CAA Protest In Meerut: पीएफआइ ने आठ माह पहले रची थी शहर में हिंसा की साजिश Meerut News
CAA के विरोध के नाम पर हुई हिंसा की साजिश आठ माह पहले शांति मार्च के दौरान हुए बवाल के बाद ही रच ली गई थी। पीएफआइ हिंसा का मौका तलाश रही थी।
मेरठ, जेएनएन। CAA के विरोध के नाम पर हुई हिंसा की साजिश आठ माह पहले शांति मार्च बवाल के बाद ही रच ली गई थी। पीएफआइ हिंसा का मौका तलाश रही थी और सीएए लागू होते ही यह मौका मिल गया। शास्त्रीनगर में पीएफआइ पदाधिकारियों ने बैठक की थी। पुलिस ने पांच पदाधिकारियों को पकड़ भी लिया था, जिनसे पुलिस लाइन में करीब तीन घंटे पूछताछ की गई। इसके बावजूद पुलिस उनके मंसूबे नहीं पता लगा सकी। पुलिस ने नौचंदी थाने में तस्करा डालने के बाद पांचों पदाधिकारियों को छोड़ दिया। इसके बाद से इन्होंने मेरठ में पीएफआइ सदस्य बनाकर फौज खड़ी कर दी।
जांच में इनके नाम सामने आए
जांच में जो नाम सामने आए हैं उनमें मौलाना शादाब, मौलाना साजिद, मौलाना राशिद, अनीस अंसारी और दिल्ली से आए मौलाना परवेज अहमद शामिल हैं। सभी पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के अहम पदों पर हैं। परवेज अहमद को पश्चिमी यूपी का प्रभारी बनाया गया, जिसने मेरठ के शास्त्रीनगर में ऑफिस खोलकर सदस्य जोड़े। दिल्ली के शाहीन बाग में बैठे पीएफआइ पदाधिकारी सदस्यों को जोड़ने के लिए फंडिंग कर रहे थे। 18 जुलाई को पीएफआइ सदस्यों की एक बैठक शास्त्रीनगर में हुई थी।
पहले भी किया था विरोध
बैठक में शामिल आरोपितों को हिरासत में लेकर नौचंदी थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर तपेश्वर सागर और लिसाड़ी गेट के तत्कालीन इंस्पेक्टर नजीर अहमद पुलिस लाइन लाए थे। यहां पांच मौलानाओं से लोकल इंटेलीजेंस, आइबी, एसटीएफ और सिविल पुलिस ने अलग-अलग पूछताछ की थी। करीब तीन घंटे सघन पूछताछ के बाद कोई इनपुट नहीं मिल पाया था। उसके बाद सभी को छोड़ दिया गया। तभी से परवेज अहमद शास्त्रीनगर में ऑफिस खोलकर सदस्य बना रहा था। बता दें कि इन पीएफआइ पदाधिकारियों ने 30 जून को मेरठ में शांति मार्च के दौरान हुए बवाल में पुलिस कार्रवाई का भी विरोध किया था।
इनका कहना है
पीएफआइ के पांच पदाधिकारियों के नाम सामने आ चुके हैं, जिन्होंने 18 जुलाई को मेरठ में बैठक की थी। उस बैठक में शांति समिति के कौन-कौन सदस्य शामिल थे। इसकी भी विस्तार से जांच की जा रही है। साथ ही बैठक के आयोजक पर भी कार्रवाई की जा रही है।
- अजय साहनी, एसएसपी
शादाब ने मेरठ में कराई थी पीएफआइ की बैठक
शास्त्रीनगर में रहने वाले शादाब ने मेरठ में पीएफआइ की बैठक कराई थी, जिसमें शहर के मुस्लिम समाज के कई लोगों को साथ लिया गया था। ये वही लोग थे, जो पुलिस की शांति समिति की बैठक का हिस्सा थे। उन्होंने ही पुलिस की गतिविधि को पीएफआइ से साझा किया था। यही कारण है कि हिंसा के दौरान शांति समिति से जुड़े लोगों के मोबाइल बंद हो गए थे।
कब किससे करते थे बात
पुलिस अब पूरे मामले की नए सिरे से जांच कर रही है। पीएफआइ के पांच पदाधिकारियों के मोबाइल की कॉल डिटेल से देखा जा रहा है कि मेरठ में किस-किस से बात करते थे। बता दें कि इस संगठन के पदाधिकारियों ने मेरठ की बैठक में अमित शाह के गृहमंत्री बनने पर भी रोष व्यक्त किया था। साथ ही बिना अनुमति गोपनीय तरीके से बैठक का आयोजन किया गया था।