घटनाएं गवाह, बांग्लादेशी समझते हैं सहारनपुर को सुरक्षित ठिकाना, खुफिया विभाग को नहीं लगती भनक
उत्तर प्रदेश एटीएस की टीम ने देवबंद के दारूल उलूम में रह रहे एक संदिग्ध छात्र को दबोचा है। यह कोई पहला मामला नहीं है इसके पहले नदीम कालोनी से तीन माह पूर्व ही पकड़े गए थे बांग्लादेशी पिता-पुत्र। 1994 से सहारनपुर में रह रहे थे।
सहारनपुर, जागरण संवाददाता। कथित आतंकी हों या बांग्लादेशी, यह हमेशा से ही सहारनपुर को सुरक्षित ठिकाना समझते रहे हैं। सहारनपुर के अलग अलग स्थानों पूर्व में पकड़ गए आतंकी इस बात के गवाह हैं। अधिकांश मामलों में बाहर की पुलिस या फिर अन्य एजेंसी ही कार्रवाई करती रही है। स्थानीय खुफिया विभाग हो या फिर पुलिस इन लोगों को आतंकी रहने की भनक तक नहीं लगती है। फरवरी 2021 में पकड़े गए बांग्लादेशी पिता-पुत्र को भी एटीएस लखनऊ ने गिरफ्तार किया था। यह दोनों पिता-पुत्र 1994 से सहारनपुर में रह रहे थे और भारत के आधार, पेन कार्ड आदि बनवाया हुआ था। आरोपितों की काल डिटेल से साफ हो गया था कि वह कई देशों में रहने वाले लोगों के संपर्क में थे।
एसटीएफ ने दबोच बांग्लादेशी छात्र
उत्तर प्रदेश एटीएस की टीम ने देवबंद के दारूल उलूम में रह रहे एक संदिग्ध को दबोचा है। एटीएस की टीम की गिरफ्त में आया तलहा बांग्लादेश का बताया जा रहा है जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर देवबंद में रहकर दारुल उलूम के मदरसे में ही आठवीं में पढ़ रहा था। एटीएस ने मिली सूचना पर छापामारी कर कमरा नंबर 61 से तलहा को गिरफ्तार किया है। तलहा बीते पांच वर्ष से देवबंद में फर्जी आइडी बनाकर रह रहा था। इस प्रकरण पर दारुल उलूम प्रबंधन संस्था में किसी तरह की कार्रवाई से इन्कार कर रहा है। दारुल उलूम के कार्यवाहक मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी का कहना है कि किसी तरह की कोई गिरफ्तारी संस्था से नहीं हुई है। बहरहाल, तलहा की गिरफ्तारी की पुष्टि एटीएस ने प्रेस नोट जारी कर की है। तलहा के पास से भारत में बना आधार कार्ड, पैन कार्ड भी बरामद हुआ है। तलाशी में उसका बांग्लादेशी पासपोर्ट मिला जिसके बाद उसने स्वीकारा कि वह चटगांव से आया है।
सहारनपुर सुरक्षित बताया, इसलिए आकर रहने लगे
यह पहला मौका नहीं है, जब एटीएस ने देवबंद के दारुल-उलूम मदरसे के छात्र को गिरफ्तार किया है। एटीएस ने फरवरी 2021 में शहर की नदीम कालोनी से बांग्लादेशी तनवीर और उसके पिता उमर मोहम्मद को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में इन दोनों ने बताया था कि वह बांग्लादेश के रहने वाले हैं और सहारनपुर से पहले वह पश्चिम बंगाल राज्य में रह रहे थे, लेकिन वहां की पुलिस ने जेल भेज दिया था। जमानत पर आने के बाद फिर वह सहारनपुर आ गए थे। आरोपितों ने यह भी राजफाश किया था कि सहारनपुर को सुरक्षित बताया गया था। इसलिए वह सहारनपुर में आकर रहने लगे थे।
सहारनपुर में कब-कब पकड़े गए आतंकी
- दो वर्ष पूर्व देवबंद से जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शाहनवाज तेली निवासी कुलगाम (जम्मू-कश्मीर) और आकिब अहमद मलिक निवासी पुलवामा की गिरफ्तारी हुई।
- थाना कुतुबशेर क्षेत्र की एकता कॉलोनी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी पिता-पुत्र फरवरी 2021 में एटीएस ने दबोचा। 20 साल से रह रहे थे।
- 2019 में एटीएस ने देवबंद से पांच बांग्लादेशियों को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजा था।
- 2016 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीमों ने सहारनपुर रेलवे स्टेशन के बाहर से हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी एजाज शेख को पकड़ा।
- 2010 में पाकिस्तानी जासूस शाहिद उर्फ इकबाल भट्टी को पटियाला पुलिस ने हकीकतनगर से गिरफ्तार किया, जो देवराज सहगल के नाम से रह रहा था।
- अयोध्या में हुए बम विस्फोट में तीतरो निवासी डाक्टर इरफान को पकड़ा।
- 2001 में आतंकी गतिविधियों के चलते मुफ्ती इसरार को पकड़ा।
- 1994 में तीन ब्रिटिश नागरिकों को बंधक बनाकर आतंकियों ने खाताखेड़ी रखा था। इन्हें छुड़ाने के लिए हुई मुठभेड़ में इंस्पेक्टर ध्रुवलाल शहीद हुए थे।
- 1991 में लक्ष्मी सिनेमा में बम फटा था, जिसमें करीब दस लोग मरे थे, उस समय घटना में आतंकियों का हाथ बताया गया था।
- किफायत उल्लाह उर्फ जाफर अहमद उर्फ अताउर्रहमान उर्फ अल उल्लाह मोहल्ला कस्साबान सरसावा का रहने वाला था, जो बाद में जम्मू-कश्मीर जाकर आतंकी बना।
दारुल उलूम परिसर में बने एटीएस कमांडो सेंटर
देवबंद : दारुल उलूम में पढ़ाई कर रहे संदिग्ध बांग्लादेशी को एटीएस द्वारा पकड़ लिए जाने के मामले में बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी ने कहा कि अनेकों बार यहां से पकड़े गए संदिग्धों का संबंध दारुल उलूम देवबंद व मदरसों से मिलता रहा है, यह ङ्क्षचता का विषय है। शुक्रवार को जारी बयान में विकास त्यागी ने कहा कि पूर्व में बार बार आतंकियों व संदिग्धों का नाम दारुल उलूम व मदरसों से जुड़ता रहा है, जिससे यह साबित होता है कि दारुल उलूम व मदरसों का आतंकवाद से गहरा नाता है।
सभी बिंदुओं पर हो गंभीरता से जांच
विकास त्यागी ने सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि पकड़ा गया संदिग्ध इतने लंबे समय से किसके संरक्षण में यहां रह रहा, यहां कौन उसे पनाह दिए था। इन सब पर जांच होनी चाहिए और ऐसे संदिग्धों को पनाह देने वालों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। त्यागी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि देवबंद में एटीएस का सेंटर कहीं और नहीं बल्कि दारुल उलूम के परिसर में ही बनना चाहिए। उन्होंने सरकार से दारुल उलूम समेत मदरसों में सर्च आपरेशन चलाने और मदरसों पर प्रतिबंध लगाने की मांग रखी।