Move to Jagran APP

RLD Party After Ajit Singh: जयंत चौधरी पर राजनीतिक विरासत का दारोमदार, जानिए इनके सामने क्‍या होगी चुनौतियां?

RLD Party After Ajit Singh रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद अब चौधरी परिवार की 92 साल पुरानी राजनीतिक विरासत को संवारने का दारोमदार जयंत चौधरी पर आ गया है। जिसे संवारने को लेकर इनके सामने कई चुनौतियां होगीं।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 11:06 AM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 11:06 AM (IST)
RLD Party After Ajit Singh: जयंत चौधरी पर राजनीतिक विरासत का दारोमदार, जानिए इनके सामने क्‍या होगी चुनौतियां?
अजित सिंह के निधन के बाद जयंत चौधरी पर राजनीति विरासत की जिम्‍मेदारी।

[जहीर हसन] बागपत। RLD Party After Ajit Singh: रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद अब चौधरी परिवार की 92 साल पुरानी राजनीतिक विरासत को संवारने का दारोमदार जयंत चौधरी पर आ गया है। नई भूमिका में तीसरी पीढ़ी के जयंत चौधरी के सामने अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह व पिता चौधरी अजित सिंह की मानिंद किसानों और खाप पंचायतों को साधकर खोई सियासी जमीन पाने की चुनौती होगी। चौधरी परिवार की सियासत का सफर शुरू हुआ वर्ष 1929 में, जब चौधरी चरण सिंह मेरठ जिला पंचायत सदस्य पद का निर्विरोध चुनाव जीते। इसके बाद चौ. चरण सिंह ने सियासी जमीन तैयार की छपरौली में। छपरौली से चौ. चरण सिंह ने विधायक से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया।

loksabha election banner

वर्ष 1986 में चौधरी चरण सिंह के बीमार होने पर चौधरी अजित सिंह आइबीएम कंपनी की कंप्यूटर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ अमेरिका से भारत लौटे और राज्यसभा सदस्य बन सियासत में सक्रिय हो गए। वर्ष 1987 में चौ.चरण सिंह के निधन के बाद चौ. अजित सिंह ने पिता की राजनीतिक विरासत संभालकर 35 साल तक किसानों और खाप चौधरियों के दिलों पर राज किया। गन्ना समस्या हो या खेती किसानी से जुड़ा कोई दूसरा मुद्दा अथवा गांव गरीब के साथ ज्यादती हो अथवा कोई दूसरा सामाजिक सरोकार, हमेशा ही चौ. अजित सिंह किसानों और खाप पंचायतों के पुकारने पर उनके बीच पहुंचते और अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में कसर नहीं छोड़ते।

अब उनके निधन के बाद उनके पुत्र जयंत चौधरी पर परिवार की राजनीतिक विरासत संभालने का जिम्मा आ गया है। किसानों और खाप पंचायतों को जयंत चौधरी से उम्मीद है कि वह भी अपने पिता चौ. अजित सिंह की तरह उनके सुख-दुख के भागीदार बनकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आवाज बनेंगे। ऐसे में जयंत चौधरी को पार्टी संगठन में शामिल अपने से ज्यादा उम्र के नेताओं के बीच संतुलन बनाकर वर्ष 2014 तथा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में खिसकी सियासी जमीन पाने के लिए अपने पिता अजित सिंह जैसा ही जमीनी संघर्ष कर खुद को साबित करना होगा। जयंत चौधरी को सियासी गुर विरासत में मिले हैं। वह साल 2009 से मथुरा से सांसद रह चुके हैं तथा वर्ष 2014 का मथुरा और वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव बागपत से दमदार ढंग से लड़ चुके हैं। बेशक दोनों चुनाव में उन्हें हार मिली, लेकिन चौधरी परिवार से राजनीतिक विरासत के रूप में मिला अनुभव मददगार होगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.