महिलाओं पर अचानक बढ़ गए तेजाबी हमले, यह है वजह
महिलाओं पर अचानक तेजाबी हमले बढ़ गए हैं। कई महिलाओं ने मुआवजे के लालच में फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार कराकर खुद पर तेजाबी हमला होने की जानकारी दी है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 01:10 PM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 01:12 PM (IST)
मेरठ (नवनीत शर्मा)। तेजाबी हमले का शिकार महिलाओं को राहत देने के लिए सरकार ने हर स्तर पर मदद योजना शुरू की है। इसके तहत तीन से दस लाख रुपये तक की मदद का प्रावधान है। उधर, मदद के रूप में मिल रही लाखों की धनराशि को हड़पने के लिए बड़ा खेल भी मंडल के जिलों में शुरू हो गया। कई महिलाओं ने खुद को तेजाबी हमले का शिकार बताकर मदद राशि के लिए दावा ठोक दिया है।
मदद का प्रावधान है
रानी लक्ष्मीबाई राहत कोष के माध्यम से सरकार ने तेजाब से हुए हमले में झुलसी महिलाओं को राहत देने के साथ उपचार की व्यवस्था भी की है। इसके लिए करोड़ों का बजट भी जारी किया गया है। सरकार ने हमले की शिकार हुई महिलाओं को तीन से दस लाख तक की मदद का प्रावधान किया है। मेरठ में अभी हमले का शिकार हुई पीड़ित महिलाओं का चयन कर मदद राशि वितरण की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। चार संदिग्ध प्रकरणों की जांच जारी है।
सैकड़ों महिलाओं ने किया आवेदन
उधर, मदद के रूप में मिल रही बड़ी धनराशि ने अधिकारियों को चकरा दिया है। धनराशि पाने के लिए मंडल के जिलों में सैकड़ों की संख्या में तेजाबी हमले की शिकार महिलाओं ने मदद के लिए आवेदन किया हुआ है। अचानक इतनी बड़ी संख्या में तेजाब से झुलसी महिलाओं के आवेदन आने पर जांच शुरू कराई गई। विभिन्न कारणों से लगी आग में झुलसी तमाम महिलाओं ने फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कराकर आवेदन किया हुआ है।
तमाम कागजात मिले फर्जी
सहायता राशि पाने के लिए बड़े स्तर पर शुरू हुए खेल की पोल मेरठ में ही खुल गई। यहां एक दर्जन आवेदनों की जांच हुई तो, सामने आया कि विभिन्न कारणों से लगी आग में झुलसी महिलाओं ने मदद के लिए दावा प्रस्तुत किया है। आवेदन के साथ जरूरी कागजात भी लगाए हुए थे। इसमें मेडिकल रिपोर्ट भी शामिल थी।
एसिड अटैक का सच जान लीजिए
रानी लक्ष्मीबाई राहत कोष वर्ष 2015 में गठित किया गया था। तब मदद को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। अब योगी सरकार ने योजना का विस्तार करते हुए वर्ष 2010 से पहले हुए हमलों की शिकार महिलाओं को भी इस योजना में शामिल किया है।
इनका कहना है
तेजाब के हमले में झुलसी महिलाओं को सहायता राशि के लिए जांच के बाद चयनित किया
गया है। विभिन्न कारणों से लगी आग में झुलसी महिलाओं ने भी मदद पाने के लिए आवेदन किया। कई चरणों में की गई जांच के बाद फर्जी आवेदनों को रद कर दिया।
-श्रवण कुमार गुप्ता, उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी
मदद का प्रावधान
3 लाख 30 प्रतिशत से कम झुलसने पर
5 लाख 50 प्रतिशत तक झुलसने पर
7.50 लाख 75 प्रतिशत तक झुलसने पर
10 लाख हमले में मृत्यु हो जाने पर
मंडल की स्थिति
205 कुल आवेदन
60 पात्र मिले
65 संदिग्ध, जांच जारी
80 फर्जी निकले
मेरठ की स्थिति
45 कुल आवेदन छह माह में
17 मदद के लिए चयनित
04 की चल रही जांच
24 फर्जी निकले
मदद का प्रावधान है
रानी लक्ष्मीबाई राहत कोष के माध्यम से सरकार ने तेजाब से हुए हमले में झुलसी महिलाओं को राहत देने के साथ उपचार की व्यवस्था भी की है। इसके लिए करोड़ों का बजट भी जारी किया गया है। सरकार ने हमले की शिकार हुई महिलाओं को तीन से दस लाख तक की मदद का प्रावधान किया है। मेरठ में अभी हमले का शिकार हुई पीड़ित महिलाओं का चयन कर मदद राशि वितरण की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। चार संदिग्ध प्रकरणों की जांच जारी है।
सैकड़ों महिलाओं ने किया आवेदन
उधर, मदद के रूप में मिल रही बड़ी धनराशि ने अधिकारियों को चकरा दिया है। धनराशि पाने के लिए मंडल के जिलों में सैकड़ों की संख्या में तेजाबी हमले की शिकार महिलाओं ने मदद के लिए आवेदन किया हुआ है। अचानक इतनी बड़ी संख्या में तेजाब से झुलसी महिलाओं के आवेदन आने पर जांच शुरू कराई गई। विभिन्न कारणों से लगी आग में झुलसी तमाम महिलाओं ने फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कराकर आवेदन किया हुआ है।
तमाम कागजात मिले फर्जी
सहायता राशि पाने के लिए बड़े स्तर पर शुरू हुए खेल की पोल मेरठ में ही खुल गई। यहां एक दर्जन आवेदनों की जांच हुई तो, सामने आया कि विभिन्न कारणों से लगी आग में झुलसी महिलाओं ने मदद के लिए दावा प्रस्तुत किया है। आवेदन के साथ जरूरी कागजात भी लगाए हुए थे। इसमें मेडिकल रिपोर्ट भी शामिल थी।
एसिड अटैक का सच जान लीजिए
रानी लक्ष्मीबाई राहत कोष वर्ष 2015 में गठित किया गया था। तब मदद को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। अब योगी सरकार ने योजना का विस्तार करते हुए वर्ष 2010 से पहले हुए हमलों की शिकार महिलाओं को भी इस योजना में शामिल किया है।
इनका कहना है
तेजाब के हमले में झुलसी महिलाओं को सहायता राशि के लिए जांच के बाद चयनित किया
गया है। विभिन्न कारणों से लगी आग में झुलसी महिलाओं ने भी मदद पाने के लिए आवेदन किया। कई चरणों में की गई जांच के बाद फर्जी आवेदनों को रद कर दिया।
-श्रवण कुमार गुप्ता, उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी
मदद का प्रावधान
3 लाख 30 प्रतिशत से कम झुलसने पर
5 लाख 50 प्रतिशत तक झुलसने पर
7.50 लाख 75 प्रतिशत तक झुलसने पर
10 लाख हमले में मृत्यु हो जाने पर
मंडल की स्थिति
205 कुल आवेदन
60 पात्र मिले
65 संदिग्ध, जांच जारी
80 फर्जी निकले
मेरठ की स्थिति
45 कुल आवेदन छह माह में
17 मदद के लिए चयनित
04 की चल रही जांच
24 फर्जी निकले
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