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं के चैंबरों के साथ दस्तावेज लेखक, टाइपिस्ट, स्टांप विक्रेता के प्रतिष्ठान और चाय की दुकानें तक बंद रहीं। न्यायालय तो खुले लेकिन उनमें न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी के अलावा न तो वादकारी पहुंचे और न ही अधिवक्ता। पूरा कचहरी परिसर दिनभर सन्नाटे में रहा। शाम को गेट खुलने के बाद कुछ लोग भीतर पहुंचे। अंदर जाने दो नहीं तो सिर फोड़ लूंगा
सैनिक कल्याण बोर्ड कार्यालय की ओर वाले कचहरी के प्रवेश द्वार (न्याय द्वार) पर अचानक एक फरियादी पहुंचा और गेट को फांदने की कोशिश करने लगा। अधिवक्ताओं ने रोका तो चिल्लाने लगा। बहुत दूर से आया हूं, मेरा कोर्ट तक पहुंचना बहुत जरूरी है। नहीं जाने दिया तो यहीं मर जाऊंगा। इसके साथ ही उसने अपना सिर गेट पर पटकना शुरू कर दिया। उसका ब्लड प्रेशर बढ़ा और वह कांपने लगा। अधिवक्ताओं ने उसे बैठाकर समझाया। पानी पिलाया और शांत करके वापस भेजा। बड़ी संख्या में वादकारी कचहरी आए थे जिन्हें बाहर से ही वापस जाना पड़ा। कलक्ट्रेट और विकास भवन के कार्यालयों के अधिकांश कर्मचारी सुबह साढ़े नौ बजे ही कार्यालय पहुंच गए थे। जो विलंब से आए उन्हें भीतर घुसने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। कई प्रशासनिक अधिकारी भी परेशान हुए। रजिस्ट्री बंद, जारी रहा क्रमिक अनशन
अधिवक्ताओं ने रजिस्ट्री कार्यालयों में काम नहीं होने दिया। कलक्ट्रेट पर जिलाधिकारी कार्यालय के सामने अधिवक्ताओं का क्रमिक अनशन 13वें दिन गुरुवार को भी जारी रहा। वरिष्ठ अधिवक्ता अब्दुल जब्बार खान के नेतृत्व में प्रवीण भारती, रविन्द्र वर्मा, मुकेशचंद जैन, जयकरण सिंह, नासिर अहमद, पारुल रस्तोगी, विनय शर्मा, सतेंद्र सिंह, रामनिवास शर्मा, ब्रजवीर, राकेश शर्मा, धर्मवीर, जुल्फिकार अली, विनोद गौतम, नरेश प्रधान, सुनील कुमार आदि ने अनशन किया। इस दौरान उपाध्यक्ष संदीप सिंह, चौधरी नरेंद्रपाल सिंह, ओपी शर्मा, नीरज सोम, सतीश चंद्र त्यागी, विशाल भारती शर्मा, ओमपाल सिंह, अनुभव कौशिक, मयंक गुप्ता, शैलेन्द्र सोम आदि मौजूद रहे। आज होगा अगला निर्णय
बार के वरिष्ठ सदस्यों, पदाधिकारियों और पूर्व पदाधिकारियों की शुक्रवार को बैठक होगी। इस बैठक में आंदोलन की आगामी रूपरेखा तैयार की जाएगी। 14 आरोपितों में से तीन को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें एक मृतक अधिवक्ता का समधी भी है। सात ने हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए प्रार्थनापत्र दे रखा है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी अब अधिवक्ताओं से आंदोलन खत्म करने की अपील कर रहे हैं।