यूपी चुनाव 2022: बुलंदशहर की जनता ने 'गैरों' के सिर भी सजाया ताज
UP Assembly Election 2022 जातिवाद और क्षेत्रवाद के आधार पर बंटवारा करने वाले नेताओं के लिए बुलंदशहर के बाशिंदे आईना दिखाते नजर आते हैं। दूसरे जिलों से आए प्रत्याशियों को भी लोगों ने गले लगाया। कई तो बाहर से आए और यहां से जीतकर मंत्री भी बन गए।
बुलंदशहर, अमर सिंह राघव। जातिवाद और क्षेत्रवाद के आधार पर बंटवारा करने वाले नेताओं के लिए बुलंदशहर के बाशिंदे आईना दिखाते नजर आते हैं। यहां क्षेत्रीय प्रत्याशियों के साथ-साथ जनता ने दूसरे जिलों या क्षेत्रों से आए प्रत्याशियों को भी गले लगाया। इनमें से कुछ तो विधानसभा पहुंचने के बाद मंत्री भी बने।
बुलंदशहर जिले को प. उत्तर प्रदेश के प्रमुख खेती प्रधान जिलों में शुमार किया जाता है। इसके साथ सियासी हलकों में भी बुलंदशहर का नाम सलीके से लिया जाता है। आजादी के बाद देश में 1952 से चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी। विधान सभा चुनावों में जिले के लोगों ने क्षेत्रीय प्रत्याशियों के साथ-साथ दूसरे क्षेत्रों के उम्मीदवारों को भी गले लगाया है। डिबाई व सदर सीट पर सबसे अधिक बाहरी जिले के प्रत्याशी आए। यहां की जनता ने इन्हें अच्छे मतों से विजयी बनाकर विधानसभा भेजा। दूसरे जिलों से आए कुछ लोग यहां विधानसभा चुनाव जीते। इसके बाद मंत्री भी बने। डीपी यादव को उदाहरण के तौर पर ले सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यपाल कल्याण सिंह जिले से दो बार विधानसभा व एक बार लोकसभा पहुंचे हैं। बाबू बनारसी दास जिले के ही निवासी थे। 1979 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। वह केंद्र सरकार में मंत्री से लेकर विधानसभा अध्यक्ष पद तक रहे।
जिले से चुने गए बाहरी विधायक
नाम विधानसभा दल साल मूल जनपद
कल्याण ङ्क्षसह (पूर्व मुख्यमंत्री) डिबाई भाजपा व राक्रांपा 1996 व 2002 अलीगढ़
भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित डिबाई बसपा प सपा 2005 व 2012 नोएडा
डा. अनीता राजपूत डिबाई भाजपा 2017 गाजियाबाद
मुकेश पंडित शिकारपुर सपा 2012 नोएडा
डीपी यादव बुलंदशहर जनता पार्टी, जनता दल , सपा 1989,1991 गाजियाबाद
कल्याण सिंह बुलंदशहर लोकसभा भाजपा 2004 अलीगढ़