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अब पुलिस के हाथ में है जमातियों की किस्‍मत, बिंदुवार समझे कैसी होनी चाहिए चार्जशीट?

मरकज मस्जिद में धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद धर्म प्रचार करने के लिए बुलंदशहर आए इंडोनेशिया और बांग्लादेशी 16 जमातियों की किस्मत पुलिस के हाथ में है।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 02:35 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 02:35 PM (IST)
अब पुलिस के हाथ में है जमातियों की किस्‍मत, बिंदुवार समझे कैसी होनी चाहिए चार्जशीट?
अब पुलिस के हाथ में है जमातियों की किस्‍मत, बिंदुवार समझे कैसी होनी चाहिए चार्जशीट?

बुलंदशहर, जेएनएन। मरकज मस्जिद में धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद धर्म प्रचार करने के लिए बुलंदशहर आए इंडोनेशिया और बांग्लादेशी 16 जमातियों की किस्मत पुलिस के हाथ में है। यदि पुलिस ने मजबूत चार्जशीट कोर्ट में पेश की है। हर बिंदू पर सुबूत जुटाए है तो विदेशियों के लिए यह मुकदमा मुसीबत बन सकता है। यदि लीपापोती की है तो विदेशियों को राहत मिल सकती है। वहीं, पुलिस पर एक और सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर उन लोगों का पुलिस ने क्या किया है, जिन लोगों ने विदेशी जमातियों को अपने यहां पर शरण दी थी।

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चार्जशीट में यह बिंदु हुए तो बढ़ेगी मुसीबत

- दिल्ली की मरकज मस्जिद में हुए धार्मिक कार्यक्रम में शामिल विदेशी शामिल हुए या नहीं। इसकी प्रमाणित की हुई सूची।

- क्या मरकज मस्जिद से ही इन विदेशियों को धर्म का प्रचार करने के लिए बुलंदशहर भेजा गया था। इसका भी सुबूत होना चाहिए।

- 24 घंटे के अंदर विदेशी जमातियों के बारे में एलआइयू को सूचना नहीं दी गई। एलआइयू की एक रिपोर्ट भी चार्जशीट में हो।

- जिन बुलंदशहर के लोगों के यहां विदेशियों ने शरण ली। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। यह भी चार्जशीट में देना होगा।

- धर्म का प्रचार करते समय विदेशियों की भाषा को हिंदी में बदलने वाले दुभाषिए व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई या नहीं।

- जिस धर्म का विदेशी प्रचार कर रहे थे। चार्जशीट में उस प्रचार की आडियो, वीडियो या फिर अन्य सुबूत है या नहीं।

- यदि आडियो वीडियो नहीं है ताे दो ऐसे लोगों के बयान, जिन्होंने धर्म का प्रचार होते हुए अपनी आंखों से देखा हो।

नोट : यदि यह बिंदु चार्जशीट में नहीं है तो विदेशी जमातियों को राहत मिलेगी और जल्द ही अपने देश लौट जाएंगे।

हरियाणा के नूह और सहारनपुर में बरती गई लापरवाही

हरियाणा और सहारनपुर में पुलिस की विवेचना पर सवाल खड़े हुए है। यहां पर उपरोक्त बिंदुओं को चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया। जिसके बाद अदालत ने सभी विदेशियों को धारा 188 में मात्र एक माह की सजा सुना दी। जिसे जमाती पहले ही काट चुके हैं। इसलिए सभी विदेशी रिहा हो गए।

यह भी है एक नियम

यमुनापुरम कालोनी निवासी रिटायर इंस्पेक्टर अनिरूद्ध गौतम का कहना है कि यदि उपरोक्त बिंदुओं को चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया है तो एसएसपी के आदेश के बाद अदालत से धारा 173(8) यानि चार्जशीट में जो फैक्ट छूट गए है, उन्हें विवेचना में शामिल करना। जिसके बाद सभी बिंदुओं को चार्जशीट में शामिल किया जा सकता है। सभी सुबूत जुटाए गए हैं। मरकज की सूची भी चार्जशीट में ली गई है। इसके अलावा जिन लोगों ने विदेशी जमातियों को शरण दी थी। उनके खिलाफ अलग से मुकदमा दर्ज है। उनके खिलाफ भी चार्जशीट दी जाएगी।-राघवेंद्र मिश्र, सीओ सिटी 


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