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कैसे थमेगा मौतों का सिलसिला, सरकारी ठेकों पर भी मिल रही मिलावटी शराब

सहारनपुर में जहरीली शराब से करीब 60 लोगों की मौतों के बाद तो प्रशासन की नींद टूटनी चाहिए। विडंबना यह है कि सरकारी ठेकों पर ही खुलेआम मिलावटी शराब परोसी जा रही है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 12:29 PM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 12:29 PM (IST)
कैसे थमेगा मौतों का सिलसिला, सरकारी ठेकों पर भी मिल रही मिलावटी शराब
कैसे थमेगा मौतों का सिलसिला, सरकारी ठेकों पर भी मिल रही मिलावटी शराब
मेरठ, जेएनएन। आखिरकार जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला कब थमेगा,कितने घरों के चिराग इससे बुझ चुके हैं। प्रशासन को इस पर नकेल कसने के लिए नए सिरे सोचना होगा। सहारनपुर में इसके सेवन से करीब पचास लोगों की मौत होना बानगीभर है। सहारनपुर समेत अन्य स्थानों पर अवैध शराब से हुई मौतों ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है।
ठेकों पर धड़ल्ले से हो रही बिक्री
कच्ची और जहरीली शराब की तस्करी के बीच सामने आए इस तथ्य को जानकर कोई भी चौंक सकता है। पुलिस-प्रशासन को इनपुट मिला है कि शराब के वैध ठिकानों (शराब के ठेकों आदि) पर भी मिलावटी शराब की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। सहारनपुर कांड के बाद एडीजी प्रशांत कुमार ने जोन में अलर्ट जारी कर दिया है। पुलिस को अभियान चलाकर शराब तस्करों पर अंकुश के निर्देश के साथ कच्ची शराब की भट्ठियों को भी नेस्तनाबूद करने की हिदायत दी है।
ज्यादा मुनाफे के चक्कर में परासे रहे जहर
सरकारी स्वीकृति के साथ संचालित शराब के ठेके असली शराब की बिक्री का केंद्र माने जाते हैं लेकिन शासन की सख्ती के बाद शराब माफिया ने ठेकों पर ही मिलावटी व दूसरे प्रांतों की शराब बेचनी शुरू कर दी। खुफिया विभाग से इनपुट मिला है कि शहर-देहात के काफी ठेकों पर मिलावटी शराब की बिक्री हो रही है। कई गुना मुनाफा कमाने के लिए दूसरे प्रांतों से सस्ती शराब लाकर उस पर उत्तर-प्रदेश का रैपर चिपकाया जा रहा है। स्थानीय रैपर लगी बोतलों में मिलावटी शराब की री-फिलिंग की जा रही है। इसके चलते इन शराब ठेकों की घेराबंदी शुरू कर दी है।
संयुक्त अभियान चलाएगी पुलिस-आबकारी
एडीजी ऑफिस से शुक्रवार को जोन पुलिस के लिए अलर्ट जारी किया गया है। इसके मुताबिक जोन के नौ जिलों की पुलिस ने शराब तस्करों की धरपकड़ का ब्लू प्रिंट बनाया है। पुलिस व आबकारी विभाग संयुक्त अभियान चलाकर अवैध शराब की बिक्री व शराब तस्करों पर अंकुश के लिए बड़े स्तर पर छापामारी अभियान चलाएंगे।
जहरीली शराब से चार थानाक्षेत्र प्रभावित
खादर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कच्ची शराब का अवैध धंधा होता है। मेरठ जिले में हस्तिनापुर,बहसूमा,परीक्षितगढ़ और किठौर थाना क्षेत्र कच्ची शराब से प्रभावित हैं। यहीं के तस्कर जिलेभर में कच्ची शराब की सप्लाई करते हैं।
शराब माफिया की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी
शराब तस्करों के खिलाफ अभियान चलाकर पुलिस जिले के दो माफिया की संपत्ति कुर्क कर चुकी है। इनमें टीपीनगर का शराब माफिया गणोश,खरखौदा क्षेत्र का शहजाद उर्फ पाशा शामिल है। अब पुलिस हाल ही में पकड़े गए मंगतपुरम निवासी रमेश प्रधान की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी में है।
