शिवानंद सिंह 'सहयोगी' को निराला पुरस्कार
भारत संचार निगम लि. में मंडल अभियंता के तौर पर लंबे अर्से तक सेवाएं देने वाल साहित्यकार मेरठ के शिवानंद सिंह सहयोगी को उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान की ओर से साल 2018 के सम्मान व पुरस्कारों के अंतर्गत शुक्रवार को जारी सूची में निराला सम्मान के लिए चयनित किया है। उन्हें यह सम्मान साल 2018 में उनके द्वारा रचित नवगीत संग्रह नदी जो गीत गाती है के लिए दिया जा रहा है। इस सम्मान के साथ उन्हें 75 हजार रुपये की नकद राशि भी मिलेगी।
मेरठ, जेएनएन : भारत संचार निगम लि. में मंडल अभियंता के तौर पर लंबे अर्से तक सेवाएं देने वाल साहित्यकार मेरठ के शिवानंद सिंह 'सहयोगी' को उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान की ओर से साल 2018 के सम्मान व पुरस्कारों के अंतर्गत शुक्रवार को जारी सूची में निराला सम्मान के लिए चयनित किया है। उन्हें यह सम्मान साल 2018 में उनके द्वारा रचित नवगीत संग्रह 'नदी जो गीत गाती है' के लिए दिया जा रहा है। इस सम्मान के साथ उन्हें 75 हजार रुपये की नकद राशि भी मिलेगी। बलिया के सुरजन छपरा गांव में जन्मे शिवानंद सिंह 'सहयोगी' मेरठ में ही बीएसएनएल से सेवानिवृत्त होने के बाद पूरा समय हिदी साहित्य को देते हैं।
सहयोगी की रचना विधा में गीत, नवगीत, नई कविता, गजल, दोहा, दुमदार दोहा, कहानी, लघु कथा, कुंडलिया, समीक्षा आदि शामिल है। उनकी पहली काव्य संग्रह 'एक शून्य' 2005 में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद हर साल यह सिलसिला चलता रहा। अगले ही साल जीवन की हलचल, उसके बाद गांव वाला घर, समय की पुकार, मां जीत ही जाएगी आदि रहे। 2010 में गजलन संग्रह आसमान, 2011 में गीत संग्रह घर-मुडेर की सोन चिरैया, दुमदार दोहे, मेरे गीतों का पाथेय, यादों के पंछी, वही हमारा गांव, कुंडलिया का गांव, सूरज भी क्यों बंधक, रोटी का अनुलोम-विलोम, शब्द अपाहिज मौनीबाबा आदि शामिल हैं। उनकी रचनाओं के लिए उन्हें लेख मित्र, प्ररणा श्री, काव्य कौस्तुभ, काव्य भूषण, दोहा श्री, साहित्य महोपाध्याय, शब्द रत्न, साहित्य रत्नाकार, साहित्य गौरव व काव्य गौरव की उपाधियों से नवाजा जा चुका है। गंगानगर निवासी शिवानंद सिंह सहयोगी साहित्यिक गतिविधियों में कई पत्रिकाओं के साथ ही ई-पत्रिकाओं से भी जुड़े हैं।