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मुजफ्फरनगर दंगा: पुलिस और पीएसी पर जानलेवा हमले के मामले में तीन आरोपित बरी

2013 में मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। दुष्कर्म के आरोपितों के घर कुर्की करने गई पुलिस और पीएसी पर उपद्रव बलवा एवं जानलेवा हमले के मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपितों को बरी कर दिया।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 09:11 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 09:11 PM (IST)
मुजफ्फरनगर दंगा: पुलिस और पीएसी पर जानलेवा हमले के मामले में तीन आरोपित बरी
मुजफ्फरनगर दंगा: हमले के मामले में तीन आरोपित बरी

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। 2013 के दंगे में दुष्कर्म के आरोपितों के घर कुर्की करने गई पुलिस और पीएसी पर उपद्रव, बलवा एवं जानलेवा हमले के मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपितों को बरी कर दिया। 

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2013 में जनपद में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। इस दौरान थाना फुगाना में दुष्कर्म के कई मुकदमे दर्ज किए गए थे। अभियोजन के अनुसार सीजेएम कोर्ट ने तलब होने के बावजूद आरोपितों के पेश न होने पर पुलिस को उनकी कुर्की के आदेश दिए थे। एक मई 2014 को तत्कालीन एसपी देहात आलोक प्रियदर्शी, सीओ फुगाना सत्यप्रकाश तथा तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक विजय सिंह पुलिस तथा पीएसी फोर्स लेकर फुगाना में आरोपितों के घर कुर्की को गए थे। अपरान्ह ढाई बजे जब दो आरोपितों के घर कुर्की कार्रवाई के उपरांत पुलिस व पीएसी अन्य आरोपितों के आरोपित नीलू के घर कुर्की को जा रही थी तो हरपाल के घर जाने वाले रास्ते पर बुग्गियां खड़ी कर मार्ग अवरुद्ध कर दिया गया था। सैकड़ों लोगों की भीड़ ने हंगामा करते हुए पुलिस व पीएसी का रास्ता रोककर हमला किया था। हंगामे तथा बवाल के बाद पुलिस वापस लौट गई थी।

डेढ दर्जन नामजद व 500 अज्ञात पर हुआ था मुकदमा

प्रभारी निरीक्षक विजय सिंह ने हरपाल सिंह पुत्र नाहर, सुनील पुत्र सिंह तथा डा. जितेन्द्र पुत्र नेपाल सहित डेढ़ दर्जन को नामजद तथा 500 अज्ञात के विरुद्ध जानलेवा हमले सहित विभिन्न संगीन धाराओं में मुकदमा  दर्ज कराया था।

अभियोजन के गवाहों ने नहीं स्वीकारी आरोपितों की मौजूदगी

वादी मुकदमा विजय सिंह की घटना के 25 दिन बाद ही मौत हो गई थी। इस कारण उनकी ओर से कोर्ट में गवाही नहीं हो पाई। सुनवाई के दौरान अभियोजन के गवाहों ने अपने बयान में किसी भी आरोपित के मौके पर होने तथा उन्हें पहचानने से इंकार किया। किसी भी पुलिसकर्मी का मेडिकल प्रस्तुत नहीं किया गया तथा कोर्ट में उपद्रव के दौरान किसी भी सरकारी वाहन के क्षतिग्रस्त होने की बात सामने नहीं आई।

विश्वसनीय साक्ष्य के अभाव से आरोपितों को मिला लाभ

घटना के मुकदमे की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-10 बलराज सिंह के समक्ष हुई। कोर्ट ने विश्वसनीय साक्ष्य के अभाव का हवाला देते हुए संदेह का लाभ देकर तीनों आरोपितों को बरी कर दिया।


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