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Illegal Petrol Pump In Meerut: रातोंरात अमीर बना देती है तेल में साल्‍वेंट की मिलावट, जानिए पूरी हकीकत

आपकी गाड़ी का इंजन खराब करने वाली पेट्रोल-डीजल में साल्वेंट की मिलावट इस धंधे में लिप्त लोगों को रातो-रात अमीर बना देती है। मेरठ में वाहनों की संख्या दूसरे शहरों से ज्यादा है।

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 10:05 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 10:05 AM (IST)
Illegal Petrol Pump In Meerut: रातोंरात अमीर बना देती है तेल में साल्‍वेंट की मिलावट, जानिए पूरी हकीकत
Illegal Petrol Pump In Meerut: रातोंरात अमीर बना देती है तेल में साल्‍वेंट की मिलावट, जानिए पूरी हकीकत

मेरठ, जेएनएन। Illegal Petrol Pump In Meerut आपकी गाड़ी का इंजन खराब करने वाली पेट्रोल-डीजल में साल्वेंट की मिलावट इस धंधे में लिप्त लोगों को रातो-रात अमीर बना देती है। मेरठ में वाहनों की संख्या दूसरे शहरों से ज्यादा है। ट्रकों की बात करें तो प्रदेश में कानपुर के बाद सबसे ज्यादा इसी शहर में हैं। साल्वेंट बेचने वाले डीलर को कंपनियों की ओर से प्रति लीटर दो रुपये 40 पैसे डीजल पर और पेट्रोल पर कमीशन तीन रुपये है। 10 से 15 रुपये लीटर वाला साल्वेंट डीजल या पेट्रोल में मिलाने पर उसके रंग पर कोई प्रभाव नहीं डालता। यही गुण इसके कारोबार में जमीन-आसमान का फर्क ला देता है। एक दिन पूर्व पकड़े गए फर्जी पेट्रोल पंप पर भी साल्वेंट मिलावट की आशंका है।

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खराब हो जाते हैं इंजन

साल्वेंट मिश्रित पेट्रोल व डीजल से गाड़ी चलाने पर इंजन जल्द खराब हो जाते हैं। पांच साल वाले इंजन की उम्र एक साल ही रह जाती है। कई बार यह भी शिकायत आई है कि नई गाड़ी का इंजन छह माह बाद ही खुलवाना पड़ गया।

कैसे मिल जाता है साल्वेंट

मेरठ में साल्वेंट बिक्री के सख्त नियम हैं। पिछले साल तेल में मिलावट का खेल पकड़े जाने पर डीएम ने आदेश जारी किया था कि साल्वेंट विक्रेता अपनी बिक्री का पूरा रिकार्ड भी रखेगा। इसमें खरीदार का विवरण और प्रयोग का मकसद दर्ज करना भी जरुरी है। इस नियम का पालन हो रहा है तो साल्वेंट मिल कहां से रहा है। जिले में 52 लोगों के पास साल्वेंट का लाइसेंस है। हालांकि काम केवल 24 ही कर रहे हैं। सूरतेहाल तो यह भी है कि साल्वेंट विक्रेताओं द्वारा रिकार्ड रखने के आदेश महज आदेश ही बने रह जाते हैं तथा कोई पहल नहीं की जाती है।

टीम को बुलाकर जांच कराई

कंकरखेड़ा के पठानपुरा गांव के समीप चल रहे अवैध पेट्रोल पंप पर मंगलवार को एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी ने पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की थी। सेल्समैन से अनुमति सहित अन्य कागज मांगे थे, लेकिन वह कागज नही दिखा सका। वहीं पेट्रोल पंप पर पुरानी मशीनें चलती मिलने पर पुलिस ने सेल्समैन को हिरासत में ले लिया था। एडीएम सिटी ने आपूर्ति और राजस्व विभाग की टीम को बुलाकर जांच कराई थी। इसके बाद टीम ने पेट्रोल पंप पर सील लगा दी थी।

