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अनियमित जीवन शैली से हो रहे 83 फीसद रोग, इस तरह करें स्‍वास्‍थ्‍य की रक्षा

83 फीसद रोग व्यस्त जीवनशैली के कारण होते हैं। 60 फीसद लोग व्यस्त जीवनशैली के कारण तनाव में जी रहे हैं। अपने स्वास्थ्य की रक्षा हमें स्वयं करनी होगी। यह बात आरोग्य भारती और विवेकानंद अध्ययन केंद्र की ओर से सीसीएसयू में आयोजित गोष्ठी में डा. अशोक ने कही।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 06:09 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 06:09 PM (IST)
अनियमित जीवन शैली से हो रहे 83 फीसद रोग, इस तरह करें स्‍वास्‍थ्‍य की रक्षा
विवेकानंद अध्ययन केंद्र की ओर से सीसीएसयू में आयोजित गोष्ठी।

मेरठ, जेएनएन। 83 फीसद रोग व्यस्त जीवनशैली के कारण होते हैं। 60 फीसद लोग व्यस्त जीवनशैली के कारण तनावपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अपने स्वास्थ्य की रक्षा हमको स्वयं की करनी होगी। जिस अर्थ को पाने के लिए हम अपनी काया की चिंता नहीं कर रहे हैं वह काया लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी वह काया नहीं पा पाएंगे। यदि हमने अपनी जीवनशैली को व्यवस्थित कर लिया तो सारे रोग भाग जाएंगे। यह बात आरोग्य भारती और विवेकानंद अध्ययन केंद्र की ओर से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय स्थित बृहस्पति भवन में आयोजित गोष्ठी में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव डा. अशोक ने कही।वह स्वस्थ्य जीवनशैली, आचार व विचार वर्तमान परिस्थिति के विशेष संदर्भ में बोल रहे थे।

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डा. अशोक ने कहा कि यदि जीवन को स्वस्थ्य रखना है तो व्यायाम बहुत जरूरी है। छोटे छोटे कामों को अपनी जीवनशैजी में शामिल करना पडेगा। तीन चीचों को जीवन में जरूर शामिल करें। शारीरिक व मानसिक व्यायाम, आहार विहार और सकारात्मक सोच।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. संजय जैन ने कहा कि माडर्न मेडिसन के कारण हर साल पांच करोड़ लोग गरीबी की रेखा के नीचे चले जाते हैं। मॉडर्न मेडिसन के उददेश्य पेटेंट व लाभ है, इसका मानव कल्याण से कोई वास्ता नहीं है। यह कारण है कि आयुर्वेद हाशिए पर चला गया है। आयुर्वेद शताब्दियों से हमारी चिकित्सा पद्धति रही है। लेकिन कोरोना ने कारण मजबूरी में ही सही भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद को दुनिया को अपनाना पडा है।

डा. दर्शन लाल अरोडा ने कहा कि यदि हमारा शरीर ठीक है तो हम सब काम कर सकते हैं और यदि शरीर ठीक नहीं है तो आपके अंदर कितनी भी योग्यता हो सब बेकार है। उन्होंने कहा कि हेल्थ ही डोज आधा घंटा रोज, व्यायाम के माध्यम से हम सभी अंगों को स्वस्थ कर सकते हैं। आवश्यकता पडने पर ही दवा का उपयोग करें। हमारी रसोई में ही सभी प्रकार की दवाएं है लेकिन हम रसोई में से सभी दवाएं को खत्म करते जा रहे हैं ।फास्ट फूड और बाहर के खाने को ज्यादा अपना रहे हैं। जीवन में हर दृष्टि से ईमानदारी का उपयोग करें, अपनी योग्यता को समाज के लिए इस्तेमाल करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चीफ प्रॉक्टर प्रो. बीरपाल सिंह ने कहा कि आयुर्वेद देश की संस्कृति में शामिल है और भारतीय संस्कृति ने दुनिया को बताया की किस प्रकार से कोरोना से बचा जा सकता है। पूरा दुनिया आयुर्वेद की तरफ जा रही है। शरीर को स्वास्थ रखने के लिए अपने आप पर संयम करना होगा।

संचालन डा. निधि भाटिया ने किया। धमेंद्र कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। मनोज पाठक, विजय लक्ष्मी का विशेष सहयोग रहा। सुशील कुमार, कृष्ण कुमार, प्रो. आरके सोनी, प्रो. नीलू जैन, प्रो.बिन्दु शर्मा, प्रो. राजीव सिजेरिया, डा.अनुज कुमार, डा. विवेक कुमार, डा. नरेंद्र पांडे, डा. अश्वनी कुमार, डा. कपिल स्वामी, प्रेस प्रवक्ता मितेंद्र कुमार गुप्ता, इंजीनियर मनीष मिश्रा रहे। 


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