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बिजनौर में पहले भी सक्रिय रहे हैं स्लीपिंग मॉड्यूल, पुलिस से हुई थी आतंकियों की भीषण मुठभेड़

ATS raids in Bijnorबिजनौर में एटीएस की छापेमारी से जांच एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। हालांकि पहले भी आतंकी गतिविधियां के तार जिले से जुड़ते रहे हैं। वर्ष 2014 में मोहल्ला जाटान में हो चुका है बम प्लास्ट। 2001 में पुलिस से हुई थी आतंकियों की भीषण मुठभेड़।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 07:00 AM (IST)
बिजनौर में पहले भी सक्रिय रहे हैं स्लीपिंग मॉड्यूल, पुलिस से हुई थी आतंकियों की भीषण मुठभेड़
बिजनौर में पहले भी सक्रिय रहे हैं स्लीपिंग मॉड्यूल।

बिजनौर, जेएनएन। एक बार फिर से बिजनौर में एटीएस की छापेमारी से जांच एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। हालांकि पहले भी आतंकी गतिविधियां के तार जिले से जुड़ते रहे हैं। वर्ष 2001 में आतंकियों से पुलिस की भीषण मुठभेड़ हुई थी, जिसमें दो पुलिसकर्मी शहीद गए थे। बाद में पुलिस ने भी चार आतंकी मार गिराए थे।

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आतंकी गतिविधियों के लिए पहले से बदनाम

स्लीपिंग मॉड्यूल के तौर पर संदिग्ध गतिविधियां सक्रिय रही हैं। दक्षिण कश्मीर में कोतवाली देहात क्षेत्र का जावेद सलमानी पकड़ा गया है। जिसके बाद एटीएस और आर्मी इंटेलीजेंस की छापेमारी की जा रही है। बिजनौर आतंकी गतिविधियों के लिए पहले से बदनाम रहा है। 12 सितंबर 2014 को बिजनौर जनपद के जाटान मुहल्ला स्थित एक मकान में बम ब्लास्ट हुआ था। धमाके के बाद सिमी के छह आतंकी अमजद, असलम, एजाजुद्दीन, महबूब, असलम और सिराज फरार हो गए थे। तीन अप्रैल 2015 को तेलंगाना पुलिस ने एजाजुद्दीन और असलम को मुठभेड़ में मार गिराया था।

वहीं 17 फरवरी 2016 में महमूद, सालिक, अमजद और जाकिर हुसैन को उड़ीसा से गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें भोपाल की सेंटर जेल में रखा गया था, जहां अक्टूबर 2016 में चारों आतंकी जेल से फरार हो गए थे। बाद में चारों को मुठभेड़ में मार गिराया गया था। जाटान ब्लास्ट के मामले में पुलिस और एटीएस ने जांच के बाद एक महिला समेत पांच आरोपितों को मदद करने के आरोप में जेल भेजा था। सभी मददगार आरोपित लखनऊ जेल में बंद हैं।

लखनऊ एटीएस ने भी कई साल पूर्व रायपुर सादात क्षेत्र का एक व्यक्ति अवैध हथियारों के साथ पकड़ा था। बाद में वह कोर्ट से बरी हो गया था। मुंबई एटीएस ने पांच साल पूर्व नहटौर क्षेत्र से फंडिंग के मामले में छापेमारी की थी। 2001 में भी सेंटी मैरी चौराहे पर पुलिस की आतंकियों से भीषण मुठभेड़ हुई थी, जिसमें एक दारोगा और सिपाही शहीद हुए थे। बाद में पुलिस ने चार आतंकी मार गिराए थे। जिले में स्लीपिंग मॉड्यूल की गतिविधियों के चलते अक्सर इंटेलीजेंस डेरा डाले रहती है। एनआईए की भी निगाह जिले में रहती है।

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