भारत का बाजार बहुत बड़ा है, जल्द उबर जाएगा: त्रिलोक आनंद
कोविड-19 संक्रमण ने वैश्विक संकट खड़ा कर दिया है किंतु भारत अपने संस्कारों इछाशक्ति और बड़े घरेलू बाजार की वजह से उबर जाएगा।
मेरठ, जेएनएन। कोविड-19 संक्रमण ने वैश्विक संकट खड़ा कर दिया है, किंतु भारत अपने संस्कारों, इच्छाशक्ति और बड़े घरेलू बाजार की वजह से उबर जाएगा। क्रिकेट उपकरण बनाने वाली एसजी कंपनी के वाइस चेयरमैन त्रिलोक आनंद भावुकता से कहते हैं कि संकट की घड़ी में सभी देश के साथ खड़े हैं। लॉकडाउन देश को बचाएगा, और हम साथ मिलकर राष्ट्र को विकास के पथ पर फिर ले जाएंगे। आज भारत की सरकार ने सटीक निर्णय एवं बेहतर संदेशों के जरिए दुनिया कई विकसित देशों से बेहतर तरीके से कोरोना पर नियंत्रण किया है। पेश है त्रिलोक आनंद से बातचीत
. लॉकडाउन के दौरान क्या चुनौतियां हैं। इंडस्ट्री कब तक उबर पाएगी। क्या उद्यमी के तौर पर क्या कोई योजना बना रहे हैं।
-दुनिया के हालात ऐसे हैं कि अभी कोई पूर्वानुमान नहीं लग सकता। कोई योजना बनाई भी जा सकती। वक्त है, देश के साथ खड़े होने का। देश सेहतमंद होगा तो आर्थिक मंदी भी तेजी से बदल जाएगी। मुझे खुशी है कि कोरोना नियंत्रण को लेकर भारत बाकी देशों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। पलायन ने देश को जरूर चिंता में डाला है, जिसमें आमजन तक सूचनाएं नहीं पहुंची या सरकारों के बीच की कमी नजर आई।
. उद्योग धंधों के बंद पड़ने से अर्थव्यवस्था थम गई है। पंजाब ने कुछ उद्योगों को खोलने का निर्णय लिया है। आप मेरठ के उद्योगों को लेकर क्या सुझाव देंगे?
-लॉकडाउन का सम्मान करना होगा। आस्ट्रेलिया और यूएसए में 30 अप्रैल तक बंदी होने की बात उठी है, भारत में भी बढ़ सकती है। भारत का बाजार बहुत बड़ा है। एक बार गति पकड़ने पर देश की अर्थव्यवस्था उबर जाएगी। उद्योगों को थोड़ा-थोड़ा कर खोल सकते हैं। तीन से पांच माह तक गहरा असर रहेगा, इसके बाद सब ठीक हो जाएगा। हालांकि उत्पादन की हानि की भरपाई नहीं हो सकती, किंतु व्यापारियों की हो सकती है। पंजाब में श्रमिक बहुत हैं, किंतु कोई रिस्क लेकर खोलना ठीक नहीं होगा।
. रिजर्व बैंक ने बैंकों को आसान ऋण उपलब्ध कराते हुए उद्योगों को उबारने के लिए आगे आने का निर्देश दिया है। इंडस्ट्री पर क्या प्रभाव पड़ेगा
-भारतीय रिजर्व बैंक की वर्तमान घोषणाओं से ज्यादा फायदा नहीं होगा। अमेरिका ने अपनी जीडीपी से 2.2 ट्रिलियन डॉलर लोगों को दिया। इंग्लैंड ने श्रमिकों को आर्थिक सुरक्षा दी। जनता के हाथ में पैसा होगा तो मांग और आपूर्ति का चक्र तेज होगा। इससे इकोनॉमी बढ़ती है। भारत में भी लोगों के हाथ तक पैसा पहुंचाकर खरीद क्षमता बढ़ानी होगी।
. वर्तमान परिस्थितियों एवं केंद्र सरकार के प्रयासों को देखते हुए आपको कब तक राहत की उम्मीद है?
-केंद्र सरकार ने आटोमोबाइल कंपनियों को वेंटीलेटर बनाने के लिए कहा है, जो अच्छा है। बेंगलुरू में बाकायदा वॉर रूम बनाया गया है। लॉकडाउन में गरीबों पर सर्वाधिक संकट है, ऐसे में उन पर ध्यान देना सर्वाधिक जरूरी है। यह कोई भारत या एक उद्योग की समस्या नहीं है। सभी साथ उबरेंगे। मेरठ में प्रशासन भी बेहतर सक्रियता दिखा रहा है।
. फुर्सत के क्षणों में आपकी दिनचर्या क्या है। कैसे वक्त बिता रहे हैं?
-मैं योग से दिन शुरू करता हूं। कंप्यूटर पर काम करता हूं। कई अच्छी किताबें पढ़ने का वक्त मिला है। धार्मिक सीरियल रामायण और महाभारत देखकर गुजरे वक्त को याद कर लेता हूं। विषम परिस्थितियों में भी सकारात्मकता खोजनी चाहिए। सभी से सुझाव है कि फुर्सत के दौरान अच्छी किताबें पढ़ें। मित्रों से संवाद करें, और समाज के बारे में भी सोचें। सबके लिए नकारात्मकता दूर करने का वक्त है।