Move to Jagran APP

सामान्य को असामान्य बनाता है आत्मविश्वास

मनुष्य ईश्वर की अनुपम और श्रेष्ठ कृति है। ईश्वर ने मनुष्य को अनेक गुणों का वरदान है। मेरठ

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 06:25 AM (IST)
सामान्य को असामान्य बनाता है आत्मविश्वास
सामान्य को असामान्य बनाता है आत्मविश्वास

मेरठ, जेएनएन। मनुष्य ईश्वर की अनुपम और श्रेष्ठ कृति है। ईश्वर ने मनुष्य को अनेक गुणों का वरदान दिया है। उन्हीं गुणों में से एक गुण है 'आत्मविश्वास'। आत्मविश्वास का अर्थ है अपनी शक्तियों और योग्यताओं पर विश्वास और खुद पर भरोसा होना। अपनी शक्तियों को पहचान कर ही हम आत्मविश्वास हासिल कर सकते हैं।

loksabha election banner

आत्मविश्वास वस्तुत: एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है, जिससे महान कार्यो के संपादन में सहजता प्राप्त होती है। बगैर आत्मविश्वास के इन कार्यो की सफलता संदिग्ध ही रहती है। दूसरे शब्दों में कहें तो-सशक्त आत्मविश्वास एक अद्भुत शक्ति है। इसके बल से व्यक्ति तमाम विपत्तियों एवं शत्रुओं का सामना कर लेता है। संसार के अभी तक के बड़े-बड़े कार्य आत्मविश्वास के बलबूते ही हुए हैं और हो रहे हैं।

राह संघर्ष की जो चलता है,

वो ही संसार को बदलता है।

जिसने रातों में जंग जीती है,

सूर्य बनकर वही निकलता है। अपने भीतर ही ढूंढे आत्मविश्वास

आत्मविश्वास मनुष्य के भीतर ही समाहित होता है। आपको इसे कहीं और अन्य जगह से लाने की जरूरत नहीं है। यह अपने अंदर ही है। बस जरूरत है अपने भीतर की आंतरिक शक्तियों को एकत्र कर अपने आत्मविश्वास को मजबूत करने की। अगर खुद पर यकीन हो तो अंधेरे में भी रास्ते मिल जाते हैं। आत्मविश्वास से लबरेज इंसान आशावादी होता है। अपने जीवन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपनी योग्यता पर भरोसा करता है। अमेरिका के प्रसिद्ध लेखक ओरिसन स्वेट मार्डन का कहना है कि सफलता किसी पेड़ पर नहीं लगती है, जिसे जब चाहा तोड़ लिया, बल्कि यह तो जीवन की सबसे आनंददायक चीज है जिसे सिर्फ आत्मविश्वास के द्वारा ही हासिल किया जा सकता है। प्रसिद्ध विचारक एमर्सन ने भी आत्मविश्वास को सफलता का प्रथम रहस्य बताया है। इस आत्मविश्वास को बनाए रखने के लिए व्यक्ति को कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। सकारात्मक सोच, अतीत की असफलताओं को भूल कर नई शुरुआत करने की क्षमता, उपलब्धियों को याद रखना व असफलताओं को स्वीकार करना, कुछ नया सीखना, कुछ नया करना आत्मविश्वास की कुंजी है। तीन तरह के लोग होते हैं

संसार में तीन तरह के लोग होते हैं। पहले प्रकार में वो लोग आते हैं, जिनमें किसी काम को लेकर डर बना रहता है और वह डर मन की एकाग्रता को बनने नहीं देता। ऐसे लोग किसी काम को शुरू ही नहीं करते। दूसरी श्रेणी में वह लोग आते हैं जो किसी काम को शुरू तो कर लेते हैं किंतु थोड़ी परेशानी देखकर घबरा जाते हैं और आगे नहीं बढ़ते। तीसरी श्रेणी में वह लोग आते हैं जिनमें आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा होता है। ऐसे लोग जिस कार्य को शुरू करते हैं वह उस कार्य को हर कीमत पर पूरा कर के ही दम लेते हैं। कहा भी गया है कि,

जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास नहीं

वह शक्तिमान होकर भी कायर है

और विद्वान होकर भी मूर्ख है।

जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है, सफलता उस व्यक्ति के कदम चूमती है। हर क्षेत्र के लोग उसी व्यक्ति को पसंद करते हैं जो विश्वास और अदम्य उत्साह से भरा हो एवं दिए गए कार्य को करने में सक्षम हो। आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति अकेला ही सौ के बराबर होता है। इतिहास में बहुत से ऐसे व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने अदम्य उत्साह एवं आत्मविश्वास के बल पर ही सफलता हासिल की है।

हर किसी में है कुछ खास

इस संसार में ईश्वर ने सभी को अनंत शक्तियां प्रदान की हैं। हर किसी में कोई न कोई खास बात होती है। बस जरूरत है अपने अंदर की उस खास शक्ति को पहचानने की, उसे निखारने की। पहले खुद पर भरोसा कीजिए फिर दूसरे आप पर भरोसा करेंगे। महात्मा गांधी भी इसी आत्मविश्वास के बल पर सत्य और अहिसा को अस्त्र बनाकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। अंतत: वह भारत माता के दासता रूपी बेड़ी को काटने में सफल रहे। अब्राहम लिंकन ने अथक प्रयास कर दासों को मालिकों के शिकंजे से मुक्त कराया। इसी आत्मविश्वास ने कोलंबस को अमेरिका की खोज में सहयोग दिया था। नेपोलियन ने इसी शक्ति से ओत-प्रोत होकर अपने सेनापति से कहा था कि यदि आल्पस पर्वत हमारा मार्ग रोकता है तो वह नहीं रहेगा और सचमुच उस विशाल पर्वत को काटकर रास्ता बना लिया गया। भगवान राम अपने अजेय आत्मविश्वास के बल पर ही वनवास की विपत्तियों को सह सके और रावण से लोहा ले सके।

चंद्रयान-2 भी आत्मविश्वास की उड़ान है

आत्मविश्वास मनुष्य को तुच्छता से महानता की ओर ले जाता है। सामान्य से असामान्य बना देता है। जब जीवन में सभी लोग साथ छोड़ दें। पराजय और पीड़ाओं का दंश मनुष्य को घायल कर दे, चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा हो तो ऐसी स्थिति में आशा की किरण सिर्फ स्वयं पर विश्वास की होता है। वहीं आत्मविश्वास हमें अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करती है। युद्ध भूमि में हारा हुआ फिर से जीत हासिल कर सकता है। पर मन से हारा हुआ कभी नहीं जीत सकता है। आपका आत्मविश्वास ही आपकी श्रेष्ठ पूंजी है। अपने अदम्य उत्साह, परिश्रम, दृढ़-निश्चय एवं आत्मबल के बल पर भारत ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर भेजने का साहस जुटाया और आगे इस कार्य को करने के लिए कृत-संकल्प है। यही तो आत्मविश्वास है।

मधु सिरोही, प्रिंसिपल, मेरठ पब्लिक स्कूल फॉर ग‌र्ल्स, कैंट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.