जहरीली शराब से हुई थी पांच की मौत
साल 2013 में 29 मार्च को हस्तिनापुर की मनोहरपुर कालोनी में जहरीली शराब पीने से दो सगे भाइयों समेत पांच लोगों की मौत हुई थी। लापरवाही व तस्करों से मिलीभगत के चलते तत्कालीन एसएसपी ने चार सिपाही सस्पेंड किए थे।
इन जिलों में विशेष निगाह रखने के निर्देश
गंगा किनारे खादर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कच्ची शराब की भट्ठियां धधकती हैं। गंगा नदी जोन के मेरठ,हापुड़, बुलंदशहर,गौतमबुद्धनगर और मुजफ्फरनगर जिले से होकर गुजरती है। ऐसे में इन जिलों में विशेष अभियान चलाकर अंकुश के निर्देश दिए हैं।
हर माह होता है करोड़ों का कारोबार
मवाना के खादर में कच्ची शराब बनाने का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। रामराज से हस्तिनापुर,किठौर तक करोड़ों रुपये का कारोबार प्रतिमाह होता है। समय-समय पर आबकारी और पुलिस द्वारा भट्ठियों को तोड़कर लहन नष्ट करने के दावे किए जाते हैं,लेकिन हकीकत सबके सामने है। लोकसभा चुनाव और होली के मद्देनजर कच्ची शराब का स्टॉक करने का काम जोरों पर है। वहीं पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं है। जनपद के बार्डर पर मवाना तहसील क्षेत्र में गंगा खादर का बड़ा हिस्सा आता है।
लाखों लीटर कच्ची शराब का उत्पादन
बहसूमा थाना क्षेत्र के रामराज से लेकर किठौर क्षेत्र के बीच 40 किलोमीटर में हस्तिनापुर,मवाना और परीक्षितगढ़ थाने के करीब 100 से अधिक गांव खादर में हैं। इनमें से ज्यादातर गांवों में कच्ची शराब बनाई जाती है। पुलिस व आबकारी विभाग पर भी माफिया को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं। खादर समेत गांवों में करीब 1000 से अधिक भट्ठी लाखों लीटर कच्ची शराब का उत्पादन प्रतिमाह कर रही हैं। लोकसभा चुनाव और होली के मद्देनजर माफिया ने कच्ची शराब का स्टाक बढ़ाना शुरू कर दिया। इसके लिए रात दिन भट्ठियां दहक रहीं हैं और पुलिस व आबकारी विभाग गहरी नींद में सोया हुआ है।
ऐसे बनती है कच्ची शराब
खादर की रेती में गढ्डा कर बड़े-बड़े मटकों में गुड़,शीरा के साथ सड़े-गले फलों से लहन बनाया जाता है। इसे ज्यादा नशीला बनाने के लिए ईस्ट,यूरिया व आक्सीटोसिन इंजेक्शन आदि मिलाए जाते हैं।
कई बार बह चुका है खून
परीक्षितगढ़ थाना क्षेत्र के मिर्जापुर गांव में 2009 में आबकारी टीम व पुलिस के हथियार छीनकर बंधक बना लिया था। इस दौरान आबकारी टीम द्वारा की गई फायरिंग में एक ग्रामीण की मौत हो गई थी। उधर नीमका गांव में पांच जनवरी 2012 को आबकारी टीम ने दबिश दी थी। इसका जमकर विरोध हुआ। जवाबी कार्रवाई में एक युवक की मौत हो गई थी। इसके बाद लोगों ने टीम को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा और गाड़ियों में आग लगाकर हथियार छीन लिए थे।
इनका कहना है
जोन में अलर्ट जारी कर शराब माफियाओं पर प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। तस्करों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। शराब ठेकों से मिलावटी शराब की बिक्री के इनपुट के बाद इस दिशा में भी काम किया जा रहा है।
- प्रशांत कुमार, एडीजी मेरठ जोन

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