Chandrayaan 2: सहस्त्र 'सिवन' का सृजन, भावी पीढ़ी के दिलों-दिमाग में लैंड कर गया विक्रम लैंडर Meerut News
चंद्रयान-2 का लैंडर भले ही अंतिम क्षणों में भटक गया लेकिन यह मिशन भावी पीढ़ी के दिलों-दिमाग पर जरूर लैंड कर गया और एक सार्थक दिशा दे गया।
मेरठ, [जागरण स्पेशल]। Chandrayaan 2: 6-7 सितंबर की मध्य रात्रि के बाद का समय। खुशियों और गौरव के उन लम्हों के बीच अचानक चंद्रयान की दिशा में भटकाव और इसरो के उस अपेक्षित लक्ष्य का छूट जाना ...साल गया सबको। इसरो प्रमुख के. सिवन की अगुवाई वाले इस चंद्रयान-2 का लैंडर भले ही अंतिम क्षणों में भटक गया, लेकिन यह मिशन भावी पीढ़ी के दिलों-दिमाग पर जरूर लैंड कर गया ...सार्थक दिशा दे गया। आज कई बालमन को अपना लक्ष्य मिल चुका है। 48 दिनों की चंद्रयान की यात्रा में ही अंतरिक्ष के प्रज्ञान को स्कूली बच्चों ने काफी कुछ समझा है। अब और बहुत कुछ जानने, समझने कुछ कर दिखाने का पेलोड अपने मन-मस्तिष्क से अटैच कर लिया है। मेरठ के बालमन को टटोलने से ऐसा लगता है कि शायद परोक्ष रूप से हमें वह ऊर्जा मिल गई है, जिसे ढूंढने के लिए हम चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव के सफर पर निकले थे। इस बीच सबसे गर्व की बात यह है कि इसरो ने चांद पर खो गए विक्रम लैंडर को खोज निकाला है। रविवार दोपहर को इसकी सूचना खुद इसरो चीफ के सिवन ने दी। अब इस बात की उम्मीद भी बढ़ गई है कि विक्रम लैंडर के साथ इसरो का संपर्क जल्द से जल्द से हो जाएगा। आज अकेले मेरठ से हजार से भी अधिक छात्रों ने के. सिवन की राह पर चलने की ठान ली। आइए, ...जानते हैं मेरठ के बच्चे इस मिशन के बारे में क्या सोचते हैं? क्या कहते हैं?
हर कदम के बने साक्षी
22 जुलाई को चंद्रयान-2 के सफर की शुरुआत होने के बाद से ही स्कूलों में विज्ञान शिक्षकों ने बच्चों को जागरूक करना शुरू कर दिया था। हर दिन चांद के करीब पहुंचने के क्रम में बच्चों के मन में जिज्ञासा भी बढ़ती रही। यही जिज्ञासा उन्हें चंद्रयान-2 के इस सफर के बारे में अधिक जानने को प्रेरित भी करती रही। यही कारण रहा कि छात्र-छात्राओं ने लैंडर व रोवर यानी प्रज्ञान और विक्रम के साथ ही उसके सफर, मिशन की बारीकियां और इसरो के बारे में अपनी जानकारी बढ़ाई।
क्विज ने बढ़ाया जीके
चंद्रयान पर इसरो के ऑनलाइन क्विज ने बच्चों का रुझान अधिक बढ़ाया। स्कूली बच्चों ने बताया कि उन्होंने स्कूल की ओर से भी ऑनलाइन क्विज में हिस्सा लिया। जो स्कूल में नहीं ले सके वह घर के सिस्टम व मोबाइल से रजिस्ट्रेशन कराकर इसमें प्रतिभाग करते रहे। इसके चलते चंद्रयान और इसरो से जुड़ी तमाम जानकारियां ऑनलाइन और इसरो की वेबसाइट से मिली। चंद्रयान के साथ ही छात्रों ने चंद्रयान-1 और मंगलयान के बारे में भी पढ़ा और जाना।
नहीं हो सका सुबह का सेलिब्रेशन
शनिवार सुबह की प्रार्थना के साथ ही स्कूलों में चंद्रयान की सफलता को लेकर विभिन्न तरीके से खुशी मनाने की तैयारी थी। स्कूलों के प्रिंसिपलों ने बच्चों के लिए सफलता की बधाई वाले स्पीच भी तैयार कर लिए थे। सुबह संपर्क टूटने की खबर के बाद सभी के मन उदास जरूर थे, लेकिन बच्चों में चंद्रयान के प्रति जागरूकता अधिक दिखी। कक्षा में भी शिक्षकों ने बच्चों ने बातचीत की और उन्हें प्रेरित किया।
स्कूल भेज रहे प्रोत्साहन संदेश
