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बात पते की : गड्ढ़े भी देख लो सरकार Meerut News

शहर में सडुकों और विभागों के बदहाली के मद्देनजर सरकार द्वारा बहुत से धन आए पर कार्य नगण्‍य रहा। विभाग के इसी कार्य पर व्‍यंग कसता यह रिपोर्ट।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 05:09 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 05:09 PM (IST)
बात पते की : गड्ढ़े भी देख लो सरकार Meerut News
बात पते की : गड्ढ़े भी देख लो सरकार Meerut News

[अनुज शर्मा] मेरठ। सरकार ने प्रदेश में सड़कों को गड्ढ़ों से मुक्त रखने का सख्त आदेश दिया है। इसके लिए सरकार ने धन की भी कोई कमी नहीं आने दी है, लेकिन शहर का हाल देख कर ऐसा लगता है कि अफसरों ने जैसे गड्ढ़े खत्म नहीं होने देने की कसम खा रखी है। सभी विभागों की सड़कों का हाल एक जैसा है। आम जनता जहां गड्ढ़ों में सड़क ढूंढती है, वहीं इन सभी विभागों के अधिकारी भी उन्हीं सड़कों से गुजरते हैं। अब बात आती है कि इन मनमौजी अफसरों को लाइन पर लाने की जिम्मेदारी किसकी है? प्रश्न का सीधा सा उत्तर है जिले के मुखिया। निराश जनता उनकी ओर आशा भरी नजरों से देख रही है, लेकिन डीएम साहब हैं कि न तो जनता की परेशानी समझ रहे हैं और न भावनाएं। देखना यह है कि वह अपनी जिम्मेदारी आखिर कब समझते हैं?

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धरतीपुत्रों की नाराजगी अच्‍छी नहीं

कोई भी सरकार हो या फिर राजनीतिक प्लेटफार्म, धरतीपुत्र को हमेशा प्राथमिकता पर रखा जाता है। सरकार ने भी धरती पुत्रों की समस्याओं का समाधान कराने के लिए हर महीने सभी विभागों के अधिकारियों के साथ किसान दिवस का आयोजन करने का आदेश दिया है। भले ही इसमें उनकी समस्याओं का समाधान हो या ना हो, लेकिन इस मीटिंग में पहुंचकर धरतीपुत्र खुद को गौरवान्वित जरूर महसूस करते हैं। पिछली तीन बैठकों से किसान दिवस में किसान पहुंचते तो हैं, लेकिन उन्हें गुस्सा आ जाता है और वह धरना देकर बैठ जाते हैं। उनके गुस्से का कारण होता है जिम्मेदार अधिकारियों की बैठक में गैरमौजूदगी। हालांकि हर बार गुस्सा किसानों को अधिकारी मनाते हैं और फिर नई तारीख पर किसान दिवस आयोजित करके उनकी सुनते हैं। मौजूदगी की यह जिम्मेदारी अधिकारी हर बार निर्धारित पहली तारीख पर ही क्यों नहीं पूरी कर लेते हैं?

प्रधान जी अब जरा संभलकर

न जाने क्या हुआ अचानक प्रधान जी में लोगों को खामियां नजर आने लगी है। ऑफिस चाहे कमिश्नर का हो, डीएम का या फिर सीडीओ, एसडीम और बीडीओ का हो, सभी में आजकल शिकायतें प्रधान जी की ही आ रही हैं। हर स्तर पर जांच का केंद्र बिंदु प्रधान जी ही हैं। शिकायतों के इस दौर में कई प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई भी हो चुकी है। बात आती है कि आखिर ये अचानक क्या हुआ? गहराई में गए तो पता चला की वर्ष 2020 गांव पंचायत के चुनाव का है। अब वर्तमान प्रधान को भ्रष्टाचारी करार देकर ही तो प्रधान पद के नए दावेदार अपनी चुनावी बिसात बिछाएंगे। इन हालात में ईमानदार प्रधान भी नहीं बच पा रहे हैं, लिहाजा प्रधान जी को सलाह है कि अब कुछ महीने जरा संभल कर चलें। छोटी सी भी शिकायत पांच 5 साल की मेहनत पर पानी फेर सकती है।

जितना हो सके खर्च करो

विभाग चाहे जो हो, हर जगह आजकल एक ही अभियान में अधिकारी और कर्मचारी जुटे हैं। यह अभियान है, विभिन्न योजनाओं और कार्यों के लिए सरकार से मिले धन को खर्च करने का। लक्ष्य यह है कि 31 मार्च से पहले पहले प्रत्येक मद में उपलब्ध धनराशि का बिल बनाकर ट्रेजरी में पहुंचा दिया जाए ताकि पैसा वापस ना जा सके। सामान्य नागरिक की नजरों से देखें तो यह सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों का बेहद जिम्मेदारी भरा प्रयास है, लेकिन इसी तस्वीर को जब पलटकर देखा जाता है तो उसके पीछे की कहानी चौंका देने वाली मिलती है। अब यह बात किसी से भी नहीं छिपी है कि सरकारी कार्य के भुगतान का गणित क्या होता है? दीपावली के बाद मार्च महीने में एक बार फिर से लक्ष्मी जी के आगमन का मौका होता है, जिसे कोई भी नहीं छोड़ना चाहता। आजकल लक्ष्मी जी के स्वागत की तैयारियां ही जारी हैं। 


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