सरकार की श्रम नीतियों के खिलाफ भरी हुंकार,कई विभाग के कर्मी रहे हड़ताल पर
देश के कई ट्रेड यूनियन और संगठनों के आह्वान पर बुधवार को भारत बंद रहा। जिस पर बैंक बीमा और कई विभाग के राज्य कर्मचारी हड़ताल पर रहे।
मेरठ, जेएनएन। देश के कई ट्रेड यूनियन और संगठनों के आह्वान पर बुधवार को भारत बंद रहा। जिस पर बैंक, बीमा और कई विभाग के राज्य कर्मचारी हड़ताल पर रहे। बैंकों के हड़ताल में शामिल होने से बैंक से संबंधित कामकाज प्रभावित हुए। हालाकि कई बैंक खुले भी रहे। जिससे लोगों को बहुत अधिक परेशानी नहीं हुई। मेरठ में राष्ट्रीय जन संगठन मंच के बैनर तले श्रमिक संगठन और यूपी बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के बैनर तले बैंकों ने सरकार की श्रम विरोधी कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। जुलूस निकालकर मंडलायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। चौ. चरण सिंह पार्क में सभा कर अपनी मांगों को गिनाया। सरकार की नीतियों की खिलाफत की और निजीकरण का विरोध किया। विरोध प्रदर्शन में आयकर कर्मचारी महासंघ के विजय कुमार गुप्ता, यूपी बैंक एम्पलाइज यूनियन के महामंत्री प्रशांत शर्मा, सीटू के जिला मंत्री सतपाल सिंह, उत्तर प्रदेश मेडिकल व सेल्स एसोसिएशन के धनंजय सिंह, आल इंडिया एलआइसी एम्पलाइज फेडरेशन के राजीव शर्मा, इंटक के विरेंद्र गुप्ता, एचएमएस के रविपाल सिंह सिरोही आदि अन्य शामिल रहे। कुछ बैंकों में कामकाज पड़ा असर बुधवार की हड़ताल में बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और केनरा बैंक आदि शामिल रहे। इन बैंकों के सभी ब्रांच पर ताले लटके रहे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पीएनबी सहित कई बैंक हड़ताल से बाहर रहे। हालांकि बैंक के कर्मचारियों ने हड़ताल का नैतिक समर्थन दिया। संगठन की ये रही प्रमुख मांगे --- -बैकों में रिक्त पद भरें जाएं। -बैकों का विलय रोका जाए। -कॉरपोरेट घरानों के लोन को वसूलने की प्रक्रिया सख्त हो। -वेतन पुनरीक्षण को जल्द लागू किया जाए। -न्यूनतम वेतनमान 21 हजार रुपये किया जाए। मजदूरों को दस हजार रुपये पेंशन तय किया जाए। -सभी को पेंशन की सुविधा दिया जाए। -महंगाई पर रोक लगाने के लिए उचित योजना बनाई जाए। -श्रम कानूनों को सख्त किया जाए। -असंगठित क्षेत्र के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून बनाया जाए। -नए रोजगार सृजन किए जाएं। -उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से बिना जांच के मुकदमे वापस किए जाएं। -बैंक, बीमा, रक्षा, दूरसंचार और रेलवे में निजीकरण की नीति रद किया जाए। -किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए।