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बागपत की ग्राम पंचायतों में पकड़ा गया 27 लाख का घोटाला, जानिए कैसे हुआ राजफाश

बागपत में मनरेगा सेल के एक कर्मी ने बताया कि सोशल आडिट में मौके पर काम कराए बिना मजदूरों को भुगतान करने जमीन के बजाय कागजों पर काम दिखाकर लाखों रुपये निकालने कार्य स्थल पर बिना बोर्ड लगाए बोर्ड लगाने का खर्च निकालने जैसे मामले पकड़े गए।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 08:32 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 08:32 PM (IST)
बागपत की ग्राम पंचायतों में पकड़ा गया 27 लाख का घोटाला, जानिए कैसे हुआ राजफाश
बागपत की ग्राम पंचायतों में पकड़ा गया 27 लाख का घोटाला

बागपत, जागरण संवाददाता। ग्राम पंचायतों में सरकारी धन की लूट थम नहीं रही है। सोशल आडिट में मनरेगा में 27 लाख रुपये का घोटाला सामने आने से खलबली मची है। धरातल पर काम कराए बिना लाखों के वारे-न्यारे करने वाले अधिकारी-कर्मियों और ग्राम प्रधानों का इसमें फंसना तय है।

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यह है मामला

जिला विकास अधिकारी ने गत सात अक्टूबर को सोशल आडिट निदेशक लखनऊ को भेजी रिपोर्ट में 84 ग्राम पंचायतों में वित्तीय वर्ष 2020-2021 में मनरेगा कार्यों का सोशल आडिट पूरा होने की जानकारी दी थी। इनमें 64 ग्राम पंचायतों की सोशल आडिट रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड कराई जा चुकी है। सोशल आडिट टीमों ने मनरेगा कार्यों में 603 कमियां पकड़ीं, जिनमें 10 खामियों का मौके पर निस्तारण हो गया। 593 कमियों का निस्तारण शेष है। इन ग्राम पंचायतों में 27.11 लाख रुपये की अनियमितता पकड़ में आई है।

मनरेगा सेल के एक कर्मी ने बताया कि सोशल आडिट में मौके पर काम कराए बिना मजदूरों को भुगतान करने, जमीन के बजाय कागजों पर काम दिखाकर लाखों रुपये निकालने, कार्य स्थल पर बिना बोर्ड लगाए बोर्ड लगाने का खर्च निकालने तथा मौके पर पौधे नहीं लगे मिलने जैसे मामले पकड़े गए। इन वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित पंचायत सचिवों, प्रधानों और अफसरों आदि का पक्ष सुनने के लिए ब्लाक सभाएं कराई जाएंगी।

इन्होंने कहा

अनियमितता के जिम्मेदार लोगों को ब्लाक सभा में साबित करना होगा कि वित्तीय अनियमितता नहीं की है। यदि ऐसा करने में विफल रहे तो माना जाएगा कि वित्तीय अनियमितता की गई है।

-ब्रजभूषण सिंह, जिला विकास अधिकारी

पंचायत सचिवों ने दिया धरना

बागपत। पंचायत सचिवों की हड़ताल से पंचायत सहायकों की नियुक्ति तथा 244 ग्राम पंचायतों में विकास व सरकारी योजनाएं धड़ाम हो गई हैं। मंगवार को पंचायत सचिवों ने विकास भवन पर धरना देकर डीपीआरओ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उनके निलंबन की मांग की। इस दौरान प्रमोद कुमार, कृष्णपाल तोमर, जौनी चौधरी आदि मौजूद रहे। डीपीआरओ बनवारी सिंह ने कहा कि लाखों रुपये के घोटाले पर पर्दा डालने को पंचायत सचिव धरना दे रहे हैं।


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