चंद्रयान-2 के पूरी तरह से सफल न होने पर निराश होने के बजाय शहर के स्कूल इसरो को प्रोत्साहन संदेश वाले पोस्ट कार्ड भेज रहे हैं। सेंट जोंस सीनियर सेकेंड्री स्कूल के बच्चों ने शिक्षकों की मदद से इसरो के लिए ढेर सारे संदेशों के साथ पोस्ट कार्ड बनाया है। इसरो की वेबसाइट से पता लेकर इन काड्र्स को इसरो को भेजा गया है। संदेश में एक बच्चे ने पहली बार माउंट एवरेस्ट चढऩे में असफल रहे सर एडमंड हिलेरी का संदेश लिखा, जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं फिर आऊंगा और चोटी पर चढूंगा, क्योंकि एक पहाड़ के तौर पर तुम नहीं बढ़ोगे, लेकिन एक मनुष्य के तौर पर मैं बढ़ सकता हूं। दूसरे संदेश में छात्रा ने लिखा कि विज्ञान में असफलता कोई शब्द नहीं है। देरी इसका हिस्सा जरूर है। निकट भविष्य में यह मिशन जरूर पूरा होगा।
स्पेस टेक्नोलॉजी को विकसित करना ही प्रमुख उद्देश्य
मेरठ पब्लिक स्कूल में विज्ञान शिक्षक मुकेश कुमार ने छात्रों को बताया कि इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य देश की स्पेस टेक्नोलॉजी को विकसित करना रहा है। चंद्रयान-2 का वैज्ञानिक उद्देश्य चांद पर पानी, बर्फ, मिनरल, रात के समय माइनस 232 डिग्री का तापमान आदि का डाटा लेने के साथ ही देश में विज्ञान का माहौल बनाना भी था, जिसमें इसरो को सफलता मिली है। विज्ञान के क्षेत्र में कोई असफलता नहीं होती, कुछ होता है तो वह निरंतर शोध व प्रयोग होते हैं। नीमा बंसल ने कहा कि चंद्रयान के सफर से सबसे बड़ी सीख यही मिलती है कि कोशिश कभी नहीं रुकनी चाहिए। इस मिशन से हमें जीवन में भी हर असफलता के बाद अधिक परिश्रम और दृढ़ता के साथ दोबारा कोशिश करने की सीख मिलती है।
साथ खड़ी युवा पीढ़ी
इस मिशन का अंतिम रिजल्ट चाहे जो भी रहा हो, पर इससे देश का हर नागरिक जुड़ाव महसूस कर रहा है। मेरा मानना है कि इस मिशन ने देश की युवा पीढ़ी को देश की विज्ञान और तकनीक की जानकारी देने के साथ ही इसमें विश्वास भी पैदा किया है, जो बेहद जरूरी था।
- अवनी सिंह, कक्षा 10
मुझे इसरो पर गर्व है। आशा है कि वह आने वाले समय में चंद्रयान-2, गगनयान जैसे तमाम मिशन सफलतापूर्वक पूरे करेंगे। विकसित देश भी इस तरह के मिशन में असफल हुए हैं। जिन देशों ने अपनी तकनीक देने से मना कर दिया था, आज उन्हें भी यह एहसास हो गया है कि भारत अपने दम पर चांद पर जा सकता है।
- स्पर्श रस्तोगी, कक्षा 10
चंद्रयान से संपर्क भले ही टूटा, लेकिन इसरो से दिल जुड़ गया है। इससे पहले मुझे इसरो के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी, पर अब बहुत कुछ उनके कार्यों के बारे में जानता हूं। आगे भी पढ़ते रहेंगे।
- कुशाग्र, कक्षा 12
चंद्रयान-2 के निकलने के बाद उसके महत्व, उसका कार्य, प्रज्ञान व विक्रम सहित कई जानकारी मिली। हमें भी इस बारे में जानना अब अच्छा लगता है। आशा है कि चंद्रयान से हमारा संपर्क फिर जुड़ जाए।
- अनुष्का जैन, कक्षा 12
चंद्रयान के सफर से पता चलता है कि हमारी टेक्नोलॉजी कितनी विकसित हो चुकी है। चांद तक पहुंचना बड़ी बात है जिसके लिए हम सभी को इंतजार था।
- मुस्कान छाबड़ा, कक्षा 12
मैं विज्ञान वर्ग से ही पढ़ाई कर रहा हूं। इसरो के इस मिशन ने साइंस में रुचि और भी बढ़ा दी है। मैं इसके बारे में जानकारी लेता रहूंगा।
- तुषार शर्मा, कक्षा 12