घरेलू नुस्खों से भगाएं डेंगू समेत 36 प्रकार के बुखार
बारिश में प्रतिरोधक क्षमता न्यूनतम होती है जो डेंगू व वायरल बुखारों के लिए अनुकूल है। चरक संहिता में 36 बुखारों का वर्णन, डेंगू से मिलते जुलते लक्षणों का भी जिक्र है।
मेरठ। झमाझम बारिश के दौरान प्रकृति भले ही निखर उठती है, किंतु इसी मौसम में सेहत पर संक्रमण का सर्वाधिक रिस्क होता है। डेंगू, मलेरिया एवं अन्य प्रकार के वायरल बुखारों से मरीज तपने लगता है। किंतु घरेलू नुस्खों से ऐसे तीन दर्जन बुखारों को दूर किया जा सकता है, जिसके लिए कई बार मरीज को आइसीयू तक भर्ती कराना पड़ता है।
दही छोड़ें..सेहत बनाएं
दो हजार वर्ष पहले चरकसंहिता में 36 विषक ज्वरों का वर्णन है, जिसका प्रकोप बारिश में तेज होता है। मलेरिया एवं वायरल बुखार भी इसी श्रेणी में आते हैं। इसमें शरीर का तापमान घटता-बढ़ता रहता है। चिकित्सकों की मानें तो बारिश के दौरान शरीर की तासीर ऐसी हो जाती है कि दही से नुकसान हो सकता है। दही के लाभकारी एल्कलायड इस मौसम में सक्रिय नहीं हो पाते हैं।
दिन में न सोएं
जबकि इस मौसम में हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाली हरी सब्जियों का सेवन भी वर्जित है, ऐसे में औषधीय वनस्पतियों का अर्क रामबाण साबित होता है। दिन में सोने, दही एवं हरी सब्जियों के सेवन, फ्रिज का पानी पीने एवं एसी में रहने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
गिलोय घनवटी से भगाएं बुखार
-गिलोय की एक अंगुल बराबर लकड़ी को उबालकर चाय की तरह पिएं। इसका जूस भी ले सकते हैं।
-नीम पर चढ़ी गिलोय अत्यंत लाभकारी है। इसकी कड़वाहट उम्दा ज्वरनाशक है।
-घर की तुलसी का काढ़ा पिएं। यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगी।
-गरम मसाला के चिरायता की लकड़ी को उबालकर अर्क पिएं। ज्वरनाशक है।
-गला खराब हो तो हल्दी को दूध में मिलाकर पिएं। टांसिल में लाभ होगा।
-हल्दी का कैप्सूल खाने से मुंह के छाले एवं अल्सर तेजी से ठीक होते हैं।
-वर्षा में ब्रश करना बंद कर दें। इसमें दर्जनों प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं जो टांसिल बनाते रहते हैं।
-लहसुन, हल्दी, एवं लवांग का भी सेवन करना चाहिए।
वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा. ब्रजभूषण शर्मा का कहना है कि डेंगू लीवर पर सर्वाधिक दुष्प्रभाव छोड़ता है। इस बीमारी के संक्रमण से पहले पुनर्नवा, मंडूर एवं नवायस लोह का सेवन शुरू कर देना चाहिए। दस पत्ता तुलसी, पांच ग्राम दालचीनी, दस ग्राम मिसरी एवं छह लौंग डालकर काढ़ा बनाएं। साथ में आरोग्यवर्धनी दें। हर बुखार में आराम मिलेगा।
महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के डा. चंद्रचूड़ मिश्रा का कहना है कि गिलोय घनवटी से प्रतिरोधक क्षमता मिलती है। अष्टांग संग्रह में तुलसी पत्र, नीम पत्र, गिलोय एवं पीपल की पत्तियों को मिलाकर काढ़ा बनाने का विधान है। घर में सोंठ, अजवाइन, काली मिर्च, जीरा के प्रयोग से शरीर को संपूर्ण प्रतिरोधक क्षमता मिलती है।