चार लोगों के खिलाफ मुकदमा

बताया गया कि इस मामले में बुधवार को मेरठ की आपूर्ति निरीक्षक तारावती की ओर से चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। बता दें कि पेट्रोल पंपों पर गड़बड़ी को लेकर पूर्व में भी शिकायतें होती रही हैं, तथा कई बार आरोप पुष्ट भी होते रहे हैं। उधर, इंस्पेक्टर, कंकरखेड़ा बीएस राणा का इस बारे में कहना है कि मामले में चार लोगों के खिलाफ आपूर्ति निरीक्षक की और से मुकदमा दर्ज कराया गया है। आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे है। जल्द ही आरोपित पुलिस की गिरफ्त में होंगे।

इनके खिलाफ दर्ज हुआ केस

गौरव पुत्र बच्चा सिंह निवासी अलीगढ़

अंकुर पुत्र रणवीर सिंह निवासी जागृति विहार, मेरठ

सचिन गुप्ता पुत्र छोटे गुप्ता निवासी रतननगर भोला झाल

कपिल कुमार पुत्र ननवा निवासी मवाना

कॉलम में श्री गणोशाय नम:

पेट्रोल पंप पर एक रजिस्टर बरामद हुआ है। इसमें 18 जून वाले कॉलम में श्री गणोशाय नम: लिखा हुआ है। इससे अनुमान लगाया गया है इसी दिन इसका शुभारंभ किया गया होगा। पूर्ति विभाग के अनुसार पुलिस व स्थानीय लोग भी इसे हाल ही शुरू होने की बात कह रहे हैं। दो नोजल, टैंक व बड़ा क्षेत्रफल बताता है कि पेट्रोल पंप चलाने की पूरी तैयारी थी। सूत्र बताते हैं कि उसने हाल ही में जनरेटर भी दुरुस्त कराया था।

गणपति व पारस पेट्रोल पंप हुई थी छापेमारी

पिछले साल अगस्त महीने में परतापुर स्थित गणपति व पारस पेट्रोल पंप पर छापेमारी हुई थी। इसका सैंपल लिया गया था। आइआइटी रुड़की की लैब में इसमें मिलावट पाई गई थी। जबकि एक सरकारी लैब में भेजा गया था तब मिलावट की बात नकार दी गई थी। पुलिस ने आइआइटी रुड़की की रिपोर्ट सही मानते हुए कई आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। उसी समय जिले भर में कई पेट्रोल पंपों पर कई दिनों तक छापेमारी हुई थी। उस दौरान करीब 35 सैंपल लिए गए थे। वैसे तो इन सभी सैंपलों की रिपोर्ट भी काफी पहले आ चुकी है। इसे प्रशासन को सुपुर्द किया जा चुका है। हालांकि इस रिपोर्ट में क्या आया? इसके आधार पर क्या बात आगे बढ़ी प्रशासन ने इसे भुला दिया। वैसे तो पूर्ति विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि पारस व गणपति पेट्रोल पंप में ही मिलावट पाई गई थी। बाकी सैंपल में मिलावट की पुष्टि नहीं हुई। सवाल यह है कि यदि बाकी में मिलावट की पुष्टि नहीं हुई तो सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया।

पठानपुरा मॉडल पर तीन और पंप रडार पर

जिस तरह से पठानपुरा में फर्जी पेट्रोल पंप चल रहा था उसी तरह से जिले में तीन अन्य पेट्रोल पंपों के संचालित होने की गोपनीय सूचना विभाग को मिली है। हालांकि सतर्कता की वजह से इन पेट्रोल पंपों ने अभी मशीनें मौके से हटा ली हैं लेकिन जल्द ही इन पर कार्रवाई हो जाएगी। अगस्त महीने में जब मिलावटी पेट्रोल-डीजल बनाकर पेट्रोल पंपों पर बेचने का पर्दाफाश हुआ था तब इस खेल में पूर्ति विभाग की भी भूमिका सामने आई थी। इस प्रकरण में बड़ी कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिन तत्कालीन एआरओ नरेंद्र सिंह का स्थानांतरण कर दिया था। वहीं कुछ समय बाद तत्कालीन जिला पूर्ति अधिकारी विकास गौतम की भूमिका भी संदिग्ध मिली तो उनका स्थानांतरण मुजफ्फरनगर कर दिया गया लेकिन उन्होने कार्यभार ग्रहण करने के बजाय फोन स्विच ऑफ कर लिया। हालांकि बाद में शासन से एक रिपोर्ट और आई थी जिसमें उन्हें दोषी माना था व उन्हें निलंबित कर दिया गया था। 


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