यह एक अलग जंग है, इसे भी जीत ही लेंगे
इस से सबको निजात देनी है कोरोना को भी घात देनी है।
मेरठ, जेएनएन। इस से सबको निजात देनी है,
कोरोना को भी घात देनी है।
अपनी महबूबा भी जो पास आए, उसको भी एक लात देनी है..
ये मोहब्बत की रस्म आम करो,
दूर ही दूर से सलाम करो,
बुर्का पहने ही पहने अब मिलना, छींक को आज से हराम करो..
लॉकडाउन में अपने घर में इन दिनों हास्य कवि पापुलर मेरठी कुछ ऐसी ही गुदगुदाने और हंसाने वाली पंक्तियां रच और बांच रहे हैं। 21 दिन के इस लॉकडाउन ने उनकी दिनचर्या बदल दी है। बावजूद वह मानते हैं कि यह दौर अध्ययन और मनन के लिए अच्छा है गुदड़ी बाजार के पास करमअली निवासी पापुलर मेरठी का मोहल्ला पुराना और घना है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए उन्होंने खुद को घर में कैद कर रखा है। आसपास के लोगों को भी अपने- अपने घरों में सुरक्षित रहने का संदेश भी दे रहे हैं। पहले वह घर पर इतना वक्त नहीं बिता पाते थे। देश-विदेश में मुशायरे के लिए जाते रहते थे। लॉकडाउन में अब पहली बार इतना वक्त मिला है। जब वह परिवार के साथ हैं। पापुलर मेरठी सुबह उठने के बाद अब नियमित तौर पर योग का अभ्यास करते हैं। अनुलोम-विलोम से लेकर प्राणायाम तक करते हैं। टीवी पर इस दौरान वह योग के आसन देख रहे हैं। अखबार पढ़ना भी उनकी दिनचर्या में शामिल है। टीवी पर जब से रामायण और महाभारत का प्रसारण शुरू हुआ है, वह लगातार इन सीरियल को देखते हैं। वह बताते हैं कि उनकी लाइब्रेरी में बहुत सी किताबें हैं। इन किताबों को पहले पढ़ने के लिए वक्त नहीं मिलता था। अब वह साहित्य से लेकर शायरी की कोई न कोई किताब हर रोज पढ़ते हैं। अध्ययन के साथ ही वह शायरी भी लिखते रहते हैं। लॉकडाउन में उन्होंने कुछ रचनाएं लिखी हैं। घर में इस समय लॉकडाउन की वजह से काम करने वाले नहीं है तो पापुलर मेरठी खुद घर की सफाई भी करते हैं। गमले में लगे फूल को भी वह तल्लीनता से देखने का समय निकाल पा रहे हैं। वह कहते हैं कि कोरोना वायरस की वजह से यह जो वक्त मिला है, इसमें सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए हमें घर में रहना चाहिए। बहुत जरूरी होने पर ही घर से निकलें। यह एक अलग तरीके की जंग है। इससे भी हम जीत ही लेंगे।