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मेरठ मेडिकल कालेज में सात साल तक भटके 800 कैंसर के मरीज, मौत मिली या तारीख

cancer patients in meerut मेरठ मेडिकल कालेज में मई 2015 में बंद पड़ी रेडियोथेरपी 22 मई 2022 में चालू हुई। अलीगढ़ व दिल्ली भटके मरीज सिकाई की लंबी वेटिंग से कई की मौत। लेकिन अब मेडिकल कालेज में दोबारा सिकाई शुरू होने में सात साल लग गए।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 10:00 AM (IST)
मेरठ मेडिकल कालेज में सात साल तक भटके 800 कैंसर के मरीज, मौत मिली या तारीख
cancer patients in meerut मेडिकल कालेज में कैंसर मरीजों के लिए दोबारा सिकाई शुरू में लंबा वक्‍त लग गया।

संतोष शुक्ल, मेरठ। कैंसर मरीजों के लिए इससे बड़ा दर्द क्या होगा कि उन्हें सिकाई के लिए दर-दर भटकना पड़ा। मेडिकल कालेज में दोबारा सिकाई शुरू होने में सात साल लग गए। इस बीच आठ सौ कैंसर मरीजों को अलीगढ़ और नई दिल्ली रेफर करना पड़ा। कई मरीजों की भटककर जान चली गई। जो बचे उन्हें सिकाई यानी रेडियोथेरपी के लिए महीनों की लंबी तारीख मिली। मेडिकल कालेज में जो सिकाई दो हजार रुपये में मिलती, उसी सिकाई के लिए प्राइवेट अस्पतालों को दो लाख रुपये देने पड़े।

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...सौ गुना महंगा इलाज लेना पड़ा

मेडिकल कालेज के कैंसर रोग विभाग में कोबाल्ट-60 से मरीजों की सिकाई की जा रही थी। एटामिक एनर्जी रेग्यूलेटर बोर्ड ने वर्ष 2015 में मेडिकल प्रशासन को बताया कि रेडियोसोर्स कोबाल्ट की ताकत क्षीण होकर 30 आरएमएम तक पहुंच गई है, जिसे 100 से ज्यादा होना चाहिए। क्षीण रेडियोसोर्स से सिकाई में ज्यादा वक्त लगने से स्वस्थ कोशिकाएं भी झुलसेंगी। मई 2015 में सिकाई बंद कर दी गई। इस बीच कैंसर मरीज इलाज के लिए मेडिकल आते रहे, जिन्हें नई दिल्ली में जीटीबी एवं अलीगढ़ मेडिकल कालेज रेफर किया गया। कई मरीजों ने मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों में मेडिकल कालेज के दो हजार रुपये की जगह दो लाख रुपये देकर यानी सौ गुना महंगा इलाज लिया।

..2018 में पैसा मिला, खरीद चार साल बाद

मेडिकल प्रशासन ने कई बार प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर नया रेडियोसोर्स यानी कोबाल्ट-60 मांगा। तीन साल तक पत्राचार के बाद 2018 में शासन ने चार करोड़ का बजट जारी कर दिया। यहां से टेंडर एवं एनओसी का मकड़जाल शुरू हुआ। एटामिक एनर्जी रेग्यूलेटरी बोर्ड-एईआरबी ने भी मेडिकल प्रशासन पर रेडियोसोर्स के रखरखाव में कमी की बात कहते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया। यह मामला लंबे समय तक अटका रहा। मुख्य विकिरण सुरक्षा अधिकारी डा. अरविंद तिवारी ने एईआरबी के सुरक्षा संबंधी सभी मानकों को नौ अप्रैल तक पूरा किया। आखिरकार 20 अप्रैल को नया रेडियोसोर्स कोबाल्ट-60 मिल गया।

- क्या है कोबाल्ट-60

यह रेडियोएक्टिव धातु है, जिससे निकलने वाली किरणें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करती हैं। चिकित्सकों की निगरानी में एक नियंत्रित मात्रा में रेडियोएक्टिव किरणें मरीज को दी जाती है। आम लोगों के लिए यह खतरनाक होती है।

इनका कहना है

वाकई लंबी प्रतीक्षा के बाद दोबारा सिकाई शुरू हो पाई है। सैकड़ों मरीजों को दिल्ली व अलीगढ़ रेफर करना पड़ा। फिलहाल दो मरीजों की सिकाई शुरू कर दी गई है। कैंसर मरीजों के इलाज में विशेष तत्परता बरती जाएगी।

- डा. आरसी गुता, प्राचार्य, मेडिकल कालेज 


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