स्वर्णिम इतिहास समेटे हस्तिनापुर के कायाकल्प का वक्त, इंतजार अब और नहीं Meerut News
हस्तिनापुर का पिछड़ापन द्रोपदी के श्रप का प्रभाव माना जाता था किंतु अब लगता है कि श्रपमुक्ति का समय आ गया है। बहरहाल जनता खुश है कि चलो कुछ हो तो रहा है।
मेरठ, [अनुज शर्मा]। Special Column हस्तिनापुर नगरी महाभारत का इतिहास और कौरव पांडवों की याद अपने भीतर समेटे है। एक समय था जब यहां से दूर दूर तक शासन होता था। हस्तिनापुर की मान्यता आज भी कम नहीं है। हस्तिनापुर ही प्रदेश में सरकार तय करता है। जिस भी दल का व्यक्ति यहां से विधायक चुना जाता है, प्रदेश में सरकार उसी दल की बनती है। हस्तिनापुर देश का स्वर्णिम इतिहास है जिसका सम्मान सरकार ने किया है। इसे पुरातत्व क्षेत्र घोषित करके यहां राष्ट्रीय संग्रहालय बनाया जाएगा। हस्तिनापुर का पिछड़ापन द्रोपदी के श्रप का प्रभाव माना जाता था किंतु अब लगता है कि श्रपमुक्ति का समय आ गया है। हस्तिनापुर के साथ यहां के विधायक दिनेश खटीक की भी बन आई है। पहले गंगायात्रा और, अब हस्तिनापुर को संवारने की कोशिशों में वे लगातार मुख्यमंत्री के ईर्द-गिर्द बने हैं। बहरहाल, जनता खुश है कि चलो कुछ हो तो रहा है।
इंतजार अब और नहीं
मेरठ से दिल्ली जाना युद्ध से कम नहीं है लेकिन जनता बेचारी करे क्या? युद्ध लडऩा मजबूरी है। हजारों लोगों को रोजगार के लिए रोजाना दिल्ली जाना जरूरी है। एक तो सड़क की चौड़ाई कम, ऊपर से टूटी-फूटी। मोदीनगर और मुरादनगर को पार करना जैसे किला फतह करना है। जनता की चीख पांच साल पहले सुनी गई, एक्सप्रेस-वे बनाने की घोषणा हुई। दिल्ली से यूपी गेट और डासना से हापुड़ तक का रास्ता झट से बन गया लेकिन यूपी गेट से डासना और डासना से मेरठ तक का एक्सप्रेस-वे अभी अधूरा है। इसके पीछे लेटलतीफी, भ्रष्टाचार और बाधाएं रहीं। दिसंबर 2019 से 50 मिनट में दिल्ली का सफर होना था। अफसरों के दावे तो अक्टूबर के थे, जो हवाई निकले। अब नया लक्ष्य 31 मई 2020 है। फिर से दावे हैं लेकिन जनता मायूस है। एक्सप्रेस-वे शुरू होने से पहले वह कुछ सुनना नहीं चाहती है।
दिग्गज तनाव में हैं
विधान परिषद के शिक्षक और स्नातक क्षेत्रों के चुनाव आ गए हैं। मेरठ सीट पर कई दिग्गज इस बार फिर से भाग्य आजमाने की तैयारी में हैं। शिक्षक सीट पर ओमप्रकाश शर्मा पिछले आठ चुनाव यानी 48 साल से विजयी हैं। इस बार भी वे मैदान में उतरने को तैयार हैं। सभी पार्टियां भी अपना प्रत्याशी उतार रही हैं लेकिन शर्मा जी हों या फिर अन्य कोई संभावित प्रत्याशी, हर कोई तनाव में है। तनाव का कारण नए मतदाता हैं। आयोग ने विधान परिषद क्षेत्र की पुरानी मतदाता सूचियों को समाप्त कर नए सिरे से तैयार कराया है। प्रत्येक मतदाता का नये सिरे से नामांकन हुआ। चुनाव आयोग के इस नए प्रयोग से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सूची से कट गए हैं साथ ही नए मतदाता बन भी गए हैं। अब नए मतदाता किसका साथ देंगे, यह सवाल प्रत्याशियों को परेशान कर रहा है।
सरकार उड़ा दीजिए विमान
पश्चिमी यूपी की जनता सदैव अपनी जमीन से ही हवाई यात्रा करने का सपना देखती आई है। प्लेन में बैठने के लिए उन्हें अभी 4 घंटे का सफर तय करना होता है, जो कि हवाई यात्र के समय से भी कई गुना है। बात मेरठ की करें तो यहां हवाई पट्टी है लेकिन केवल सरकार के काम की। इसे बड़ा करके यहां से हवाई यात्रा शुरू करने की माथापच्ची भी दस साल से की जा रही है। हर बार कोशिश में अड़ंगा लग जाता है लेकिन केंद्र का इशारा मिलते ही एयरपोर्ट अथॉरिटी ने प्लान जारी कर दिया है। प्लेन उड़ जाएगा, बस प्रदेश सरकार जमीन भर दे दे। जमीन, उसका हिसाब आदि तैयार है। इंतजार है तो बस प्रदेश सरकार के सिग्नल का। जमीन का इंतजाम होते ही अपने मेरठ से भी जहाज उडऩे लगेंगे। अब, सरकार जगे तो जनता भी हवा का मजा ले।